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कोरोना: भारत में सस्ते में बनेगी रेमडेसिविर, बस इतनी होगी कीमत

aajtak.in
  • 07 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST
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भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के बीच अब इसकी दवा को लेकर अच्छी खबरें भी आने लगी हैं. दवा कंपनी Mylan NV ने सोमवार को बताया कि वो गिलियड साइंसेज (Gilead Sciences) की  कोरोना वायरस की एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर का जेनरिक वर्जन भारत में लॉन्च करेगी. कंपनी ने बताया कि इसकी कीमत 4,800 रूपए होगी, जिसकी कीमत विकसित देशों के मुकाबले 80 फीसदी कम है.

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कैलिफोर्निया स्थित गिलियड ने 127 विकासशील देशों में रेमडेसिविर दवा उपलब्ध कराने के लिए कई जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ लाइसेंसिंग सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं. Mylan से पहले दो अन्य भारतीय दवा कंपनियां सिप्ला लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड भी पिछले महीने इस दवा का जेनरिक वर्जन लॉन्च कर चुकी हैं.

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सिप्ला अपने वर्जन सिप्रेम को 5,000 रुपये से कम कीमत पर देगी, जबकि हेटेरो ने  रेमडेसिविर के अपने जेनरिक वर्जन कोविफोर की कीमत 5,400 रुपये रखी है.

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गिलियड ने पिछले हफ्ते, विकसित देशों के लिए रेमडेसिविर की कीमत प्रति मरीज पर 2,340 डॉलर रखी और इस बात का करार किया कि वो अगले तीन महीनों में अपनी पूरी दवा अमेरिका को देगी.

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Mylan की कीमत प्रति 100 mg वायल के लिए तय की गई है लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि कोरोना वायरस ट्रीटमेंट के लिए इसके कितने वायल कोर्स पूरा करने की जरूरत होगी. गिलियड के अनुसार पांच दिनों के ट्रीटमेंट कोर्स के लिए एक मरीज को दवा की छह शीशियों की जरूरत होगी.

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क्लिनिकल ट्रायल में रेमडेसिविर दवा से अस्पताल में एडमिट मरीजों का रिकवरी समय घटने के समय से ही ये दवा बहुत मांग में है, लेकिन इसकी आपूर्ति को लेकर अभी भी कई चिंताएं हैं.

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Mylan ने कहा कि वो भारत में रेमडेसिविर दवा को इंजेक्टेबल सामग्री के तहत बनाएगी. इसके अलावा वो 127 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कोरोना वायरस के मरीजों को पहुंचाने के लिए काम कर रही है. इसके लिए उसे गिलियड साइंसेज द्वारा लाइसेंस मिल चुका है.

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कंपनी के एक बयान में कहा गया है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने Mylan के रेमडेसिविर वर्जन को  डेसरेम का नाम दिया है, जिससे COVID-19 के गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सके.

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आपको बता दें कोरोना वायरस के इलाज में अब तक रेमडेसिवीर दवा को ही सबसे कारगर माना जा रहा है. मरीजों पर इसका असर देखने के बाद इसे बनाने वाली कंपनी गिलियड इसे और आसानी से लेने के तरीके पर विचार कर रही है.

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कंपनी ने कुछ दिनों पहले एक बयान जारी कर बताया कि वो रेमडेसिविर का उपयोग करने के अन्य तरीके खोज रही है और इसके लिए इनहेलर पर रिसर्च की जा रही है. कंपनी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मरदाद पारसी ने  Wall Street न्यूजपेपर को दिए एक इंटरव्यू में कंपनी की योजनाओं के बारे में बताया.

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उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रेमडेसिविर के इंजेक्शन के साथ-साथ इसका पाउडर बनाने पर भी खोज की जाएगी ताकि इसे इनहेलर के जरिए लिया जा सके.

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रेमडेसिविर को गोली के रूप में नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इसकी केमिकल की परत लिवर को खराब करती है. इस दवा को फिलहाल इंट्रावेनस (IV) रूप में सिर्फ अस्पतालों के द्वारा ही दिया जा सकता है.  

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गिलियड इस चीज पर स्टडी कर रही है कि रेमडेसिविर के मौजूदा IV फॉर्मूलेशन को किस तरह पतला कर नेबुलाइजर के जरिए लिया जा सकता है. कोरोना वायरस फेफड़ों पर हमला करता है, इसलिए नेबुलाइजर के जरिए रेमडेसिवीर दवा को फेफड़ों तक सीधा पहुंचाने पर काम किया जा रहा है. इससे कोरोना के उन मरीजों का भी जल्द इलाज हो सकेगा जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.

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इससे पहले गिलियड ने बताया था कि अस्पताल में भर्ती और हल्के लक्षण वाले कोरोना के मरीजों पर IV रेमडेसिवीर के ट्रायल का सही असर दिखा है.

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