'गवाह बयान से मुकरे, CBI नए सबूत नहीं जुटा पाई...' 26 साल पुराने हत्याकांड में छोटा राजन बरी

मुंबई की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को 1997 में दत्ता सामंत हत्या मामले में जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को बरी कर दिया है. विशेष न्यायाधीश एएम पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि ठोस सबूतों के अभाव में राजन को बरी किया जा रहा है.

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छोटा राजन को एजेंसियों ने अक्टूबर 2015 में बाली से गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो) छोटा राजन को एजेंसियों ने अक्टूबर 2015 में बाली से गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 29 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:38 AM IST

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उसे 1997 में श्रमिक संघ के नेता दत्ता सामंत हत्याकांड में बरी कर दिया है. छोटा राजन इस मामले में विचाराधीन एकमात्र आरोपी था. वो इस समय जेल में बंद है. कोर्ट का कहना था कि सबूतों के अभाव में छोटा राजन को बरी किया जा रहा है. इससे पहले कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी करार दिया था.

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बता दें कि दत्ता सामंत एक डॉक्टर थे. बाद में वे बेहद प्रभावी श्रमिक संघ के नेता बन गए. उन्होंने 1970 के दशक में कर्मचारी नेता के रूप में काम करना शुरू किया और दो दशकों से ज्यादा समय तक मुंबई की प्रसिद्ध कपास मिलों में कई श्रमिक वेतन संबंधी मुद्दों को निपटाया और हड़तालों में हिस्सा लिया.

'1997 में हुई थी सामंत की हत्या'

16 जनवरी 1997 को जब सामंत अपने वाहन में सवार होकर जा रहे थे, तभी चार बाइक सवार हमलावर आए और ट्रेड यूनियन नेता पर गोलीबारी शुरू कर दी. हमलावरों ने दत्ता सामंत को 17 गोलियां मारीं और मौके से भाग गए. सामंत को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

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'सीबीआई नहीं जुटा सकी नया सबूत'

विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घराट ने सीबीआई कोर्ट में बहस की और कई गवाहों का जिक्र किया, जिनके बयानों में मामले में राजन की संलिप्तता की बात कही गई थी. हालांकि, मामले में सीबीआई कोई नया सबूत नहीं जुटा पाई. राजन के खिलाफ पूरा मामला मुंबई पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूतों पर आधारित था.

'दो लोग दोषी पाए गए, सजा सुनाई गई'

मुंबई क्राइम ब्रांच ने जिन गवाहों के बयान दर्ज किए थे, वे सभी अदालत में अपने बयान से मुकर गए, जिनमें सामंत का अपना ड्राइवर भी शामिल था. मामले में आरोपी शूटर्स को गिरफ्तार किया गया था. मुकदमे के पहले राउंड के दौरान जब राजन पकड़ा नहीं गया था तो दो लोगों को अदालत ने दोषी ठहराया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन दोषियों की उम्रकैद की सजा को भी बरकरार रखा है. इससे पहले के मुकदमे के दौरान भी ज्यादातर गवाह मुकर गए थे.

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गवाह बयान से मुकरे?

इन सभी गवाहों को फिर भी गवाही देने के लिए अदालत में बुलाया गया और वे फिर से मुकर गए. एक विशेष गवाह भी था, जिसने पुलिस को दिए अपने बयान में राजन का जिक्र किया था, लेकिन बाद में यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने ऐसा कोई बयान दिया था. उसने अदालत को यह भी बताया कि उसने हमलावरों के खिलाफ मुकदमे के पहले राउंड में कभी गवाही नहीं दी थी, तब सरकारी वकील ने उसके खिलाफ झूठी गवाही का मामला शुरू किए जाने की मांग की थी.

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राजन की जमानत याचिका खारिज

लंबे समय से पेंडिंग मुकदमे के दौरान राजन ने मामले में जमानत भी मांगी थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था. दूसरी ओर राजन की ओर से पेश वकील सुदीप पासबोला ने उसके खिलाफ मामले में सबूतों की कमी की ओर इशारा किया. कोई इलेक्ट्रॉनिक सबूत नहीं मिले. ना कोई कॉल रिकॉर्ड मिली. अन्य अहम सबूतों का भी अभाव रहा. 

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राजन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद

बता दें कि राजन को अक्टूबर 2015 में इंडोनेशिया के बाली में पकड़ा गया था. उसके बाद सीबीआई ने उसके खिलाफ दायर सभी मामलों को अपने हाथ में ले लिया था और सामंत की हत्या के मामले में ट्रायल आगे बढ़ाया था. राजन फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ सेंट्रल जेल में बंद है. उसके खिलाफ सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चल रही है. राजन अभी पत्रकार जे डे हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. जबकि उसे कुछ अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है.

 

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