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Nicobar Project: 30 साल, ₹72000 करोड़ लागत... क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट? जिसे लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने गहरी चिंता जताई है और इस करीब 72000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना को आइलैंड के आदिवासियों के अस्तित्व के लिए खतरा करार दिया है.

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निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर हमलावर है कांग्रेस (Photo: Indian Navy)
निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर हमलावर है कांग्रेस (Photo: Indian Navy)

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस हमलावर है. नीति आयोग द्वारा साल 2021 में प्रस्तावित इस परियोजना को मुद्दा बनाकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केंद्र पर निशाना साधा है और इसके पर्यावरणीय प्रभाव पर गहरी चिंता जताई है. वहीं दूसरी ओर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता अनिल के. एंटनी ने कांग्रेस पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर करने का आरोप जड़ दिया है. बता दें कि ये परियोजना निकोबार आइलैंड के दक्षिणी छोर पर एक महत्वाकांक्षी इंफ्रा प्रोजेक्ट है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 72000 करोड़ रुपये है. 

30 साल है निकोबार प्रोजेक्ट की टाइमलाइन
ग्रेट निकोबार आइलैंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक रूप से मजबूत बनाने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है. इसका उद्देश्य आइलैंड को ग्लोबल ट्रेड, ट्रांसपोर्टेशन और टूरिज्म का सेंटर बनाना है. इसकी जिम्मेदारी अंडमान और निकोबार द्वीप एकीकृत विकास निगम लिमिटेड (ANIIDCO) को दी गई है.परियोजना की लागत की बात करें, तो अनुमानित कॉस्ट 72,000 करोड़ रुपये के आस-पास है. इस परियोजना को पूरा करने के लिए 30 साल की टाइमलाइन तय की गई है. 

पोर्ट से हवाई अड्डा तक इसमें शामिल
परियोजना के तहत आइलैंड पर गैलेथिया-बे में ग्लोबल ट्रेड रूट को मजबूत बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, जबकि अच्छी कनेक्टिविटी मुहैया कराने के लिए एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अलावा एक टाउनशिप डेवलपमेंट भी शामिल हैं, जिसमें तकरीबन 3 से 4 लाख लोगों के लिए रेजिडेंसियल, कॉमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल सेक्टर्स होंगे, जहां स्मार्ट सिटी जैसी सुविधाएं मिलेंगी. इसके साथ ही एक सोलर प्लांट स्थापित होना है, जो ग्रीन एनर्जी मुहैया कराएगा. 

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अब तक प्रोजेक्ट में क्या-क्या हुआ? 
अब तक इस प्रोजेक्ट में हुए कामों को लेकर बात करें, तो ये चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है. इसी साल अप्रैल महीने में जहां एनटीपीसी ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए बोली आमंत्रित की थीं, तो वहीं बीते साल सितंबर 2024 में गैलेथिया बे को मेजर पोर्ट घोषित किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके संचालन के लिए करीब एक दर्जन कंपनियों ने रुचि दिखाई है. वहीं टाउनशिप डेवलपमेंट के लिए पेड़ों की गिनती और कटाई का काम भी जारी है. इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय मंजूरी नवंबर 2022 में ही मिल गई थी. वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए 80 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया जा चुका है. 

सोनिया गांधी बोलीं- 'ये आदिवासियों के लिए खतरा...'
जहां इस प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी हासिल हो चुकी है, तो वहीं कांग्रेस द्वारा प्रमुख तौर पर यही मुद्दा उठाते हुए इसका विरोध किया जा रहा है. बीते सोमवार को सोनिया गांधी ने द हिंदू में प्रकाशित एक आर्टिकल में निकोबार प्रोजेक्ट के पर्यावरणीय प्रभाव पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि ये इंफ्रा परियोजना सरकार के योजनाबद्ध कुप्रयासों की कड़ी में सबसे नई है और ये आइलैंड के आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रही है, इसके साथ ही वनस्पतियों और जीवों के ईकोसिस्ट में से एक के लिए बड़ा खतरा है. सोनिया गांधी के अलावा, सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं ने इसे लेकर सरकार को घेरा है. 

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कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता अनिल के एंटनी ने कांग्रेस पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ये आइलैंड इंडोनेशिया से 150 मील से भी कम दूरी पर, मलक्का स्ट्रेट के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास मौजूद हैं, जो दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री नाकेबंदी चेकपॉइंट्स में से एक है. जो इसे भारत की नौसैनिक क्षमताओं, पावर प्रोजेक्शन, रणनीतिक गणना के साथ ही इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बनाता है.

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