दाएं के बजाय किया बाएं पैर का ऑपरेशन, दोषी डॉक्टरों और अस्पताल को देना होगा एक करोड़ दस लाख का हर्जाना

रवि ने अस्पताल को लीगल नोटिस भेजकर पांच करोड़ रुपए हर्जाना और मुआवजा 18 फीसद ब्याज के साथ अदा करने की मांग की. रवि के दाएं पैर की जगह बाएं पैर के ऑपरेशन की खबर मीडिया में आई तो दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने स्वत:संज्ञान लेते हुए जांच कराई और डॉक्टर्स की गलती पाते हुए उनके लाइसेंस रद्द कर दिए. दिल्ली मेडिकल कौंसिल के 30 जनवरी 2017 के आदेश को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी बरकरार रखा.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

दाएं पैर के बजाय बाएं पैर का ऑपरेशन करने के दोषी दिल्ली के दो डॉक्टर्स और अस्पताल को एक करोड़ दस लाख रुपए मुआवजा देना होगा. राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण और शिकायत निवारण आयोग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी की मुहर लगा दी. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश में कोई कमी या खामी नहीं है. इसमें अस्पताल 90 लाख रुपए और ऑपरेशन करने वाले व सुपर विजन करने वाले डॉक्टर दस-दस लाख रुपए भुगतान करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पामिदीघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने दोषी ठहराए गए डॉक्टर राहुल काकरान की वो अर्जी भी खारिज कर दी जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत के फैसले और पीड़ित रवि राय की अर्जी को चुनौती दी थी.

2016 में सीढ़ियों से गिर गए थे रवि राय

शालीमार बाग में रहने वाले रवि राय 19 जून 2016 को सीढ़ियों से गिर गए थे. उनके दोनों पैरों की हड्डी टूट गई थी. उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया. वहां डॉक्टर राहुल काकरान की अगुआई में डॉक्टरों की टीम ने उनका मुआइना किया. उनके दाएं पैर की हड्डी ज्यादा टूटी थी जबकि बाएं पैर में हेयर लाइन फ्रैक्चर था.

डॉक्टर्स ने 21 जून को उनके बाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया लेकिन अगले ही दिन रवि के परिवार वालों ने अस्पताल में हंगामा किया और शालीमार बाग थाने में अस्पताल और डॉक्टर राहुल काकरान और उनके जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. इसके बाद परिजनों ने रवि को मैक्स अस्पताल में शिफ्ट कर दिया.

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डॉक्टरों के लाइसेंस हुए रद्द

रवि ने अस्पताल को लीगल नोटिस भेजकर पांच करोड़ रुपए हर्जाना और मुआवजा 18 फीसद ब्याज के साथ अदा करने की मांग की. रवि के दाएं पैर की जगह बाएं पैर के ऑपरेशन की खबर मीडिया में आई तो दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने स्वत:संज्ञान लेते हुए जांच कराई और डॉक्टर्स की गलती पाते हुए उनके लाइसेंस रद्द कर दिए. दिल्ली मेडिकल कौंसिल के 30 जनवरी 2017 के आदेश को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी बरकरार रखा.

ठोका चार करोड़ 97 लाख रुपए मुआवजे का दावा

इसी के बाद 20 फरवरी 2017 को रवि ने राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में चार करोड़ 97 लाख रुपए मुआवजे का दावा ठोका. इस रकम की तफसील दी कि पांच लाख मेडिकल खर्च, भविष्य खराब होने के 75 लाख, विवाह सुख में अड़चन के 25 लाख, मानसिक तनाव के डेढ़ करोड़ रुपए मुआवजा का दावा किया. जीवन की अवधि कम होने कि आशंका, उम्र भर सहायक और ड्राइवर पर 35 लाख, माता पिता के लिए दस लाख, पिता के बिजनेस में हर्ज 35 लाख, माता पिता को मानसिक यातना के 25 लाख और दोषियों पर दंडात्मक तौर पर 75 लाख के साथ मुकदमा खर्च 7 लाख रुपए का दावा किया.

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राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण अदालत ने 24 जून 2024 को रवि को एक करोड़ दस लाख रुपए मुआवजा अदा करने का आदेश दिया. इसमें 90 लाख रुपए अस्पताल की ओर से और दस दस लाख रुपए डॉक्टर राहुल काकरान और डॉक्टर अश्विनी माईचंद को अदा करने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर काकरान की अपील खारिज कर दी.

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