राहुल गांधी के लिए चुनावी हार से भी बड़ा झटका है लालू यादव का कांग्रेस से सपोर्ट वापस लेना | Opinion

राहुल गांधी को आखिरकार लालू यादव की नाराजगी भारी पड़ी है. बीस साल तक सोनिया गांधी के सपोर्ट में डटे रहे लालू यादव अब ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं. ममता बनर्जी को INDIA ब्लॉक का नेता बनाने के कल्याण बनर्जी के प्रस्ताव को लालू यादव ने एनडोर्स कर दिया है.

Advertisement
लालू यादव के ममता बनर्जी का सपोर्ट का मकसद राहुल गांधी पर दबाव बनाना लगता है. लालू यादव के ममता बनर्जी का सपोर्ट का मकसद राहुल गांधी पर दबाव बनाना लगता है.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रति लालू यादव की पार्टी आरजेडी के स्टैंड बदलने का संकेत तो तेजस्वी यादव के बयान से ही मिल गया था. लालू यादव का बयान तो महज उसी बात की पुष्टि कर रहा है. 

ममता बनर्जी को INDIA ब्लॉक का नेतृत्व सौंपे जाने के सवाल पर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना था, हमें ममता बनर्जी के गठबंधन को लीड किये जाने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन ये फैसला सर्वसम्मति से होगा - और अब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी वही बात दोहरा रहे हैं. 

Advertisement

आरजेडी नेता लालू यादव ने कहा है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेता चुना जाना चाहिये... कांग्रेस के विरोध का कोई मतलब नहीं है... ममता बनर्जी को ही नेता बनाया जाना चाहिये.

बीस साल पहले ये लालू यादव ही थे जो सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर सपोर्ट में खंभे की तरह खड़े हो गये थे. 2004 के आम चुनाव के बाद जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए का गठन हुआ, तो बीजेपी नेता सोनिया गांधी के खिलाफ मुहिम छेड़ दिये थे. बीजेपी को सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने से ऐतराज था, और इसके पीछे उनका विदेशी मूल का होना था. 

मुद्दा तो तभी खत्म हो गया जब सोनिया गांधी ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया, लेकिन लालू यादव के सपोर्ट को बहुत बड़े एहसान के तौर पर लिया, और अब तक दोनो ही तरफ से ये निभाया जाता रहा है. 

Advertisement

राहुल गांधी से नाराज होने के बावजूद लालू यादव हमेशा ही कांग्रेस के सपोर्ट में खड़े रहे, और उसकी एक वजह सोनिया गांधी रही हैं. सोनिया गांधी का ममता बनर्जी भी काफी सम्मान करती रही हैं, लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट के पश्चिम बंगाल में गठबंधन और अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष बनाये जाने से उनकी नाराजगी बढ़ती गई - और ममता बनर्जी ने कांग्रेस से दूरी बना ली. पहले जब भी दिल्ली पहुंचतीं, ममता बनर्जी 10, जनपथ जाकर सोनिया गांधी से मिलती जरूर थीं, लेकिन बाद में छोड़ दिया. 

राहुल गांधी से लालू यादव के नाराज होने की वजह

बहुत सारे कारण हैं. लालू यादव को सबसे ज्यादा बुरा तब लगा था जब राहुल गांधी ने कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में पहुंच कर एक ऑर्डिनेंस की कॉपी फाड़ कर विरोध जताया था. ये ऑर्डिनेंस दागी नेताओं के लिए एक तरह से प्रोटेक्शन वारंट जैसा था. तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, और कैबिनेट ने वो ऑर्डिनेंस पास किया था - मोटे तौर पर ऐसे भी समझ सकते हैं, कि राहुल गांधी की तरफ से वो एक्ट नहीं होता तो लालू यादव के चुनाव लड़ने का रास्ता बंद नहीं होता. कम से कम शुरुआती दौर में तो राहत मिल ही जाती, भले ही कानूनी लड़ाई चलती रहती. 

Advertisement

उसके बाद भी राहुल गांधी के कई फैसलों से लालू यादव चिढ़ते रहे, लेकिन बर्दाश्त भी करते रहे. लालू यादव किसी कीमत पर नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार कांग्रेस को कांग्रेस में लिया जाये, लेकिन उनका वश नहीं चला. लालू यादव किसी भी सूरत में ये नहीं चाहते कि बिहार में तेजस्वी यादव के सामने कोई युवा नेता उभर पाये, और उनके बेटे के लिए मुश्किलें खड़ी हो जायें. 2019 के आम चुनाव के दौरान भी कन्हैया कुमार की वजह से तेजस्वी यादव की शिक्षा-दीक्षा पर सवाल उठाया जा रहा था. अब तो प्रशांत किशोर रूटीन में ये काम कर रहे हैं. 
 
