गंदे नोट और सिक्के, आपको बीमार... बहुत बीमार बना सकते हैं!

खाद्य एजेंसी ने कहा है कि एक से दूसरे हाथों में आ जा रही करेंसी से व्यक्ति के स्वास्थ्य को काफी खतरा हो सकता है. इससे स्किन, सांस संबंधी और पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

नंदलाल शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 04 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

गंदे बैंकनोट्स और सिक्के आपको बीमार... बहुत बीमार बना सकते हैं. देश की सबसे बड़ी खाद्य नियामक संस्था ने इस आशय की ओर संकेत किया है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों के खाद्य आयुक्तों को इस बारे में एक व्यवस्थागत जागरुकता अभियान शुरू करने को कहा है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके और साथ ही साथ उन्हें फूड और करेंसी की हैंडलिंग के बारे में समझाया जा सके.

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एजेंसी ने इसके साथ ही इस बात को भी रेखांकित किया है कि होटल-रेस्तरां और वेंडर्स को कैश लेने और फूड सर्व करने के दौरान ऐहतियात बरतने की जरूरत है. एफएसएसएआई ने अपनी एडवायजरी में कहा है, 'अस्वच्छ परिस्थितियों में गंदे और भीगे हाथों से, थूक लगाकर करेंसी को संभालना और संग्रहण करना व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.'

खाद्य एजेंसी ने कहा है कि एक से दूसरे हाथों में आ जा रही करेंसी से व्यक्ति के स्वास्थ्य को काफी खतरा हो सकता है. इससे स्किन, सांस संबंधी और पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं.

बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले व्यक्ति इस तरह की बीमारियों के लिए बहुत संवेदनशील हैं. फूड वेंडर्स, इनमें भी खासतौर पर सड़कों किनारे भोजन बेचने वाले, जो अक्सर खाना बनाते और परोसते हैं, साथ ही उसी हाथ से पैसा भी इकट्ठा करते हैं, ऐसी बीमारियों की पकड़ में तुरंत आते हैं.

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करेंसी नोट्स और सिक्के हर रोज पब्लिक के हाथों लगातार सर्कुलेट होते हैं और यही वजह है कि ये माइक्रोबॉयोलॉजिकल कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं. एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने मेल टुडे को बताया कि हम इस बारे में लंबे समय से अध्ययन कर रहे थे, लेकिन हम किसी को दंड नहीं दे सकते. लिहाजा हमने सभी राज्यों के खाद्य आयुक्तों को इस बारे में अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि आदर्श स्थिति ये है कि करेंसी और फूड को अलग-अलग व्यक्ति डील करें. रुपये-पैसों का काम करने के बाद हाथों को साबुन से साफ कर लेना चाहिए.

इस संबंध में तीन शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं, पहला जर्नल ऑफ करेंट माइक्रोबॉयोलॉजी और अप्लाइड साइंसेस में, दूसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फॉर्मा एंड बॉयो साइंसेस और तीसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस रिसर्च में छपा है.

इन तीनों शोध पत्रों में कहा गया है कि करेंसी पर दवा निरोधक विषाणु होते हैं, जो समाज में बीमारियों के संक्रमण में मददगार होते हैं. इनसे मूत्र संबंधी और सांस संबंधी बीमारियों के साथ त्वचा संबंधी इंफेक्शंस, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, सेप्टीकेमिया और पेट संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं.

ये सभी अध्ययन 2016 में कराए गए हैं. तमिलनाडु के तिरूनेलवेली मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी की ओर कराए गए अध्ययन के मुताबिक गंदे करेंसी नोटों से ऐसी बीमारियां भी हो सकती हैं, जो मल में मौजूद रोगाणुओं के चलते होती हैं.

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अध्ययन के लिए इकट्ठा किए गए करेंसी नोट डॉक्टरों, बैंकरों, स्थानीय बाजारों, कसाइयों, छात्रों और गृहिणियों से लिए गए थे. इस अध्ययन के बाद ही एफएसएसएआई ने दिशा निर्देश जारी किए हैं.

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