gajanana Sankashti Chaturthi 2025: गजानन संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Gajanana Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अगस्त की सुबह 08 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अगस्त की सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि चतुर्थी का चंद्र दर्शन 12 अगस्त, मंगलवार को होगा. इसलिए 12 अगस्त को ही भादो की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.

Advertisement
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025 गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

gajanana Sankashti Chaturthi 2025: भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय भाद्रपद माह चल रहा है. यह महीना बेहद पावन माना जाता है. भादो मास में कई प्रमुख व्रत-त्योहार आते हैं. इन्हीं में से एक है हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी से होती है. यह त्योहार भादो माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है.

गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Gajanana Sankashti Chaturthi 2025 Time)

Advertisement

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अगस्त की सुबह 08 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अगस्त की सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि चतुर्थी का चंद्र दर्शन 12 अगस्त, मंगलवार को होगा. इसलिए 12 अगस्त को ही भादो की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. वहीं, ज्योतिष की मानें तो इस दिन सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है. 

गजानन संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Gajanana Sankashti Chaturthi Significance)

मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. जो जातक पूरे श्रद्धाभाव के साथ गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है, गणेश जी उसपर अपनी कृपा बरसाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

Advertisement

गजानन चतुर्थी पूजन विधि (Gajanana Sankashti Chaturthi Pujan Vidhi)

इस खास दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद एक साफ जगह पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें और उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं. साथ हीलाल रंग के फूल और दूर्वा अर्पित करें. माना जाता है कि दूर्वा गणेश जी को बहुत ही प्रिय है.

फिर गणेश जी के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं. उन्हें मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई का भोग लगाएं. साथ ही संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें और गणेश जी की आरती करें. इस दिन रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें और अर्घ्य देते समय ‘ॐ चंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करें. इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत खोलें.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement