यूं की थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की गोपनीय तैयारी...

राजस्व सचिव हसमुख अधिया के साथ पांच अन्य जिन लोगों को इस बात की जानकारी थी, उन्होंने इसे बेहद गोपनीय रखा. उनके साथ युवा रिसर्चर्स की एक टीम थी जो प्रधानमंत्री के नई दिल्ली स्थित ऑफ‍िस में ही बैठकर काम करती थी.. यह गोपनीयता इसलिए बेहद जरूरी थी, ताकि पहले से जानकारी हासिल कर संदिग्ध लोग सोना, प्रॉपर्टी या अन्य कोई संप‍त्त‍ि खरीदकर अपने काले धन को ठिकाने न लगा लें.  

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पीएम मोदी पीएम मोदी

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली ,
  • 09 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:41 AM IST

प्रधानमंत्री ने नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक कदम के लिए अपने कुछ ऐसे भरोसेमंद अफसरों को चुना, जिन्हें देश के वित्तीय हलके में कम लोग ही जानते थे. उनके इस कदम ने रातोरात देश की 86 फीसदी नकदी को बेकार कर दिया और अर्थव्यवस्था को भारी मुश्किल में डाल दिया है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया के साथ पांच अन्य जिन लोगों को इस बात की जानकारी थी, उन्होंने इसे बेहद गोपनीय रखा. उनके साथ युवा रिसर्चर्स की एक टीम थी जो प्रधानमंत्री के नई दिल्ली स्थित ऑफ‍िस में ही बैठकर काम करती थी.. यह गोपनीयता इसलिए बेहद जरूरी थी, ताकि पहले से जानकारी हासिल कर संदिग्ध लोग सोना, प्रॉपर्टी या अन्य कोई संप‍त्त‍ि खरीदकर अपने काले धन को ठिकाने न लगा लें.

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इकनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार वित्त मंत्रालय के प्रमुख अधिकारी अधिया बैकरूम टीम के समर्थन के साथ इस पूरे अभियान पर नजर रखे हुए थे. 58 वर्षीय अध‍िया साल 2003 से 2006 तक नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव रह चुके हैं, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, इसलिए उनका मोदी से बहुत ही करीबी रिश्ता है. जब किसी मसले पर गहराई से चर्चा करनी होती है तो दोनों आपस में गुजराती में बात करते हैं.

साल भर पहले से चल रही थी तैयारी
नरेंद्र मोदी की बीजेपी सरकार का सबसे बड़ा वायदा काले धन को वापस लाने का था, इसलिए सरकार पर अब कुछ बड़ा कदम उठाने का दबाव था. सूत्रों के अनुसार एक साल पहले मोदी ने वित्त मंत्रालय, केंद्रीय बैंकों के अध‍िकारियों और कई थिंक टैंक से इस बात पर मंथन किया था कि काले धन पर कार्रवाई को कैसे आगे बढ़ाया जाए. इसमें मोदी ने इन सवालों पर जवाब मांगे थे कि देश में कितनी तेजी से नए नोट प्रिंट किए जा सकते हैं, उनका वितरण कैसे होता है, यदि सार्वजनिक बैंकों में काफी रकम जमा हो जाए तो उन्हें क्या फायदा होगा और नोटबंदी से किसे फायदा होगा? हालांकि यह सारे सवाल अलग-अलग तरीके से पूछे गए थे ताकि कोई इस बात का अंदाजा न लगा पाए कि सरकार ऐसा करने की योजना बना रही है. असल में सरकार ने इस बारे में बेहद गोपनीयता इसलिए रखी कि अगर यह सूचना किसी भी तरह से लीक होती तो यह पूरी कवायद बेमतलब हो जाती.

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अधिया की निगरानी में रिसर्च टीम ने पूरी तरह से इसका सैद्धांतिक खाका तैयार किया. इस टीम में डेटा और फाइनेंशियल एनालिसिस के युवा एक्सपर्ट थे, तो कुछ ऐसे युवा भी जो मोदी के सोशल मीडिया एकाउंट और स्मार्टफोन ऐप का कामकाज संभालते हैं. अगले साल यूपी में चुनाव होने हैं और ऐसे में कुछ बीजेपी नेताओं को भी डर सता रहा है कि कहीं पार्टी को इसका नुकसान न उठाना पड़े, लेकिन नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा से कुछ वक्त पहले ही बुलाए गए कैबिनेट मीटिंग में कहा था, 'मैंने पूरी तरह से रिसर्च कर लिया है, यह यदि विफल होता है तो दोष मुझे दीजिएगा.'

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