भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2 नवंबर 2025 को अपनी शक्तिशाली LVM3 रॉकेट से CMS-03 कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च करेगा. यह LVM3 का 5वीं ऑपरेशनल फ्लाइट (LVM3-M5) होगी. CMS-03 भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह होगा, जिसका वजन लगभग 4,400 किलोग्राम है.
यह उपग्रह समुद्री इलाकों और भारतीय भूमि पर संचार सेवाएं देगा. पिछला LVM3 मिशन ने चंद्रयान-3 को चांद पर भेजा था, जहां भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल लैंडिंग की थी.
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LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) ISRO की सबसे ताकतवर रॉकेट है, जिसे 'बाहुबली' भी कहा जाता है. यह तीन चरणों वाली मध्यम-भारी लिफ्ट रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेज सकती है.
क्यों खासः LVM3 भारत की स्वदेशी तकनीक का प्रतीक है. यह 4 टन तक के उपग्रह GTO में भेज सकती है, जो PSLV या GSLV Mk-II से ज्यादा है. पहले विदेशी रॉकेट्स पर निर्भरता थी, लेकिन अब ISRO खुद बड़े उपग्रह लॉन्च करता है.
विकास: 2000 के दशक में शुरू. पहली सफल फ्लाइट 2014 में. अब तक 7 सफल मिशन.
पिछला मिशन: LVM3-M4 ने जुलाई 2023 में चंद्रयान-3 लॉन्च किया. विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की. इससे भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बना.
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यह रॉकेट उड़ान के दौरान अलग-अलग चरणों में काम करता है. पहले दो मिनट में बूस्टर जलते हैं. फिर कोर स्टेज. आखिर में अपर स्टेज उपग्रह को सही कक्षा में छोड़ता है. पूरी उड़ान 20-25 मिनट की होती है.
CMS-03 (कम्युनिकेशन सैटेलाइट-03) एक मल्टी-बैंड संचार उपग्रह है, जो GSAT-7R या GSAT-N2 के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है (रक्षा मंत्रालय द्वारा फंडेड), जो समुद्री इलाकों में सुरक्षित संचार देगा. वजन 4,400 किलोग्राम का यह उपग्रह भारत से GTO में लॉन्च होने वाला सबसे भारी संचार सैटेलाइट होगा.
क्या करेगा? यह Ka-बैंड हाई-थ्रूपुट (HTS) तकनीक से काम करेगा. 40 बीम्स (सिग्नल कवरेज एरिया) के साथ 70 Gbps (गीगाबिट प्रति सेकंड) स्पीड देगा. भारतीय महासागर, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और भारतीय भूमि पर सेवाएं – जैसे वॉयस, डेटा, वीडियो कॉल, नेविगेशन और सैन्य कम्युनिकेशन.
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कब तक काम करेगा: 14-15 साल. GEO (36,000 किमी ऊंचाई) में स्थापित होगा, जहां से हमेशा एक ही जगह दिखेगा.
तकनीक: एडवांस ट्रांसपोंडर (सिग्नल भेजने वाले), सोलर पैनल (बिजली के लिए) और बैटरी. यह मौसम-रोधी और सुरक्षित है. दुश्मन जैमिंग से बचेगा.
महत्व: नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और तट रक्षकों को रीयल-टाइम कनेक्टिविटी. आपदा प्रबंधन, मछली पकड़ने और पर्यटन में भी मदद.
ऋचीक मिश्रा