ब्रिटेन से लेकर इटली, अमेरिका तक वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा कर चुके हैं. कई वैक्सीन के तो ह्यूमन ट्रायल के आखिरी चरण में पहुंचने की भी बातें सामने आई हैं. लेकिन WHO के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि असल में अभी तक ऐसा कोई प्रयोग नहीं हुआ है जिससे यह विश्वास हो सके कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बन चुकी है.
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सोमवार को दुबई सरकार द्वारा आयोजित 8वें 'विश्व सरकार सम्मेलन' में WHO के शीर्ष अधिकारी डॉ. डेविड नबैरो ने कहा, 'पूरी दुनिया की उम्मीद कोरोना वायरस की वैक्सीन पर टिकी है. लेकिन इस महमारी से निजात दिलने वाला टीका आने में अभी करीब ढाई साल और लग सकते हैं.'
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डॉक्टर नबैरो ने कहा, 'कोरोना वायरस की वैक्सीन अगर इस साल के अंत तक बन भी जाती है तो इसके प्रभाव और सुरक्षा की जांच में लंबा समय लग सकता है. साथ ही इस महामारी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए इसका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करना होगा, जिसमें काफी समय लग सकता है.'
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डेविड नबैरो ने कहा कि अगर मेरा अनुमान गलत साबित हुआ तो मुझे बहुत खुशी होगी. इस बीमारी का सामना कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी दुनिया कर रही है. यह वायरस अभी भी हमारे नजदीक है. यह हर किसी को प्रभावित करेगा.
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अपने काम के अनुभवों को साझा करते हुए नबैरो ने कहा, 'अभी तक मलेरिया और एचआईवी जैसे बीमरियों की भी वैक्सीन तैयार नहीं हो सकी है. मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि इस साल अगर कोई चमत्कार नहीं होता तो कोरोना की वैक्सीन मिलना काफी मुश्किल है.'
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शुरुआत से ही चीन, अमेरिका और यूरोप कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन कैंडिडेट को लेकर अलग-अलग दावे कर रहे हैं. लेकिन वैक्सीन बनने के बाद भी इसके प्रभाव और सुरक्षा की जांच में करीब छह महीने का समय लगता है.
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उन्होंने कहा कि एक आदर्श वैक्सीन का पूरी तरह से सुरक्षित होना जरूरी है. रोगियों पर उसका कोई साइडइफेक्ट नहीं होना चाहिए. ऐसा ना हो कि इस बीमारी से बचने के लिए रोगी को जो वैक्सीन दी जाए, वो बीमारी का एक नया रूप पैदा कर दे.
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बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना के 91 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 4 लाख 74 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है. इस मामले में भारत अब 4 लाख 40 हजार से ज्यादा मामलों के साथ ब्रिटेन से एक पायदान आगे चौथे नंबर पर आ गया है. भारत में इससे अब तक कुल 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
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