पहाड़ों का रोमांच न बन जाए परेशानी, ट्रेक पर जाने वालों के लिए ये 5 टिप्स हैं जरूरी

पहली बार बर्फ में ट्रेकिंग का उत्साह जितना रोमांच से भरा होता है, उतनी ही इसमें जोखिम की गुंजाइश भी रहती है. इसलिए विंटर ट्रेकिंग पर निकलने से पहले कुछ जरूरी बातों को समझ लेना बेहद अहम है, ताकि आपकी पहली बर्फीली यात्रा यादगार बने, न कि परेशानी की वजह.

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बर्फ में पहली ट्रेकिंग के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स (Photo: Pexels) बर्फ में पहली ट्रेकिंग के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

सर्दियों का मौसम आते ही हम सबके मन में पहाड़ों की सफेद चादर देखने की बेचैनी होने लगती है. मन करता है कि बस बैग पैक करें और निकल जाएं किसी ऐसी चोटी की ओर जहां चारों तरफ सिर्फ बर्फ ही बर्फ हो. अब आप में से कई लोग ऐसे होंगे जो पहली बार विंटर ट्रेकिंग का मन बना रहे हैं, लेकिन अंदर से थोड़े घबराए हुए भी हैं. घबराहट वाजिब है, क्योंकि ये कोई पार्क की सैर नहीं है, ये पहाड़ हैं, वह भी जमा देने वाली ठंड वाले. लेकिन यकीन मानिए, अगर आपकी तैयारी पक्की है और प्लानिंग स्मार्ट, तो ये अनुभव आपकी जिंदगी का सबसे शानदार हिस्सा बन जाएगा. चलिए, जानते हैं उन जरूरी बातों की जो पहली बार बर्फ में कदम रखने वाले हर मुसाफिर को गांठ बांध लेनी चाहिए.

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पहाड़ों में पहली बार जा रहे हैं तो सीधा एवरेस्ट फतेह करने का सपना देखना बहादुरी नहीं, थोड़ी नादानी है. विंटर ट्रेकिंग में सबसे बड़ी समझदारी यही है कि आप अपने लिए एक आसान और सुरक्षित रास्ता चुनें. कठिन और अनजाने रास्तों पर जाने के बजाय उन ट्रेक्स को प्राथमिकता दें जहां रास्ते साफ हों और आसपास सहायता केंद्र या गांव मौजूद हों.

शुरुआत हमेशा आसान रास्तों से कीजिए

अगर आप पहली बार जा रहे हैं, तो केदारकांठा, ब्रह्मताल या हर की दून जैसे रास्ते आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. ये रास्ते आपको बिना ज्यादा थकाए उन खूबसूरत चोटियों तक ले जाते हैं जिनकी तस्वीरें आप शोसल मीडिया पर देखते हैं. याद रखिए, आपके शरीर को पहाड़ों की पतली हवा और उस जमा देने वाली ठंड के साथ तालमेल बिठाने में वक्त लगता है. धीरे-धीरे की गई ये शुरुआती चढ़ाइयां ही आपको भविष्य के बड़े कारनामों के लिए तैयार करती हैं.

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अक्सर लोग सोचते हैं कि पहाड़ों पर तो बस पैदल ही तो चलना है, इसमें ट्रेनिंग कैसी? यहीं मात खा जाते हैं. पहाड़ों की चढ़ाई दिखने में जितनी आसान लगती है, फेफड़ों और पैरों का उतना ही इम्तिहान लेती है. इसलिए समझदारी इसी में है कि पहाड़ों पर निकलने से कम से कम एक महीना पहले से ही आप अपने शरीर की सर्विसिंग शुरू कर दें.

अगर आप रोजाना 30 मिनट दौड़ते हैं, साइकिल चलाते हैं या स्विमिंग करते हैं, तो यकीन मानिए पहाड़ों की चढ़ाई आपके लिए सजा नहीं बल्कि मजा बन जाएगी. अगर आप सुस्त हैं, तो घुटनों और पैरों को मजबूत बनाने में जुट जाइए. इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि पीठ पर थोड़ा वजन लादकर सीढ़ियां चढ़ने या ढलानों पर चलने की प्रैक्टिस करें.

यह सब इसलिए जरूरी है क्योंकि जब आप गहरी बर्फ में उतरेंगे और हर कदम पर पैर धंसेंगे, तब आपकी यही पुरानी मेहनत और स्टैमिना ही आपको सहारा देगी. फिटनेस अच्छी होगी तो आप वहां सिर्फ बचने की कोशिश नहीं करेंगे, बल्कि पहाड़ों की असली खूबसूरती का जी भरकर आनंद उठा पाएंगे. याद रखिए, ठंडे मौसम में शरीर को खुद को गर्म रखने के लिए भी एक्स्ट्रा एनर्जी की जरूरत होती है, इसलिए तैयारी में कोई भी ढिलाई आपको भारी पड़ सकती है.

