पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है. 12 अप्रैल को ही उसे बेल्जियम के अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया है. अब उसे भारत लाने की कोशिश की जाएगी. भारतीय जांच एजेंसियों ED और CBI ने पर्त्यापण की कोशिश शुरू कर दी है. जल्द ही वह भारत आ सकता है.
हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ने अपने भांजे नीरव मोदी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक को करीब 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. मामला उजागार होते ही मेहुल चोकसी भारत छोड़कर फरार हो गया था. यह मामला जनवरी 2018 में सामने आया था, उससे पहले ही भारत छोड़कर फरार हो गया था. हालांकि उसे पकड़ने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन वह कानूनी दाव-पेच में बचकर निकल गया.
दरअसल, जनवरी 2018 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें दस्तावेजों की हेरफेर की गई थी. पहले तो यह घोटाला 280 करोड़ रुपये का था, लेकिन धीरे-धीरे जब जांच आगे बढ़ी तो 13500 करोड़ रुपये का स्कैम सामने आया. इस मामले में 30 जनवरी 2018 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें आरोपी हीरा कारोबार मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी निकले. दोनों ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच को 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाया था.
आखिर मेहुल चोकसी ने कैसे पीएनबी को लगाया चूना?
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी PNB से बिना सिक्योरिटी पेपर के करोड़ों का लोन लेते और उसपर इंटरेस्ट भी नहीं भरते. इसके लिए इन लोगों ने बैंक के कर्मचारियों को सेट कर रखा था, ताकि बिना सिक्योरिटी लोन आसानी से मिल जाए और बैंक रिकॉर्ड में भी ना रखे. आइए समझते हैं कैसे होता था पूरा खेल...
दरअसल, अगर किसी बिजनेसमैन को किसी दूसरे देश के एक्सपोर्टर से बड़े अमाउंट का समान मंगाना है और उसके पास उतने पैसे नहीं है तो वह बैंक से मदद मांगते हैं. लेकिन विदेशी बैंक किसी दूसरे देश के नागरिक को ऐसे लोन अप्रूव नहीं करता है. इस कंडीशन में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) नाम का एक पेपर बिजनेसमैन को अपने देश के किसी भी बैंक से ट्रांसफर करवाना होता है, जिसके बाद विदेशी बैंक उस एक्सपोर्टर को बिजनेसमैन के नाम पर पैसा दे देती है. LoU जारी होने के बाद उस बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह विदेशी बैंक को पैसा दे. एलओयू बनाने के बदले बैंक बिजनेसमैन से उतने अमाउंट का सिक्योरिटी पेपर जैसी चीजें गिरवी पर रखता है. बस यहीं पर मेहुल चोकसी और नीरव मोदी खेल करते हैं.
मेहुल चोकसी और नीरव मोदी बैंक कर्मचारियों की मदद से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) बनवा तो लेते थे, लेकिन सिक्योरिटी के नाम पर कुछ भी नहीं देते थे. वहीं कर्मचारी इस रिकॉर्ड को भी कहीं मेनटेन नहीं करते थे. यह सिलसिला साल 2011 से ही चलता रहा. जब नीरव मोदी ने देखा कि यह सिस्टम काम कर रहा है तो इसके बाद उसने कई देशों में सेल कंपनियां बनाई और फिर उन कंपनियों के जरिए खराब क्वालिटी के हीरे की वैल्यू बढ़ाकर करोड़ों रुपये PNB बैंक से विदेश ले जाने लगा. बाद में जब बैंक को घाटा दिखा और जांच शुरू हुई तो फिर ये स्कैम सामने आया.
बैंक की बिगड़ गई थी आर्थिक सेहत
यह घोटाला सामने आते ही पूरा बैंकिंग सिस्टम हिल गया, क्योंकि बैंक के साथ अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हुआ था. इस घोटाले से PNB की आर्थिक सेहत बिगड़ गई. इस घोटाले का खुलासा होने के बाद बैंक को लगातार दो साल तक बड़ा नुकसान हुआ. बैंक को वित्त वर्ष 2018-19 में 10,026.41 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था. हालांकि बाद में सरकार की मदद से इस बैंक को बचा लिया गया.
पहले एंटीगुआ गया था मेहुल चोकसी
मेहुल चोकसी मई 2018 से एंटीगुआ चला गया था और वहां भी फर्जी दस्तावेज देकर रहने लगा था. उसने वहां की नागरिकता भी हासिल कर ली थी. लेकिन जब जांच हुई तो 23 मई की शाम को मेहुल चोकसी एंटीगुआ स्थित अपने घर से गायब हो गया. पता चला था कि वो क्यूबा भागने की फिराक में है, लेकिन फिर उसे डोमिनिका में पकड़ लिया गया. लेकिन कानूनी दावपेच की मदद से वह फिर बच निकला और अपनी पत्नी, जो बेल्जियम की नागरिक है, उसकी मदद से वहां की नागरिकता हासिल कर ली और वहीं पर रहने लगा. हालांकि अब फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं नीरव मोदी ब्रिटेन में है और वहां के गृह मंत्रालय ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. हालांकि, इसके खिलाफ नीरव मोदी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.