
Engine Cooling System Explained: जब मोटरसाइकिल के इग्निशन प्वाइंट में चाबी घुमाई जाती है या सेल्फ बटन दबाया जाता है तो केवल इंजन स्टार्ट नहीं होता है. बल्कि हीट, फ्रिक्शन और एनर्जी का एक जटिल खेल शुरू होता है. यह मैकेनिज़्म बाइक को रफ्तार देता है, लेकिन उसी स्पीड के साथ उत्पन्न होती है जबरदस्त गर्मी. यदि इस गर्मी को समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह हीट न केवल इंजन के पावर को खत्म कर सकती है बल्कि इंजन सीज़ भी हो सकता है.
दरअसल, किसी इंजन के स्टार्ट होने में फ्यूल और एयर का मिस्क्चर एक सिलेंडर के भीतर काम करता है. इस सिलेंडर या चेंबर में असल मायने में आग दहक रही होती है. जो फ्यूल और एयर के मिक्सचर होता है. ये आग इतनी तेज होती है कि इससे निकलने वाली उष्मा एक भारी-भरकम मशीन (बाइक) को आगे बढ़ने की ताकत देती है. दिलचस्प ये है कि, आग और हवा का ये खेल तब तक चलता रहता है जब तक इंजन स्टार्ट रहता है.
हीट, फ्रीक्शन और एनर्जी के इसी संतुलन को बनाए रखने के लिए मोटरसाइकिलों में विभिन्न प्रकार के इंजन कूलिंग सिस्टम दिए जाते हैं. ताकि इंजन बिना रूके लंबी दूरी तक बाइक को पावर दे सके और आपका सफर बदस्तूर जारी रहे. कूलिंग सिस्टम किसी भी बाइक के पावर, परफॉर्मेंस और यहां तक की माइलेज को भी प्रभावित करता है.
बाइक के इंजन की चर्चा के दौरान आपको एयर, ऑयल या लिक्विड कूल्ड जैसे शब्द जरूर सुनने को मिलते हैं. दरअसल, ये तीनों इंजन में इस्तेमाल होने वाले 3 अलग-अलग तरह के इंजन कूलिंग सिस्टम (इंजन को ठंडा रखने की तकनीक) होते हैं. जो अपने पावर और परफॉर्मेंस के हिसाब से भिन्न तरह की बाइक्स में इस्तेमाल होते हैं. इनका काम करने का तरीका होता है और इनकी परफॉर्मेंस भी एक दूसरे से काफी अलग होती है. तो आइये विस्तार से समझते हैं कि, आखिर क्या होता है एयर कूल्ड, लिक्विड कूल्ड और ऑयल कूल्ड सिस्टम-

एयर-कूल्ड इंजन सबसे बेसिक और पारंपरिक कूलिंग सिस्टम है. इसमें इंजन को ठंडा करने के लिए केवल हवा का उपयोग किया जाता है. इस प्रकार के इंजन के सिलेंडर हेड और सिलेंडर ब्लॉक के चारों तरफ Fins (एल्युमिनियम के फिंस) लगे होते हैं. इससे फायदा यह होता है कि सिलेंडर हेड और सिलेंडर ब्लॉक का सरफेस एरिया बढ़ जाता है. इंजन के भीतर लगातार हो रहे कंबस्शन के दौरान इंजन सिलेंडर के अंदर जो हीट पैदा होती है वह सिलेंडर वॉल होते हुए इन फिंस तक पहुंचती है.
जब बाइक चलती है तब एटमॉस्फेरिक एयर इन फिंस से होकर गुजरती. इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि हवा इनमें फंसते हुए गुजरती है, ये एक तरह से ट्रैप का काम करते हैं. इससे ये फिंस इंजन से निकलने वाली हीट को हवा के जरिए ठंडा करते रहते हैं. बाइक चलती रहती है और इंजन ठंडा होता रहतर है. आमतौर पर लो-कंप्रेशन रेशियो वाले इंजन में ही एयर-कूल्ड सिस्टम का इस्तेमाल होता है.
सामान्यत: ये कूलिंग सिस्टम कम्यूटर और एंट्री लेवल बाइक्स में इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें बहुत ज्यादा पावर और स्पीड की जरूरत नहीं होती है. एयर-कूल्ड इंजन का मैकेनिज़्म बेहद ही सरल होता है, जिसके चलते ये किफायती भी होते हैं. इनका मेंटनेंस भी सस्ता होता है. एयर-कूल्ड सिस्टम आमतौर पर 100-125 सीसी इंजन क्षमता वाली बाइक्स में इस्तेमाल किया जाता है. जैसे हीरो स्प्लेंडर, होंडा शाइन, बजाज प्लैटिना और टीवीएस स्पोर्ट इत्यादि में आपको यही सिस्टम मिलता है.
खूबियां:
कमियाँ:

ऑयल-कूल्ड इंजन भी मूल रूप से हवा से ही ठंडा होता है लेकिन इसमें एक छोटा सा ऑयल-कूलर लगा होता है, जो इंजन ऑयल को भी ठंडा करता है. इस इंजन का प्रारूप भी एयर-कूल्ड इंजन जैसा ही होता है, यानी इनमें भी एल्युमिनियम के फिंस लगे होत हैं, लेकिन इस इंजन से दो पाइप निकलते हैं, जो एयर कूलर से कनेक्ट होते हैं. यानी दोनों पाइप के बीच में ये कूलर फिट किया जाता है. एक पाइप से इंजन ऑयल कूलर में जाता है और दूसरे पाइप से ठंडा हुआ ऑयल वापस इंजन की तरफ जाता है. ये प्रक्रिया सतत चलती रहती है और इंजन ठंडा होता रहता है.
हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि, ऑयल-कूल्ड इंजन सिस्टम उतना एफिशिएंटली काम नहीं करता है. इसकी जगह एयर-कूल्ड का ही इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन कुछ दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां इस टेक्नोलॉजी का बखूबी इस्तेमाल करती हैं, जिनमें बजाज ऑटो का नाम प्रमुख है. एयर-कूल्ड के मुकाबले इसका मैकेनिज़्म थोड़ा जटिल और महंगा है. तो इसका असर बाइक की कीमत पर भी देखने को मिलता है. इस कूलिंग सिस्टम का प्रयोग 150 सीसी से 250 सीसी इंजन क्षमता वाली बाइक्स में किया जाता है. आमतौर पर ये सिस्टम बजाज पल्सर 220 एफ, सुजुकी जिक्सर जैसी बाइक्स में मिलता है.
खूबियां:
कमियाँ:

लिक्विड कूल्ड इंजन, एयर कूल्ड और ऑयल कूल्ड इंजन की तुलना में बेहतरीन कूलिंग प्रदान करते हैं. क्योंकि इस सिस्टम में टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए स्पेशल कूलैंट (Coolant) का उपयोग किया जाता है. कूलैंट को रेडिएटर, वॉटर पंप और थर्मोस्टेट सिस्टम के माध्यम से सर्कुलेट किया जाता है. जैसे ही यह कूलेंट इंजन के गर्म हिस्सों से गुजरता है, यह उस गर्मी को सोख लेता है. यह सिस्टम कारों की तरह होता है और सबसे प्रभावी कूलिंग प्रदान करता है.
लिक्विड कूल इंजन के सिलेंडर ब्लॉक और सिलेंडर हेड में वाटर जैकेट्स बने होते हैं. इसी वाटर जैकेट्स के अंदर कूलेंट को सर्कुलेट किया जाता है. यह कूलेंट में एंटी करोजिव और एंटी फ्रीजिंग एडिटिव्स होते हैं जो कूलेंट को जमने से और इंटर्नल कंपोनेंट्स को रस्टिंग यानी जंगन लगने से भी बचाते हैं.
जब बाइक चल रही होती है तब यह कूलेंट वाटर जैकेट्स के अंदर घूमते हुए इंजन की गर्मी को कैरी करता है और इसके बाद ठंडा होने के लिए रेडिएटर तक ले जाता है.
रेडिएटर में पतले-पतले कैपिलरी ट्यूब्स लगे होते हैं जो कूलैंट का सरफेस एरिया को बढ़ा देते हैं. जब रेडिएटर फिंस में हवा लगती है तब इंजन की हीट कूलैंट से एटमॉस्फियर में डिसीपेट हो जाता है. रेडिएटर की दूसरी पाइप की मदद से यह लो टेंपरेचर वाला कूलैंट को वापस से इंजन के वाटर जैकेट्स के अंदर भेज दिया जाता है. यह प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहती है, साथ ही एक थर्मोस्टेट वाल्व यह सुनिश्चित करता है कि कूलेंट सही तापमान पर ही रेडिएटर में जाए. आमतौर पर जितने भी हाई कंप्रेशन रेशियो वाले इंजन होते हैं उनमें लिक्विड कूलिंग सिस्टम का ही इस्तेमाल होता है, जैसे केटीएम आरसी 390, यामहा आर 15, टीवीएस अपाचे आरआर 310 इत्यादि.
खूबियां:
खामियां
अब लगभग आप समझ गए होंगे कि, आखिर इन तीनों तरह कूलिंग सिस्टम में क्या अंतर होता है. अब बारी है आपके लिए चुनाव की... आखिर आपके लिए किस तरह का इंजन और कूलिंग सिस्टम सही होगा. यदि आप रोजाना कम दूरी (तकरीबन 50 से 100 किमी) तक की यात्रा करते हैं और रूक-रूक कर चलते हैं, साथ ही लो-स्पीड में भी आपका काम सकता है. तो एयर-कूल्ड इंजन वाली बाइक्स आपके लिए बेहतर विकल्प होंगे. ये किफायती होने के साथ-साथ लो-मेंटनेंस और सबसे ज्यादा माइलेज देते हैं.
वहीं यदि आप थोड़ी स्पीड और बेहतर परफॉर्मेंस चाहते हैं तो ऑयल-कूल्ड इंजन पर विचार कर सकते हैं. इसकी कूलिंग एयर-कूल्ड के मुकाबले थोड़ी बेहतर होती है, लेकिन यहां आपको माइलेज से समझौता करना पड़ेगा. इस तरह के इंजन से लैस बाइक्स की कीमत एयर-कूल्ड की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है और इनका मेंटनेंस भी महंगा है.
इसके अलावा यदि आप खुद को माइलेज और बज़ट से दूर रखते हैं तो लिक्विड-कूल्ड इंजन वाली बाइक्स सबसे बेहतर विकल्प होंगी. लंबी दूरी की यात्राओं के लिए इन बाइक्स को बेस्ट माना जाता है. क्योंकि इनका इंजन जल्दी गर्म नहीं होता है और सैकड़ों किलोमीटर की लगातार राइड के बावजूद भी इनके परफॉर्मेंस पर असर नहीं पड़ता है.