वीडियोकॉन लोन विवाद में फंसी चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ और एमडी के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन पर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने के
मामले में अनुचित तरीके से निजी लाभ लेने का आरोप लगा हुआ है.
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चंदा कोचर 1984 में आईसीआईसीआई बैंक के साथ जुड़ी थीं. करीब 34 साल तक वह बैंक के साथ बनी रही. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपने करियर में सफलता के झंडे गाड़े, बल्कि बैंक को भी नई ऊंचाइयों पर लेकर गईं. एक नजर उनके सफर पर.
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चंदा कोचर का जन्म राजस्थान के जोधपुर में 1961 में हुआ. उन्होंने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से बीए किया. 1982 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने कॉस्ट अकाउंटैंसी की पढ़ाई की.
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चंदा कोचर 1984 में आईसीआईसीआई लिमिटेड से मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर जुड़ीं. इस दौरान वह आईसीआईसीआई में प्रोजेक्ट अप्रेजल और मॉनिटरिंग का काम देखती थीं. उन्होंने पेट्रोकेमिकल्स, टेक्सटाइल समेत अन्य कई इंडस्ट्री से जुड़े प्रोजेक्ट्स संभाले.
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1993 में जब आईसीआईसीआई ने कमर्शियल बैंकिंग में उतरने की तैयारी की. इस दौरान कोचर को एसिस्टेंट जनरल मैनेजर के तौर पर तैनाती मिली. इसके बाद 1996 में डेप्यूटी जनरल मैनेज के तौर पर प्रमोट किया गया.
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आईसीआईसीआई बैंक ने 1998 में अपने 200 क्लाइंट्स को बेहतर सेवा देने की खातिर मेजर क्लाइंट ग्रुप बनाया. इस दौरान उन्होंने जनरल मैनेजर के तौर पर प्रमोट किया गया. इसके बाद उन्होंने 1999 में स्ट्रैटजी और ई-कॉमर्स डिवीजन संभालना भी शुरू कर दिया.
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साल 2000 में कोचर के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने रिटेल बिजनेस में कदम रखा. महज 5 साल के दौरान बैंक देश के सबसे बड़े रिटेल फाइनेंसर के तौर पर उबरा. 2001 में चंदा कोचर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनीं.
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2006 में उन्हें डेप्यूटी मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर चुना गया. 2009 में वह बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ बनीं. पिछले कुछ महीनों से चंदा कोचर छुट्टियों पर चल रही थीं. उन पर वीडियोकॉन लोन विवाद मामले में अनियमितता बरतने का आरोप है. इस मामले की फिलहाल जांच चल रही है. (सभी फोटो: Reuters)