पहले पहलगाम आतंकी हमला, अब लेह में कर्फ्यू से टूरिज्म पर संकट, रद्द हो रहीं बुकिंग

लद्दाख जो हर साल टूरिस्टों से गुलजार रहता था पिछले कुछ दिनों से हो रही घटनाओं की वजह से टूरिस्ट यहां आने से कतरा रहे हैं. पहलगाम हमले के बाद पहले ही यहां लोग नहीं जा रहे थे और अब हिंसा से हालात और बिगड़ गए हैं.

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लद्दाख में टूरिज़्म पर दोहरी मार (Photo: Pixabay) लद्दाख में टूरिज़्म पर दोहरी मार (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

लद्दाख का पर्यटन क्षेत्र एक बार फिर गहरे संकट में है. इस सीज़न की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले के कारण बड़े पैमाने पर बुकिंग रद्द होने के बाद, अब लेह में हुई हिंसा और उसके बाद लगे कर्फ्यू ने इसे एक और तगड़ा झटका दिया है. यात्रियों का भरोसा डगमगा गया है, जिससे लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी ख़तरे में पड़ गई है.

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पर्यटन उद्योग को सबसे पहले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर रद्द हुई बुकिंग से नुकसान हुआ था, और इन नई अशांतियों ने यात्रियों के विश्वास को और कमज़ोर कर दिया है. यहां की टूरिज्म सेक्टर आतंकी घटनाओं से पहले ही उबरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हिंसा और कर्फ्यू ने एक बार और झटका दिया है.  

लोग करा रहे बुकिंग कैंसिल

शनिवार दोपहर को दो चरणों में चार घंटे की छूट को छोड़कर, सोमवार को लगातार छठे दिन भी शहर में सख्त कर्फ्यू लागू रहा और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं. इसके कारण बुकिंग रद्द होने लगी है और पर्यटकों और स्थानीय हितधारकों (stakeholders) के लिए कठिनाइयां पैदा हो गई हैं.

एक होटल मैनेजर नसीब सिंह ने पीटीआई को बताया कि पिछले एक सप्ताह से एडवांस बुकिंग लगभग रोज़ाना रद्द हो रही हैं. उन्होंने कहा कि लगभग एक दशक में पहली बार उन्हें लेह में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पर्यटक और स्थानीय लोग दोनों मुश्किल में हैं. 

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दुकानें बंद, सामान की कमी

बुधवार से कस्बा बंद होने के कारण आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है, जिससे स्थानीय लोगों और राजधानी में फंसे पर्यटकों दोनों को कठिनाई हो रही है. स्थानीय ट्रांसपोर्टर रिगज़िन दोर्जे ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के कारण भी लद्दाख का पर्यटन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ था. दोर्जे के अनुसार, पहलगाम की घटना ने लद्दाख पर्यटन को लगभग पंगु कर दिया था. मेहमान 'ऑपरेशन सिंदूर' (जो 7 मई को लॉन्च किया गया था) के एक महीने बाद ही आना शुरू हुए थे, लेकिन अब यह नई घटना एक बार फिर भारी पड़ी है.

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होटलों में फंसे विदेशी और घरेलू पर्यटक

कर्फ्यू और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन ने पर्यटकों की निराशा बढ़ा दी है. ताइवान की पर्यटक शीना ने बताया कि उनके आने पर सब कुछ बंद मिला. वह न तो अपनी मुद्रा बदल पाईं और न ही खाना खरीद पाईं. पैंगोंग झील घूमने की उनकी योजना भी परमिट न मिलने के कारण धरी रह गई.

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दिल्ली से लेह पहुंचीं अर्पणा दास और अन्य पर्यटक बाजारों को बंद देखकर और इंटरनेट सेवाएं ठप होने से निराश हैं. पर्यटकों ने कहा, "हम लद्दाख के पहाड़ और मठ देखने आए थे, लेकिन अब हम अपने कमरों में फंसे हुए हैं." स्थानीय होटल व्यवसायी जल्द सामान्य स्थिति बहाल होने की प्रार्थना कर रहे हैं, क्योंकि अनिश्चितता का हर दिन हजारों परिवारों की आय का नुकसान है जो पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर हैं. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि आगे की अशांति को रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना ज़रूरी था, लेकिन उम्मीद है कि यह जल्द ही समाप्त हो जाएगा.

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