
बिहार में गंगा नदी में हुए जलस्तर वृद्धि का असर कटिहार जिले में भी देखने को मिल रहा है. जिले के 6 प्रखंड- कुर्सेला, बरारी, मनिहारी, अमदाबाद, मनसाही और प्राणपुर बाढ़ से बुरी तरीके से प्रभावित हैं. बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में तकरीबन 5 लाख की आबादी प्रभावित है. कटिहार में गंगा, कोसी, बारांडी और कारी कोसी के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण बाढ़ से हालत गंभीर बने हुए हैं.
कटिहार में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए आज तक की टीम मंगलवार को मनिहारी प्रखंड के मेदिनीपुर गांव पहुंची तो देखा कि इलाके में पूरी तरीके से गंगा का पानी घर कर चुका है और पूरे गांव में 4 से 5 फीट पानी भरा हुआ है. लोगों को आने-जाने के लिए नाव के अलावा कोई साधन नहीं बचा है. हालांकि, लोगों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों को कोई नाव उपलब्ध नहीं कराई गई है और निजी नाव के भरोसे ही ग्रामीण गुजारा कर रहे हैं.
पूरे गांव में पानी घुसा हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी कई परिवार सुरक्षित स्थानों पर नहीं जाकर अपने घर में ही रह रहे हैं और उन्हें कोई भी जरूरी खाने-पीने की चीज चाहिए तो नाव के भरोसे ही वह बाजार जाते हैं और फिर वापस घर आ जाते हैं.
मोहम्मद सिराजुद्दीन का परिवार
मेदिनीपुर गांव का जायजा लेने के दौरान आज तक की टीम मोहम्मद सिराजुद्दीन के घर पहुंची जिनका घर पूरी तरीके से पानी में डूबा हुआ है.

मोहम्मद सिराजुद्दीन का आरोप है कि उनके घर में पिछले एक सप्ताह से पानी भरा हुआ है लेकिन स्थानीय प्रशासन या कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है.
आज तक की टीम जब मोहम्मद सिराजुद्दीन के घर किसी तरीके से नाव के सहारे पहुंची तो घर के अंदर दो फीट पानी भरा हुआ था. आज तक की टीम को देखकर मोहम्मद सिराजुद्दीन के आंसू नहीं रुके और वह फूट-फूट कर रोने लगे और अपनी दर्द भरी कहानी कैमरे पर बताई.
मोहम्मद सिराजुद्दीन अपने परिवार के साथ मेदिनीपुर गांव में रहते हैं लेकिन जब आज तक की टीम वहां पहुंची तो उन्होंने अपना दर्द बताया कि किस तरीके से हर साल उनके घर में गंगा का पानी घुस जाता है जिसकी वजह से पूरे परिवार को दो से तीन महीने मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
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डूब गया गांव का स्कूल
बाढ़ से बुरी तरीके से प्रभावित मेदिनीपुर गांव की ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हुए आज तक की टीम गांव के स्कूल पहुंची जहां पर देखा कि स्कूल का ग्राउंड फ्लोर पूरी तरीके से पानी में डूबा हुआ है. स्कूल तक पहुंचने के लिए आज तक की टीम एक जुगाड़ की नाव पर बैठकर वहां पहुंची.

स्कूल का ग्राउंड फ्लोर क्योंकि पूरी तरीके से जलमग्न हो चुका है तो कुछ परिवार ऐसे भी मिले जो स्कूल के पहले माले पर आसरा लिए हुए थे. पहले माले पर बाढ़ पीड़ितों के साथ-साथ मवेशी भी आसरा लिए हुए देखे गए.
स्थानीय प्रशासन हालांकि दावा कर रहा है कि बाढ़ पीड़ित इलाकों में उन लोगों ने 16000 परिवारों को पॉलिथीन उपलब्ध करवाया है और कई स्थानों पर सामुदायिक किचन की भी शुरुआत की है मगर फिर भी बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन और सरकार से काफी शिकायत है.