मध्यप्रदेश: सीहोर में प्रचंड गर्मी का प्रकोप, पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग

पाटनी ग्राम के सरपंच इकबाल बताते हैं कि गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की है. उन्होंने कहा, हमारे गांव में एक टंकी है, एक पंप है. उससे पूर्ति नहीं हो पा रही है. पंद्रह सौ मकानों की आबादी है. हमें सबसे बड़ी जरूरत तो पानी की है. सबसे पहले पानी चाहिए. एक टंकी और एक पंप और हो जाए तो हमारे गांव की समस्या दूर हो सकती है.

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गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की समस्या भी बढ़ी गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की समस्या भी बढ़ी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2020,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST
  • पीने के पानी की दिक्कत, दूर दराज से लाना पड़ता है पेयजल
  • तापमान बढ़ने के साथ ही पूरे इलाके में पेयजल की भारी दिक्कत

मध्यप्रदेश में बढ़ते तापमान के साथ पानी की समस्या भी  बढ़ती जा रही है. कहीं पानी के लिए लोगों को पहाड़ चढ़ना पड़ रहा है तो कहीं पानी को चोरी से बचने के लिए पानी पर ताला लगाना पड़ रहा है. 

पानी की किल्लत से जूझता सीहोर जिले का पाटनी गांव जहां लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. 1500 आबादी के इस गांव में पानी की एक ही छोटी टंकी है  लेकिन उसकी सप्लाई सभी घरों में नहीं है. पाटनी गांव की महिलाएं बताती हैं कि वे सुबह पीने का पानी कुएं से लाती हैं तो दिन में झीरी (पानी के कुदरती गड्ढे) से पानी भरती हैं. झीरी का पानी काफी गंदा है जिसका इस्तेमाल नहाने और कपड़े धोने व मवेशियों के लिए करती हैं. कभी-कभी उन्हें यही पानी पीना भी पड़ता है. पीने के पानी के लिए महिलाओं को घर से तकरीबन 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. बावजूद उसके गंदा पानी ही इनके हाथ लगता है.

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पाटनी ग्राम के सरपंच इकबाल बताते हैं कि गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की है. उन्होंने कहा, हमारे गांव में एक टंकी है, एक पंप है. उससे पूर्ति नहीं हो पा रही है. पंद्रह सौ मकानों की आबादी है. हमें सबसे बड़ी जरूरत तो पानी की है. सबसे पहले पानी चाहिए. एक टंकी और एक पंप और हो जाए तो हमारे गांव की समस्या दूर हो सकती है. इसके लिए आवेदन जगह-जगह दे रहे हैं. हमारा काम है आवेदन देने का, मांग करने का जिसे हम कर रहे हैं. 

सरपंच इकबाल अधिकारियों की अनदेखी का जिक्र करते हुए बताते हैं कि पाटनी गांव के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन्होंने जो सर्वे करवाया था, उसके तहत 447 परिवार ऐसे सामने आए थे जो लोगों कच्चे मकान में रहते हैं, जिन्हें पक्के मकानों की आवश्यकता है. सभी की डिटेल सरपंच ने जिला मुख्यालय भेजी है लेकिन बीते 6 साल में सिर्फ 9 आवास ही स्वीकृत हुए हैं. सरपंच इकबाल ने कहा कि यहां इस लायक लोग नहीं हैं कि अपने मकान खुद बना लें. भोपाल जिले से सटा सीहोर जिला राजधानी से महज 28 किलोमीटर दूर है लेकिन यहां न साफ पानी की उपलब्धता है और न ही सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ मिल पा रहा है.

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