नोडी सिर्फ 14 साल की थी जब उसे वेश्यावृति के दलदल में धकेल दिया गया था. शादीशुदा और एक बच्चे की मां अपने पति की तलाश में घर से बाहर निकली थी, जो पूर्वी बांग्लादेश का एक नामचीन जुआरी था. तभी एक ड्राइवर ने मौका पाकर मदद के बहाने दुनिया की सबसे बड़ी सेक्स वर्कर्स की बस्ती दौलतदिया (बांग्लादेश) में उसे बेच दिया.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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नोडी ने बताया, 'उस शख्स ने मुझे बरगलाया था. मैं उसके जाल में फंसकर यहीं रह गई.' वेश्यावृति के धंधे में ग्राहक उसे उसके पहले नाम नोडी से जानने लगे. नोडी ने बताया कि उसके पति और घरवालों ने एक बार उसे ढूंढ भी निकाला था. लेकिन सेक्स वर्कर का कलंक लगने के बाद उसे कोई साथ ले जाने को तैयार नहीं था.
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Photo: Reuters करीब 10 साल तक अपना जिस्म बेचने के बाद उसे यहां से रिहाई मिली जब उसे कहीं और बेच दिया गया. बांग्लादेश में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते 25 साल की नोडी आज भुखमरी से लड़ रही है.
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Photo: Reuters नोडी ने कहा, 'कोरोना वायरस की वजह से आज हम बड़े संकट में हैं. हमारे पास कोई काम नहीं है.' बांग्लादेश में मार्च के अंत में लॉकडाउन लागू हुआ था. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आज देश में कोरोना के 36,000 से भी ज्यादा मामले हैं जिनमें से 500 से ज्यादा की मौत हो चुकी है.
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Photo: AP लॉकडाउन के चलते यहां व्यापार और परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है. सरकार ने सभी वेश्यालय बंद कर दिए हैं और अब वहां ग्राहकों को जाने की इजाजत नहीं है. वेश्यावृति को यहां साल 2000 में लीगल राइट मिला था, लेकिन लोग आज भी इसे बुरी नजर से देखते हैं.
'हमारा वेश्यालय भी बंद कर दिया गया है.' बांग्लादेशी चैरिटी मुक्ति महिला समिति के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मोरिजीना बेगम ने बताया, 'बाहर से आने वाले किसी भी ग्राहक को यहां जाने की इजाजत नहीं है. अब सेक्स वर्कर के पास कमाई का कोई जरिया बाकी नहीं है.'
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Photo: Reuters एक समय तक खुद भी सेक्स वर्कर रही बेगम ने बताया, 'सरकार, पुलिस, लोकल एनजीओ समेत उनका संगठन इन महिलाओं तक हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहा है.' हालांकि वेश्यालयों में रहने वाली कई महिलाओं ने सीएनएन के हवाले से कहा कि उनके लिए इतनी मदद काफी नहीं है.
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12 एकड़ की इस जगह पर आज तकरीबन 1,500 महिलाएं फंसी हुई हैं. जो कि झुग्गी-झुपड़ियों, तंग गलियों, छोटी दुकानों और खुले गटर से घिरी हुई है. जिनमें से दिन-रात गंदी बदबू आती रहती है.
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Photo: Reuters इनमें से कई गर्भवती महिलाओं ने वैश्यालय में ही नवजात शिशुओं को जन्म दिया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यहां रहने वाले तकरीबन 500 बच्चों में से लगभग 300 बच्चे 6 साल की आयु से कम हैं.
नोडी ने बताया, 'हमारे पास खाने तक का सामान नहीं है. अगर ये सब ऐसे ही जारी रहा तो हमारे बच्चे भूख से तड़पकर मर जाएंगे. हम दुआ करते हैं कि ये वायरस जल्द ही हम इंसानों की दुनिया से वापस लौट जाए.'
कुछ औरतों ने अपने बच्चों को यहां से दूर किसी रिश्तेदार के पास या चैरिटी शेल्टर में भेज दिया है, क्योंकि वे नहीं चाहती कि उनके बच्चे ऐसी जिंदगी का हिस्सा बनें. नोडी ने बताया कि उनका 11 साल का बेटा है जिससे अभी तक उनकी बात नहीं हुई है.
नोडी का बेटा अब उसके ससुराल वालों के साथ ढाका में रहता है. नोडी ने बताया कि वह चाहती है कि उसका बेटा उससे दूर रहे और एक अच्छा इंसान बने. बता दें कि दौलतदिया में लगभग 1,500 महिलाएं रहती हैं, जो देह व्यापार से महज 150 रुपये के हिसाब से कमाती हैं. पहले यहां रोजाना तकरीबन 3,000 लोग आते थे.
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