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भारत की कोवैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जल्द, जानें 7 अहम बातें

aajtak.in
  • 07 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST
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कोविड-19 की पहली देसी वैक्सीन तैयार कर ली गई है जिसका नाम कोवैक्सीन है और इसे भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर बनाया है. ICMR ने उन 12 संस्थानों को पत्र लिखा है जहां इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा. आइए जानते हैं कोवैक्सीन से जुड़ी सारी बातें.

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ICMR का संस्थानों को निर्देश

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने 12 संस्थानों को पत्र लिखकर क्लिनिकल ट्रायल के लिए 7 जुलाई तक लोगों की भर्ती कर लेने को कहा है. इसके अलावा इन संस्थाओं को आंतरिक कमिटी से आवश्यक मंजूरी लेने के निर्देश दिए गए हैं. पत्र में निर्देशों का पालन ना करने वालों पर कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी गई है.

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कौवैक्सीन और भारत बायोटेक


हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक Covid-19 वैक्सीन पर काम करने वाली सात भारतीय कंपनियों में से एक है. ये पहली कंपनी है जिसे वैक्सीन की क्षमता और सुरक्षा की जांच के लिए सरकार की ओर से पहले और दूसरे चरण  को रेगुलेट करने की मंजूरी मिली है.

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क्या है क्लिनिकल ट्रायल?


क्लिनिकल ट्रायल में लोगों पर प्रायोगिक वैक्सीन का टेस्ट किया जाता है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये वैक्सीन कितनी सुरक्षित और असरदार है. आमतौर पर इस तरह की प्रक्रिया में दस साल लग जाते हैं. WHO के मुताबिक क्लिनिकल ट्रायल में लोग अपनी इच्छा से आते हैं. इनमें ड्रग्स, सर्जिकल प्रक्रिया, रेडियोलॉजिकल प्रक्रिया, डिवाइसेज, बिहेवियरल ट्रीटमेंट और रोगनिरोधक इलाज भी शामिल होते हैं.

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WHO का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल बहुत सावधानी के साथ पूरे किए जाते हैं और इन्हें शुरू करने से पहले मंजूरी लेनी जरूरी है.  क्लिनिकल ट्रायल में बच्चों सहित किसी भी उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं.

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क्लिनिकल ट्रायल के चार चरण



पहले चरण में किसी नई दवा की डोज और उसके साइड इफेक्ट के बारे में पता करने के लिए मनुष्यों के छोटे समूह पर इसका टेस्ट किया जाता है.

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दूसरे चरण में उन ट्रीटमेंट की स्टडी की जाती है जो पहले चरण में सुरक्षित पाए गए हैं लेकिन इसके विपरीत प्रभाव पर निगरानी रखने के लिए ये ट्रायल इंसानो के बड़े समूह पर किया जाता है.

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तीसरे चरण में अलग-अलग क्षेत्र और देशों के बड़ी संख्या के लोगों पर ट्रायल किया जाता है. आमतौर पर ये किसी नए इलाज की मंजूरी से पहले उठाया जाने वाला कदम है.


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चौथे चरण का ट्रायल सरकार की मंजूरी मिलने के बाद किया जाता है और इसे बड़ी आबादी पर लंबे समय तक किए जाने की जरूरत होती है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस समय 150 वैक्सीन अपने विभिन्न चरण के ट्रायल में हैं लेकिन इसमें से लगभग 10 वैक्सीन ही अभी एडवांस स्टेज पर पहुंच सकी हैं. भारत की कोवैक्सीन इनसे अभी काफी पीछे है.

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