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पहाड़ों पर खराब मौसम में वापसी करना ही बुद्धिमानी है (Photo: Pexels)

बर्फ में शरीर गर्म रखने का अचूक तरीका

सर्दियों में ट्रेकिंग के दौरान अगर कोई आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, तो वो हैं आपके गलत कपड़े. अक्सर लोग जोश-जोश में एक बहुत भारी-भरकम जैकेट पहन लेते हैं और उन्हें लगता है कि बस अब ठंड उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी. लेकिन, पहाड़ों पर यह तरीका पूरी तरह फेल हो जाता है. क्योंकि ट्रेकिंग का असली गुरुमंत्र है लेयरिंग. इसका सीधा सा मतलब है कि एक मोटा कोट लादने के बजाय कपड़ों की तीन अलग-अलग परतें पहनें. सबसे पहले शरीर से सटा हुआ थर्मल, उसके ऊपर एक गर्म फ्लीस या स्वेटर और सबसे आखिरी में एक ऐसी जैकेट जो हवा और पानी को रोक सके. इस तीन परतों वाले फॉर्मूले का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब आप चढ़ाई करेंगे और शरीर पसीने से गर्म होने लगेगा, तो आप एक परत उतार सकते हैं. वहीं जैसे ही आप सुस्ताने के लिए रुकेंगे और ठंड लगेगी, तो उसे वापस पहन सकते हैं.

एक और जरूरी बात गांठ बांध लीजिए, अपनी पैकिंग से जींस और सूती कपड़ों को पूरी तरह बाहर कर दें. ये कपड़े पसीना सोख लेते हैं और एक बार गीले हुए तो फिर सूखने का नाम नहीं लेते. ऐसे में ये आपके शरीर की गर्मी को सोखकर आपको बीमार कर सकते हैं. इसलिए पहाड़ों पर हमेशा ऐसे कपड़े पहनें जो हल्के हों और जल्दी सूख जाएं.

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हाइड्रेशन का रखें पूरा ख्याल

पहाड़ों की ऊंचाइयों पर जब बर्फीली हवाएं चेहरे को छूती हैं, तो एक अजीब सी दिक्कत पेश आती है, इस दौरान हमें प्यास का अहसास ही नहीं होता. लेकिन, यहीं पर शरीर धोखा खा जाता है और हम डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. दरअसल, ये ठंडी और शुष्क हवाएं आपके शरीर की नमी को बड़ी तेजी से चुराती हैं, इसलिए प्यास लगे या न लगे, हर थोड़ी देर में घूंट-घूंट पानी पीना बेहद जरूरी है. कोशिश करें कि अपने साथ एक इंसुलेटेड (गर्म पानी वाली) बोतल रखें, ताकि कंपाने वाली ठंड में पानी बर्फ जैसा ठंडा न हो जाए.

इसके साथ ही एक बात और समझ लीजिए, जैसे-जैसे आप ऊपर की ओर चढ़ाई करते हैं, आपके शरीर का इंजन ज्यादा ईंधन यानी एनर्जी की मांग करने लगता है. कड़ाके की ठंड में खुद को गर्म रखने के लिए हमारा शरीर दोगुनी तेजी से कैलोरी खर्च करता है. इसीलिए अपने बैग में मुट्ठी भर मेवे, चॉकलेट और एनर्जी बार्स जैसे स्नैक्स हमेशा तैयार रखें. हर एक घंटे में थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ खाते रहें ताकि आपकी ताकत का लेवल कभी नीचे न गिरे. याद रखिए, बर्फीले पहाड़ों पर सही समय पर पानी पीना और खाना ही आपकी असली सुरक्षा की गारंटी है.

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अपनी पहली बर्फीली यात्रा पर निकलते समय इस बात को गांठ बांध लें कि पहाड़ जितने खूबसूरत हैं, उतने ही अनिश्चित भी. इसीलिए पहली बार किसी ट्रेक पर जाने के लिए किसी ट्रेंड गाइड या अनुभवी पर्वतारोहण टीम का साथ होना सबसे सुरक्षित विकल्प है. ये गाइड वहां की जमीन, रास्तों के उतार-चढ़ाव और मौसम की बदलती चाल को एक विशेषज्ञ की नजर से समझते हैं. ट्रेक के दौरान आपका गाइड जो भी सुरक्षा नियम बताए, उसे पत्थर की लकीर मान लें.

एक बात और गांठ बांध लीजिए, पहाड़ों का मिजाज किसी चंचल मन की तरह होता है जो पल भर में बदल जाता है. हो सकता है कि अभी खिलखिलाती धूप निकली हो, लेकिन अगले ही पल वहां बर्फीला तूफान दस्तक दे दे. इसीलिए घर से निकलने से पहले और ट्रेक के दौरान भी मौसम के अपडेट्स पर पैनी नजर रखें. अगर कभी आपको लगे कि हालात बिगड़ रहे हैं या मौसम खतरनाक मोड़ ले रहा है, तो वहां किसी भी तरह की बहादुरी दिखाने या जिद पर अड़ने के बजाय अपनी योजना बदलने के लिए तुरंत तैयार रहें. याद रखिए, पहाड़ों की दुनिया में समझदारी से कदम पीछे खींच लेना हार नहीं, बल्कि बुद्धिमानी है. 

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