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कैसा रहा रियल एस्टेट के लिए 2025? जानें आपके शहर में घर खरीदना सस्ता हुआ या महंगा

ब्याज दरों में आई गिरावट और मुंबई जैसे शहरों में अफोर्डेबिलिटी का ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचना, उन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक सुनहरा मौका है, जो लंबे समय से सही समय का इंतजार कर रहे थे.

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2025 में किन शहरों में घर लेना आसान (Photo-ITG)
2025 में किन शहरों में घर लेना आसान (Photo-ITG)

अपना घर लेने का सपना देख रहे लोगों के लिए साल 2025 काफी बेहतर रहा. नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की 'अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स' रिपोर्ट के मुताबिक, घर खरीदने वालों के लिए साल 2025 काफी राहत भरा साबित हो रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 के अंत के मुकाबले अब ब्याज दरों में काफी गिरावट आई है, जिससे घर खरीदना अब लोगों की जेब के लिए पहले से अधिक आसान हो गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक देश के टॉप 8 शहरों में अहमदाबाद घर खरीदने के मामले में सबसे किफायती शहर बनकर उभरा है, यहां का अफोर्डेबिलिटी रेशियो मात्र 18% है.

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मुंबई में लोगों ने खरीदे घर

रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के रियल एस्टेट बाजार में घर खरीदारों की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला है. यहां ईएमआई-टू-इनकम रेशियो घटकर 47% पर आ गया है. मुंबई के इतिहास में यह पहली बार है जब घर खरीदने की सामर्थ्य  50% की सीमा से नीचे आई है, 50% से कम रेशियो होने का मतलब है कि अब मुंबई में घर खरीदना पहले के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ और लोगों की पहुंच के भीतर हो गया है. इसके उलट, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में घर खरीदने की क्षमता में मामूली गिरावट आई है, यानी वहां घर लेना थोड़ा और महंगा हुआ है.

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क्या होता है अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स' ?

नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) के अनुसार, घर खरीदने की अफोर्डेबिलिटी को मापने का एक खास पैमाना है. इसे 'अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स' कहा जाता है. यह इंडेक्स बताता है कि किसी शहर में रहने वाले एक औसत परिवार को अपने घर की मासिक किस्त (EMI) चुकाने के लिए अपनी कुल आय का कितना हिस्सा खर्च करना पड़ता है.

उदाहरण के लिए अगर किसी शहर का 'अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स' 40% है, तो इसका मतलब है कि उस शहर के परिवारों को अपनी कमाई का औसतन 40% हिस्सा होम लोन की EMI भरने में देना पड़ रहा है. जितना कम प्रतिशत होगा, घर खरीदना उतना ही आसान माना जाता है. आमतौर पर 50% के स्तर को एक सीमा माना जाता है. अगर इंडेक्स 50% से ऊपर है, तो बैंकों के लिए लोन देना और लोगों के लिए किस्त चुकाना मुश्किल माना जाता है.

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रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि साल 2025 तक आते-आते, रियल एस्टेट से जुड़े लोगों के मन में बाजार के जरूरत से ज्यादा गर्म होने और कीमतों में बड़ी गिरावट की आशंकाएं पैदा होने लगी थीं. हालांकि, स्थिति वैसी नहीं रही जैसी डरा रही थी. घरों की बिक्री की रफ्तार वैसी ही बनी हुई है जैसी 2024 के रिकॉर्ड स्तर पर थी. बाजार अब इस दिशा में बढ़ रहा है कि यह साल बिना किसी बड़ी रुकावट या उथल-पुथल के खत्म होगा.

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