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कोरोना पर चीनी सेना का डेटा हुआ लीक, दुनिया के सामने खुल सकती है पोल!

aajtak.in
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST
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बीजिंग का दावा है कि चीन में कोरोना वायरस की शुरूआत पिछले साल के अंत में हुई थी और तब से अब तक यहां सिर्फ 82,919 मामलों की पुष्टि हुई है जबकि 4,633 मौतें हुई हैं. चीन कोरोना वायरस पर हमेशा अलग-अलग आंकड़े देता है, ऐसे में उस पर पूरी दुनिया को संदेह रहता है. विश्लेषकों को शक है कि चीन में कोरोना वायरस से तबाही आधिकारिक आंकड़ों से बहुत ज्यादा हो सकती है.

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चीन की सेना के National University of Defense Technology ने कोरोना वायरस के मामलों पर एक डेटासेट तैयार किया है जो लीक हो गया है. इस डेटा को अमेरिकी अखबार फॉरेन पॉलिसी ने प्रकाशित किया है. डेटासेट में कोरोना वायरस के मामलों और इससे हुई मौतों का विस्तृत विवरण है. इसमें इस बात का भी जिक्र है कि बीजिंग ने कैसे और कितनी आबादी पर कोरोना वायरस का डेटा एकत्र किया है. इस डेटा के लीक होने से चीन की गड़बड़ियों और झूठ का भी पर्दाफाश हो सकता है.

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चीनी सेना का डेटा लीक करने वाले सोर्स ने नाम ना बताने की शर्त पर Foreign Policy को बताया कि यह डेटा नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस ऐंड टेक्नॉलजी से निकाला गया है. कोरोना वायरस पर पब्लिश हुए इस डेटा ट्रैकर का ऑनलाइन संस्करण लीक हुई जानकारी से मेल खाता है. हालांकि, ऑनलाइन जारी किए गए डेटा में बहुत कम बातों का जिक्र है. यह अलग-अलग मामलों पर प्रकाश डालने की बजाय सिर्फ उन जगहों के नक्शे के बारे में बताता है जहां कोरोना के मामले पाए गए हैं.

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चीन में कोरोना के मामलों पर इसे अब तक का सबसे व्यापक डेटा माना जा सकता है. सबसे जरूरी बात यह है कि यह डेटासेट दुनिया भर के महामारी वैज्ञानिक और डॉक्टर्स के लिए एक बहुमूल्य जानकारी के रूप में काम कर सकता है, जिसे बीजिंग ने अमेरिकी अधिकारियों या दुनिया के डॉक्टरों से छिपाकर रखा.

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गौर करने वाली बात यह है कि इसमें दी गई सूचनाओं में 640,000 बार सुधार किया गया है और कोरोना के आंकड़े 230 शहरों से लिए गए हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 640,000 पंक्तियों में कुछ खास जगहों पर ही मामलों की संख्या दिखाने की कोशिश की गई है. यह डेटा फरवरी की शुरुआत से लेकर अप्रैल के अंत तक का है.

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डेटा में कोरोना से मरने वालों के साथ ठीक होने वालों का भी आंकड़ा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि डेटासेट के लेखक ने किस आधार पर कंफर्म और ठीक हुए मामलों को परिभाषित किया है. चीन ने अपनी काउंटिंग के तरीकों को अपडेट किया है, जैसा कि फरवरी के महीने में जब हुबेई प्रांत में कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई थी तब यहां के अधिकारियों ने कहा था कि वो अब सीटी स्कैन से भी कोरोना के मरीजों की पहचान कर रहे हैं.

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Foreign Policy न्यूज द्वारा किए गए इन आंकड़ों की समीक्षा में चीन के अस्पतालों, अपार्टमेंट, होटल्स, सुपरमार्केट्स, रेलवे स्टेशन, रेस्टोरेंट्स और स्कूलों के नाम भी शामिल हैं. उदाहरण के तौर पर, डेटासेट में 14 मार्च को झेनजियांग के KFC से आया कोरोना का एक मामला दर्ज है जबकि हार्बिन के एक चर्च से 17 मार्च को कोरोना के दो मामले आए. डेटा में कोरोना के मरीजों और मृतकों के नाम का जिक्र नहीं किया गया है.

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हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि विश्वविद्यालय ने यह डेटा कैसे एकत्र किया है. डेटा के ऑनलाइन संस्करण के अनुसार, यह आंकड़े चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग, मीडिया रिपोर्ट्स और अन्य सार्वजनिक स्रोतों से एकत्र किए गए हैं. यह विश्वविद्यालय चीन के केंद्रीय शहर चांगशा में स्थित है और इसका नेतृत्व केंद्रीय सैन्य आयोग करता है. 

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वायरस से निपटने में चीन की सेना की बड़ी भूमिका है. सेना ने क्वारनटीन सेंटर, ट्रांसपोर्ट सप्लाई और मरीजों को ठीक करने में बहुत मदद की है. ऐसे में चीन के सैन्य अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा डेटा काफी विश्वसनीय कहा जा सकता है.

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अमेरिकी अखबार ने सुरक्षा कारणों की वजह से अभी तक इस डेटाबेस को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराया है. हालांकि कोरोना वायरस पर स्टडी के लिए वो रिसर्चर को डेटा उपलब्ध कराने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं.

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