कोरोना वारस के बढ़ते मामलों के बीच एक राहत की खबर है. एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि दिल्ली के डेटा से पता चलता है कि कोविड का कर्व फ्लैट हो रहा है और संभव है कि यहां कोरोना का पीक (शीर्ष स्तर) बीत चुका हो. सोमवार को दिल्ली में कोरोना वायरस के 954 मामले आए, जो सप्ताह में पहली बार 1,000 से नीचे पाए गए. यहां अभी कंफर्म मामलों की संख्या 1,23,747 है जबकि एक्टिव मामलों की संख्या 15,166 है.
The Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'अगर आप दिल्ली के आंकड़ों को देखते हैं, तो यह पता चलता है कि हम कोरोना के कर्व को फ्लैट कर रहे हैं और शायद ये नीचे की तरफ जा रहा है. इसलिए, यह संभव है कि दिल्ली में इसने अपना पीक पार कर लिया है लेकिन, अन्य शहरों में इसका पीक आना बाकी है.
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'हालांकि कोरोना के चरम सीमा को पार करने का मतलब ये नहीं है कि आप अपनी सुरक्षा में किसी तरह की कमी करें. हमें अभी भी बहुत सचेत रहने की जरूरत है. अगर आप सोशल डिस्टेंसिंग या मास्क पहनने में किसी तरह की कोई लापरवाही करते हैं तो कोरोना वायरस की लहर फिर से आ सकती है.'
उन्होंने कहा, 'संक्रमण अभी पूरी तरह से दूर नहीं हुआ है, बल्कि यह थोड़ा कम हुआ है. हमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना जैसे उपायों का पालन जारी रखना होगा ताकि अगर कहीं पर कुछ मामले आते भी हैं तो वो ज्यादा जगहों पर ना फैलें. आने वाले हफ्तों में भी इन उपायों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है ताकि मामलों में फिर से बढ़ोतरी ना हो.'
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, 'अगर अगले दो हफ्तों तक मामलों में लगातार गिरावट आती है, तो इसका मतलब है कि लगभग चार हफ्तों तक ये गिरावट जारी रहेगी. आमतौर पर इसे ऐसा कहा जा सकता है कि वर्तमान संक्रमण दर को देखते हुए अगर ये गिरावट 28 दिनों से ज्यादा दिनों तक रहती है तो, इसके आगे फैलने की संभावना नहीं है.
उन्होंने कहा, 'कुछ हफ्ते पहले तक दिल्ली अच्छी स्थिति में नहीं थी, लेकिन हमने अब अच्छा सुधार दिखाया है. हम अब बेहतर जगह पर हैं. पिछले चार हफ्ते पहले की तुलना में अब लोगों को बेड उपलब्ध हो रहे हैं. एक समय ऐसा था जब एम्स में भी, हमने 800-1,000 मरीजों को भर्ती किया था और हमने कोरोना के मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या 1,500 तक बढ़ा दी थी. लेकिन अब मामलों में कमी आ गई है और धीरे-धीरे 800 बेड से, हम 400-500 बेड पर आ गए हैं.
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत वाले मरीजों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. इसके अलावा उन मरीजों की संख्या में भी कमी आई है, जिन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत होती थी. निश्चित रूप से हम बेहतर स्थिति में हैं.'