'जंगलराज' का जिक्र हुए बगैर बिहार में कोई भी चुनाव नहीं होता. जंगलराज का जिक्र नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले शुरू हुआ था, और अब तक जारी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिद्दत से बिहार में लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन काल को जंगलराज बोल कर हमला करते रहे हैं.
नीतीश कुमार के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी के नेता भी जंगलराज के नाम पर पहले लालू यादव और अब तेजस्वी यादव को घेरते रहे हैं. ये सिलसिला तब भी जारी है, जब तेजस्वी यादव जंगलराज के आरोपों के लिए माफी भी मांग चुके हैं - प्रशांत किशोर अब जंगलराज के दायरे में राहुल गांधी को भी लाने की कोशिश कर रहे हैं.
बिहार में पहली बार कांग्रेस को भी जंगलराज से जोड़ने की कोशिश हो रही है, और ये बीड़ा उठाया है जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने. ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बिहार में जंगलराज के लिए माफी मांगने को कह रहे हैं.
प्रशांत किशोर के इस कैंपेन का फायदा तो उनसे ज्यादा नीतीश कुमार और बीजेपी भी उठा सकते हैं - अब सवाल ये है कि राहुल गांधी को जंगलराज के कठघरे में खड़ा कर प्रशांत किशोर क्या हासिल करना चाहते हैं?
जंगलराज का जिन्न और निशाने पर राहुल गांधी
प्रशांत किशोर के कांग्रेस और राहुल गांधी को जंगलराज के नाम पर निशाना बनाने की वजह है, आरजेडी के साथ बिहार के महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक में होना. कांग्रेस भले ही तेजस्वी यादव को बिहार में विपक्षी गठबंधन का चेहरा घोषित करने में हीलाहवाली कर रही हो, लेकिन महागठबंधन के बैनर तले ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात की है. अब तक यही बताया गया है, कोई नया अपडेट नहीं है.
जन सुराज पार्टी नेता प्रशांत किशोर का कहना है कि कांग्रेस के समर्थन से लालू प्रसाद यादव ने बिहार में 15 साल तक जंगलराज चलाया. साथ ही, राहुल गांधी से प्रशांत किशोर का ये भी सवाल है कि कांग्रेस के 45 साल के शासन में बिहार देश का सबसे गरीब राज्य क्यों बना रहा? कहते हैं, जब देश के दूसरे राज्य तरक्की कर रहे थे, तब भी बिहार पिछड़ता गया.
राहुल गांधी के बिहार में कानून व्यवस्था का मुद्दे उठाने पर प्रशांत किशोर पूछने लगते हैं, राहुल गांधी अब अपराध की बात करते हैं... लेकिन, जब लालू प्रसाद का जंगलराज जोरों पर था, तब वो कहां थे? उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ थी... तब उन्होंने कानून व्यवस्था का मुद्दा क्यों नहीं उठाया?'
अब जबकि राहुल गांधी बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा शुरू करने वाले हैं, रोहतास पहुंचे प्रशांत किशोर कह रहे हैं, राहुल गांधी को बिहार आने से पहले जंगलराज के लिए माफी मांगनी चाहिए.
प्रशांत किशोर के निशाने पर राहुल गांधी क्यों?
जन सुराज अभियान की शुरुआत से देखें तो प्रशांत किशोर भले चुनावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर टिप्पणी करते रहे हों, लेकिन बराबर उनके निशाने पर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार को ही देखा गया है. बीच बीच में जेडीयू के साथ साथ बीजेपी को भी लपेट लेते हैं, लेकिन फोकस नीतीश कुमार पर ही रहा है.
कुछ दिनों से प्रशांत किशोर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बिहार दौरे पर भी सवाल उठाने लगे हैं. देखा जाए तो राहुल गांधी ने बिहार दौरा तभी शुरू कर दिया था, जब दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे. और उसके बाद से तो बिहार के कई कार्यक्रमों में अलग अलग मौकों पर हिस्सा लेते रहे हैं.
राहुल गांधी के बिहार की ताजा फिक्र को लेकर प्रशांत किशोर कह चुके हैं, राहुल गांधी को बिहार केवल चुनाव के समय ही क्यों याद आता है? चाहे राहुल गांधी हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वे चुनाव के दौरान यहां आते हैं और मतदान समाप्त होते ही गायब हो जाते हैं.
एक बार प्रशांत किशोर ने पूछा भी था, क्या राहुल गांधी ने कभी बिहार के किसी गांव में एक रात भी बिताई है? भाषण देना आसान है... लोगों के साथ रहना, और उनका दर्द समझना कुछ और ही है. प्रशांत किशोर ने बिहार में जन सुराज यात्रा, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कुछ दिन बाद ही शुरू की थी.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का नाम लेकर भी वो राहुल गांधी पर हमला बोल चुके हैं. रेवंत रेड्डी ने एक बार बिहार के लोगों को लेकर एक टिप्पणी की थी. वो टिप्पणी वैसे तो राजनीतिक विरोधियों पर हमले का हिस्सा थी, लेकिन बिहार का नाम आने से प्रशांत किशोर ने उसे भी लपक लिया.
प्रशांत किशोर का कहना था, तेलंगाना में उनके मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हैं... पहले वो टीडीपी में थे... उससे पहले संघ और बीजेपी में थे... मुख्यमंत्री बनने के बाद आधिकारिक तौर पर उन्होंने कहा था कि मजदूरी करना तो बिहारियों के डीएनए में है... बिहारी मजदूर बनकर ही काम करने के लिए पैदा हुए हैं.
1. क्या प्रशांत किशोर का ये अपना स्टैंड है, जिसमें वो राष्ट्रीय स्तर पर खुद को पेश करने के लिए राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं. क्योंकि, ये काम न तो तेजस्वी यादव और न ही नीतीश कुमार को टार्गेट करके हो सकता है. वो क्षेत्रीय विमर्श बन कर ही रह जाएगा.
2. सवाल ये भी है कि राहुल गांधी से जंगलराज के लिए माफी मांगने की डिमांड से क्या प्रशांत किशोर किसी और को मदद पहुंचाना चाहते हैं. जंगलराज अब तक नीतीश कुमार का ही पसंदीदा और आजमाया हुआ कारगर चुनावी टूल-किट रहा है, प्रशांत किशोर इसे मुद्दा बनाकर आखिर क्या हासिल करना चाहते हैं - ऐसा करने से तो नीतीश कुमार को भी फायदा हो सकता है, जिनके खिलाफ वो बिहार में बदलाव की मुहिम चला रहे हैं.
3. क्या प्रशांत किशोर की ये डिमांड बीजेपी के लिए मददगार हो सकती है? जंगलराज का मुद्दा बीजेपी भी जोर शोर से उठाती आ रही है, और ये उसके लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो तेजस्वी यादव को जंगलराज का युवराज तक बुला चुके हैं - अब अगर प्रशांत किशोर जंगलराज का मुद्दा उठाएंगे तो माहौल तो बीजेपी के पक्ष में बनेगा ही. और, राहुल गांधी का नाम जोड़ देने पर तो अलग ही रंग नजर आएगा.
मृगांक शेखर