खुल गई NISAR की छतरी... अब धरती की निगरानी के लिए तैयार, देगा आपदाओं की जानकारी

नासा और इसरो के संयुक्त मिशन #NISAR ने बड़ा कीर्तिमान हासिल किया. इसका 12 मीटर का रडार एंटीना अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया, जो धरती के बदलाव मापेगा. 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ यह उपग्रह ग्लेशियर, भूकंप और जंगलों पर नजर रखेगा. यह मिशन इस साल के अंत में डेटा देगा, जो आपदाओं और खाद्य सुरक्षा में मदद करेगा.

Advertisement
निसार का छतरीनुमा रडार खुल गया है. अब धरती की निगरानी आसान हो जाएगी. (Photo: NASA) निसार का छतरीनुमा रडार खुल गया है. अब धरती की निगरानी आसान हो जाएगी. (Photo: NASA)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

नासा और इसरो के संयुक्त धरती-निगरानी उपग्रह मिशन NISAR ने एक बड़ा कीर्तिमान हासिल किया है. इस मिशन का विशाल रडार एंटीना रिफ्लेक्टर अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया है, जिसकी पुष्टि @NASAJPL ने की है. यह मील का पत्थर है, जो इसे धरती के बदलते सतह का सटीक अध्ययन करने के लिए तैयार करता है. आइए, समझते हैं कि यह मिशन क्या है. कैसे काम करता है. इसका फायदा क्या होगा.

Advertisement

NISAR क्या है?

NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) एक ऐसा उपग्रह है, जो धरती की सतह पर होने वाले बदलावों को मापने के लिए बनाया गया है. इसे 30 जुलाई 2025 को भारत के श्रीहरिकोटा से इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. यह उपग्रह धरती के ज्यादातर इलाकों को हर 12 दिन में दो बार स्कैन करेगा. इसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और खाद्य-पानी की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जानकारी देना है.

यह भी पढ़ें: 46 साल में बादल फटने की सिर्फ 30 घटनाएं, इधर 9 साल में 8 भयानक तबाही के मंजर दिखे

एंटीना रिफ्लेक्टर का सफल खुलना

NISAR का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इसका 12 मीटर व्यास का ड्रमनुमा रडार एंटीना रिफ्लेक्टर है. इसे लॉन्च के बाद सिकुड़ा हुआ रखा गया था. 9 अगस्त से 13 अगस्त तक इसे 9 मीटर के बूम पर धीरे-धीरे खोला गया. फिर 15 अगस्त को छोटे विस्फोटक बोल्ट फायर किए गए, जिससे यह "ब्लूम" प्रक्रिया शुरू हुई. यह प्रक्रिया एक छाता खोलने जैसी है, जिसमें तनाव छोड़कर एंटीना खुला और मोटर-केबल की मदद से अंतिम स्थिति में लॉक हो गया.

Advertisement

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के प्रोजेक्ट मैनेजर फिल बेरेला ने कहा कि यह नासा का अब तक का सबसे बड़ा एंटीना रिफ्लेक्टर है. इसे अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुलते देखना सालों की डिजाइन, टेस्टिंग और सहयोग का नतीजा है. यह एंटीना 64 किलोग्राम वजनी है. 123 कम्पोजिट स्ट्रट्स और सोने की परत वाली जाल से बना है.

यह कैसे काम करता है?

इस एंटीना की मदद से NISAR धरती की सतह में होने वाले बदलावों को सेंटीमीटर तक माप सकता है, चाहे मौसम बादल भरा हो, अंधेरा हो या जंगल हों. इसमें दो रडार सिस्टम हैं...

  • एल-बैंड रडार: जो बादलों और जंगलों को भेदकर काम करता है.
  • एस-बैंड रडार: जो हल्की वनस्पति और बर्फ में नमी को मापता है.

इसे "इंटरफेरोमेट्रिक SAR इमेजिंग" तकनीक से लैस किया गया है, जो समय के साथ ली गई रडार तस्वीरों की तुलना करके जमीन में सूक्ष्म बदलाव दिखाती है. यह तकनीक 3D मूवी जैसी तस्वीरें बनाती है, जो पारंपरिक रडार से संभव नहीं है.

यह भी पढ़ें: B-2 Bomber: 16 एटम बम लादने वाला बी-2 बॉम्बर... जिससे ट्रंप ने पुतिन का किया अलास्का में वेलकम

NISAR का उद्देश्य और फायदा

NISAR धरती के कई पहलुओं पर नजर रखेगा...

  • ग्लेशियर और बर्फ: हिमनदों के हिलने और पिघलने की जानकारी देगा.
  • भूकंप और ज्वालामुखी: भूकंप के फॉल्ट जोन और ज्वालामुखी के बदलाव मापेगा.
  • जंगल और दलदल: वनस्पति, गीले इलाकों और पारिस्थितिकी में बदलाव दिखाएगा.
  • प्राकृतिक आपदा: बाढ़, भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोट की चेतावनी देगा.
  • खाद्य और पानी सुरक्षा: फसलों और पानी के स्रोतों की निगरानी करेगा.

नासा की अर्थ साइंस डिवीजन की निदेशक करेन सेंट जर्मेन कहती हैं कि यह मिशन हमें धरती के गतिशील सिस्टम को समझने में मदद करेगा. यह डेटा समुदायों और फैसलों को सशक्त करेगा, जिससे बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, आपदाओं से निपटा जा सकेगा और खाद्य-पानी की सुरक्षा बढ़ेगी. 

Advertisement

NISAR का इतिहास और भविष्य

NISAR JPL की रडार तकनीक की विरासत को आगे बढ़ाता है, जो 1978 के सीसैट मिशन और 1990 के मैगलन मिशन (जिसने शुक्र की सतह को मैप किया) से शुरू हुई. अब जब एंटीना खुल गया है, तो सिस्टम की अंतिम जांच चल रही है. JPL के मुताबिक, यह मिशन इस साल के अंत में (लेट फॉल) से डेटा देना शुरू कर देगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement