बिहार का मुंगेर संसदीय क्षेत्र को भूमिहार बहुल सीट माना जाता है. ऐसे में बीच चुनाव मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली अनंत सिंह का परोल पर 15 दिन के लिए जेल से बाहर निकलने को भूमिहार वोटरों की गोलबंदी के पहल के रूप में देखा जा रहा है. जिस तरह से ललन सिंह का संसदीय क्षेत्र से दूर रहने को वोटरों के खफा होने का कारण बताया जा रहा था. ऐसे में इनके पक्ष में माहौल बनाना आवश्यक हो गया था. खासकर जिस समीकरण के आधार पर ललन सिंह यहां से जीतते आए हैं और उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है, उसे साधना जरूरी था.
मुंगेर संसदीय क्षेत्र में मुंगेर और लखीसराय जिला शामिल है. लखीसराय और मुंगेर की भूमिहार आबादी इस सीट पर निर्णायक भूमिका अदा करती है. क्योंकि मुंगेर संसदीय क्षेत्र में भूमिहार के बाद कुशवाहा वोट बैंक को दूसरे नंबर पर माना जाता है. ऐसे में जब आरजेडी ने पूर्व हिस्ट्रीशीटर अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता को प्रत्याशी बनाया तो, ललन सिंह का जेडीयू से प्रत्याशी होने के बावजूद कुर्मी, कोयरी, धानुक और मंडल वोट बैंक खिसकने की आशंका बन गई.
टाल क्षेत्र के हर वोट बैंक पर है अनंत सिंह का प्रभाव
मुंगेर सीट पर जो जातीय समीकरण फीट बैठता है, उसके लिए जरूरत थी कि भूमिहार और फार्वडों के साथ-साथ पिछड़ी जाति के वोट को भी साधा जाए. ऐसे में टाल क्षेत्र में भूमिहार के साथ अन्य जातियों खासकर पिछड़ी जातियों पर भी अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले बाहुबली अनंत सिंह ही एक ऐसा चेहरा था, जो ललन सिंह के लिए माहौल तैयार कर सकते थे. साथ ही ललन सिंह और अनंत सिंह दोनों ही भूमिहार जाति से आते है. इसलिए अनंत सिंह का जेल से बाहर निकलने को ललन सिंह की जीत के लिए रास्ता तैयार करने के तौर पर देखा गया.
क्या ललन सिंह के पक्ष में वोटों की अनंत सिंह ने की गोलबंदी
चुनाव के दौरान मुंगेर संसदीय क्षेत्र के कई क्षेत्रों में ललन सिंह का विरोध जैसे मामले भी सामने आए. इसके बावजूद उन्होंने अच्छे मार्जिन से जीत दर्ज की. क्योंकि बाढ़, बड़हैया और मोकामा के टाल क्षेत्र में 15 दिन तक अनंत सिंह का दौरे ने ललन सिंह के पक्ष में उस इलाके के सभी तबके के वोटरों के गोलबंद करने का काम किया. जेल से बाहर आने पर अनंत सिंह ने आरजेडी प्रत्याशी के बारे में यह भी कहा था कि अशोक महतो कौन है और उसकी पत्नी कौन है, मैं तो जानता तक नहीं. ललन सिंह यहां से जीत रहे हैं.