कन्हैया कुमार की ही तरह पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव का भी मामला रहा है. पप्पू यादव को हराने के लिए तेजस्वी यादव ने पूरी ताकत झोंक दी थी. लालू और तेजस्वी यादव मिल कर पप्पू यादव की जीत में रोड़ा तो नहीं बन सके, लेकिन कांग्रेस में तो शामिल नहीं ही होने दिया. 

सवाल है कि जब लालू यादव ये सब देख कर भी आंख मूंद ले रहे थे, तो अचानक कांग्रेस को लंबे समय से दे रहे सपोर्ट को वापस क्यों ले लिया?

लालू यादव के ताजा रवैये के पीछे आने वाला बिहार चुनाव माना जा रहा है. बताते हैं कि कांग्रेस बिहार में भी महाराष्ट्र की ही तरह विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटें लेने के लिए दबाव बना रही है. 

Advertisement

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ कर 19 सीटें जीती थी, और चुनाव नतीजे आने के बाद आरजेडी नेताओं ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर जोरदार हमला बोला था. आरजेडी और कांग्रेस के बीच बाद में उपचुनाव के दौरान भी एक बार तीखी नोक-झोंक हुई थी. तब लालू यादव ने कांग्रेस नेता भक्त चरण दास को लेकर विवादित बयान दे डाला था. मामला तब शांत हो सका जब लालू यादव और सोनिया गांधी ने फोन पर बात की.  

अब सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस बिहार में लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर सीटों के बंटवारे में दावेदारी जता रही है. देखा जाये तो कांग्रेस गठबंधन में आरजेडी के बराबर ही सीटें चाहती है. 

लोकसभा चुनाव में आरजेडी को चार सीटें मिली हैं, और कांग्रेस को तीन. लेकिन, पप्पू यादव के कांग्रेस के साथ होने के कारण वो अपने हिस्से में चार सीटें या आरजेडी के बराबर मान कर चल रही है. 

लालू यादव के हिसाब से उनका सब्र का बांध टूट गया है, और यही वजह लगती है कि लालू यादव ने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व के लिए ममता बनर्जी का सपोर्ट कर दिया है. ममता बनर्जी नेता बन पाएंगी या नहीं ये तो अलग बात है, लेकिन लालू यादव कांग्रेस पर दबाव बनाने में कामयाब तो हो ही जाएंगे. 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान लालू यादव जेल में थे, और सीटों के बंटवारे पर फाइनल मुहर तभी लगी जब प्रियंका गांधी को बीच-बचाव के लिए मैदान में कूदना पड़ा था. 

Advertisement

जो दिया था, लालू ने वही वापस लिया है

पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था, एक पैर से बंगाल जीतूंगी और दो पैरों से दिल्ली. नंदीग्राम की शिकस्त के बावजूद तृणमूल कांग्रेस की जीत पक्की करने के बाद ममता बनर्जी ने दिल्ली का दौरा किया था. निकलने से पहले ही ममता बनर्जी ने शरद पवार से विपक्षी दलों की मीटिंग बुलाने के लिए कहा था. 

जब दिल्ली पहुंची तो शरद पवार ने उनसे मिलने का टाइम भी नहीं दिया था, और मिलने के लिए ममता बनर्जी को बाद में मुंबई का दौरा करना पड़ा था. 

ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे के वक्त लालू यादव से मिलने के लिए शरद पवार खुद मीसा भारती के आवास पहुंचे थे, लेकिन टीएमसी नेता ने नहीं मिले. असल में, तब ममता बनर्जी कांग्रेस को किनारे रखकर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करना चाहती थीं. 

बाद में नीतीश कुमार ने वैसी ही कोशिश की. मामला INDIA ब्लॉक के गठन तक पहुंचा, और जब नीतीश कुमार ने नेता बनना चाहा तब भी लालू यादव ने पेंच फंसा दिया - और आखिरकार उनको एनडीए में लौटना पड़ा. 

देखा जाये तो INDIA ब्लॉक में कांग्रेस को अघोषित नेतृत्व का मौका दिलाने का श्रेय भी लालू यादव को ही जाता है. ये लालू यादव ही हैं जिनकी वजह से 2021 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी को विपक्ष का नेता बनने से कदम पीछे खींचने पड़े थे - और अब राहुल गांधी को सबक सिखाने के लिए ही लालू यादव ने नई चाल चली है. एकबारगी ऐसा लगता है जैसे लालू यादव ने बाजी ही पलट दी है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement