लखनऊ: घर के सामने खेल रहे बच्चों पर पड़ोसी ने चढ़ाई कार, एक की पसलियां टूटीं, ICU में रहा एडमिट; 8 दिन बाद हुई FIR

शुरुआत में पीड़ित परिवार को यह एक सामान्य हादसा लगा, लेकिन जब CCTV फुटेज देखी गई तो साफ हुआ कि यह घटना किसी दुर्घटना से ज्यादा, सुनियोजित तरीके से की गई वारदात थी. वहीं, पुलिस ने एफआईआर लिखने में देरी की.

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बच्चों को टक्कर मारती कार सीसीटीवी में कैद (Photo: ITG) बच्चों को टक्कर मारती कार सीसीटीवी में कैद (Photo: ITG)

अंकित मिश्रा

  • लखनऊ ,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

लखनऊ के आशियाना इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. पड़ोसी की कार से टक्कर लगने से साढ़े पांच साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया. तीन दिन तक बच्चा आईसीयू में जिंदगी और मौत से जूझता रहा. हैरानी की बात यह है कि घटना के 8 दिन बाद पुलिस ने केस दर्ज किया. 

मामला सेक्टर आई आशियाना का है. यहां हरिद्वार पांडेय, जो स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हैं, अपने बेटे अंकित (बैंक कर्मचारी) और बहू के साथ रहते हैं. हरिद्वार ने बताया कि 10 अगस्त को उनका पोता शौविक पांडेय घर के बाहर खड़ा था. उसी वक्त पड़ोसी विनय उपाध्याय का बेटा कुशल सौमिल भी वहीं मौजूद था. 

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इसी दौरान सामने रहने वाले सीएल वर्मा का बेटा शिवांश वर्मा तेज रफ्तार कार लेकर आया और शौविक को टक्कर मार दी. हादसा इतना जोरदार था कि कुशल दूर जाकर गिरा, जबकि शौविक घर का गेट तोड़कर अंदर गिरा. इस हादसे में शौविक की कॉलर बोन और पसलियां टूट गईं. 

ICU में जिंदगी और मौत से जूझा मासूम

परिवार ने बच्चे को तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया. वहां उसकी हालत गंभीर थी और करीब तीन दिन तक वह आईसीयू में रहा. फिलहाल बच्चा घर लौट आया है, लेकिन अब भी इलाज जारी है. देखें वीडियो- 

CCTV फुटेज ने खोली पोल

शुरुआत में परिवार को यह एक सामान्य हादसा लगा, लेकिन जब CCTV फुटेज देखी गई तो साफ हुआ कि यह घटना किसी दुर्घटना से ज्यादा, सुनियोजित तरीके से की गई वारदात थी. 

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सवालों में आरोपी परिवार का रवैया

हरिद्वार पांडेय का कहना है कि हादसे के बाद न तो सीएल वर्मा और न ही उनका बेटा अस्पताल हालचाल लेने पहुंचे. उल्टा उन्होंने बच्चे की गलती बताकर परिवार को गुमराह करने की कोशिश की. 

पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के बाद बातचीत के नाम पर वर्मा परिवार ने अपने घर बुलाया. वहां पहले से कई लोग मौजूद थे और बाद में और लोग आ गए. बातचीत के दौरान उन्हें धमकाने की कोशिश की गई और कहा गया कि गलती बच्चे की थी क्योंकि वह सड़क पर खेल रहा था. 

पुलिस पर परिवार ने लगाए ये आरोप

हरिद्वार पांडेय ने बताया कि उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कराई लेकिन पुलिस कार्रवाई करने की बजाय उन्हें टहलाती रही. उनसे जबरन कागजों पर साइन करवाए गए और आरोपी को समय दिया गया. 

परिवार का आरोप है कि पुलिस ने तहरीर बदलवाई और तारीख भी दबाव डालकर बदलवाई. अंततः रविवार देर रात जाकर मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं, इस मामले पर इंस्पेक्टर आशियाना का कहना है कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार जब थाने पहुंचा, तभी उनकी तहरीर पर तुरंत मुकदमा लिखा गया. उधर, मामला संज्ञान में आते ही डीसीपी आशीष श्रीवास्तव ने भी परिवार से मुलाकात की. डीसीपी ने उचित कार्रवाई करने का आश्वाशन दिया है. 

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