ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) का नाम बीते कुछ दिनों से खासा चर्चा में बना हुआ है, आखिर हो भी क्यों न इस अमेरिकी फर्म ने काम ही ऐसा किया है. दरअसल, इस कंपनी ने स्टॉक हेरफेर (Stock Manipulation) के जरिए हजारों करोड़ रुपये की कमाई की, इसके बाद जब इस धांधली का खुलासा हुआ, तो मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए इसे और इसके सहयोगियों को भारतीय प्रतिभूति बाजार से बैन कर दिया था और इसके द्वारा की गई अवैध कमाई की जब्ती के आदेश दिए थे. अब सेबी के इस एक्शन का बड़ा असर देखने को मिला है और रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने 4,843.5 करोड़ रुपये एस्क्रो खातों में जमा करा दिए हैं.
जेन स्ट्रीट ने एस्क्रो खातों में जमा कराई रकम
रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि न्यूयॉर्क हेडक्वार्टर वाली ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ने स्टॉक हेरफेर मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के बैन और जारी किए गए आदेश के अनुपालन में एस्क्रो खातों में 567 मिलियन डॉलर ( 4,843.5 करोड़ रुपये) जमा किए हैं. गौरतलब है कि मार्केट रेग्युलेटर के आदेश के अनुसार, Jane Street Group की संस्थाओं द्वारा कथित उल्लंघनों से कमाई गई 4,843 करोड़ रुपये की अवैध रकम को जब्त किया जाना था और संस्थाओं को इस अवैध आय को जमा करने के लिए भारत के एक अनुसूचित कॉमर्शियल बैंक में एक एस्क्रो खाता (Escrow Account) खोलने का निर्देश दिया गया था.

क्या होते हैं एस्क्रो अकाउंट?
यहां ये जान लेना जरूरी है कि जिन Escrow Account में जेन स्ट्रीट ने पैसे जमा कराए हैं, वो होते क्या है? तो बता दें कि एस्क्रो खाता एक ऐसा अकाउंट होता है, जहां एक थर्ड पार्टी किसी लेन-देन में शामिल दो पक्षों के लिए आवश्यक रकम को अपने पास रखता. इसे आमतौर पर बंधक एस्क्रो अकाउंट भी कहा जाता है. इसमें राशि तब तक रखी जाती है, जब तक किलेन-देन से जुड़े सभी शर्तों को पूरा नहीं किया जाता है. जब सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो एस्क्रो एजेंट इनके मुताबिक जमा राशि को सही पक्ष को जारी करता है.
Bank Nifty को बनाया कमाई का जरिया
जेन स्ट्रीट को यह कथित कमाई बैंक निफ्टी इंडेक्स (Bank Nifty Index) में हेराफेरी के जरिए हुई थी. खास तौर पर वीकली ऑप्शन एक्सपायरी के के दिन लिए गए ट्रेड पर उसने जोरदार मुनाफा कमाया. इस मामले पर बीते दिनों सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा था कि Jane Street का मामला बैंक निफ्टी इंडेक्स पर फोकस्ड था, जहां कंपनी ने कथित तौर पर ऑप्शन एक्सपायरी के दौरान अपने ट्रेड को रणनीतिक रूप से समयबद्ध करके बाजार को प्रभावित किया. उन्होंने कहा था कि SEBI का एक्शन निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए है.
हालांकि, इसे लेकर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका ट्रेडिंग फर्म की ओर से कहा गया था कि ये आरोप सही नहीं है और सामान्य हेजिंग स्ट्रेटजी को सेबी ने गलत तरीके से समझा. सभी आरोपों को दरकिनार करते हुए जेएस ग्रुप ने 21 दिनों के भीतर आदेश को चुनौती देने की योजना बनाई थी. वहीं रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अब सेबी की सख्ती के चलते अवैध रूप से कमाई गई रकम को वापस करते हुए कंपनी ने साफ किया कि उसका भारतीय ऑप्शंस में कारोबार करने का कोई इरादा नहीं है.

जेन स्ट्रीट ने ऐसे किया था हेरफेर
बीते दिनों बिजनेस टुडे टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में UAE बेस्ड हेज फंड के अध्यक्ष और इस मामले को लेकर रेग्युलेटर को सबसे पहले अलर्ट करने वाले व्हिसलब्लोअर मयंक बंसल ने जेन स्ट्रीट की इस धांधली के बारे में विस्तार से बताया था. उन्होंने समझाते हुए कहा था कि Jane Street ने इंडेक्स को कंट्रोल करने के लिए कैश और फ्यूचर में बड़ी पोजीशन लीं. जिस कारण वह एक्सपायरी के दिनों में पूरे इंडेक्स को कंट्रोल करती थी.
जब इंडेक्स ऊपर जाता था तो ये शॉर्ट ऑप्शन पोजीशन- लॉन्ग पुट और शॉर्ट कॉल... पोजीशन ले लेती थी और फिर अपने कैश होल्डिंग्स को बेच देती थी. इस स्ट्रेटजी के जरिए कॉल लेने से मामूली नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन लॉन्ग टर्म पुट से वह बड़ा मुनाफा कमाने का खेल करती थी. यह हेराफेरी हर एक्सपायरी वाले दिन Bank Nifty, निफ्टी, Sensex और मिडकैप में की जा रही थी.
बता दें कि जेन स्ट्रीट की इस धांधली का मामला सामने आने के बाद बीते 3 जुलाई 2025 को सेबी ने कंपनी को 'इंट्रा-डे इंडेक्स हेरफेर' में शामिल बताते हुए भारत में कारोबार करने से रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया था. इस फर्म और उसकी संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या अन्य प्रकार से लेनदेन करने से प्रतिबंधित कर दिया था.