Chamoli: शीतकाल के लिए बंद होने लगे बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम के कपाट

शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होना शुरू हो गए हैं. कपाट बंद होने की प्रक्रिया गणेश पूजन के साथ शुरू हो गई है. आज रविवार को गणेश जी के कपाट पूजा-अर्चना के बाद बंद हो गए, जिसके साथ ही धाम में पांच पूजाओं की शुरुआत हो गई है.

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बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हुए (फोटो आजतक) बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हुए (फोटो आजतक)

कमल नयन सिलोड़ी

  • चमोली ,
  • 15 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST
  • 19 नवंबर को बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
  • विधि विधान के बाद गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए
  • कल आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे

शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होना शुरू हो गए हैं. कपाट बंद होने की प्रक्रिया गणेश पूजन के साथ शुरू हो गई है. गणेश जी के कपाट आज रविवार को पूजा-अर्चना के बाद बंद हो गए. जिसके साथ ही धाम में पांच पूजाओं की शुरुआत हो गई है. बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद किए जाएंगे. वहीं आज गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं.

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गणेश जी के कपाट बंद होने के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 16 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे. 17 को खड़ग पुस्तक की पूजा के साथ वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया जाएगा. 18 नवंबर को महालक्ष्मी पूजा होगा. 19 नवंबर को धार्मिक रस्मों के साथ शाम 3:35 बजे पर भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. 

18 नवंबर को महालक्ष्मी पूजा होगा

वहीं, आज गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए है. मां गंगा की डोली मुखबा गांव के लिए रवाना हो गई है. मां गंगा का स्वागत मुखबा गांव के लोग बेटी की तरह करते हैं. गांव के सेमवाल पुरोहित गंगोत्री धाम की तरह ही मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. 

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गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए (Photo ANI)

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गंगोत्री मंदिर धाम समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि मां गंगा के कपाट दोपहर 12:15 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं.  मां गंगा की डोली भोगमूर्ति के साथ अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के साथ रवाना हुई. मां गंगा के गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को मिली. वहीं, मां गंगा की डोली पैदल जांगला मार्ग से शाम को मुखबा गांव से 3 किमी पहले मार्कण्डेय मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी. जहां पर स्थानीय लोग और यात्री रात भर मां गंगा के साथ अन्य देवी-देवताओं का भजन कीर्तन करते हैं.

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