'देखिए 2 घंटे में मंजूर भी हो गया मेरा इस्तीफा, हमारी पार्टी कितनी तेजी से काम करती है', लवली का तंज

अरविंदर सिंह लवली ने कहा, जिन कार्यकर्ताओं को पांच महीने पहले हाथ जोड़-जोड़कर बाहर निकाला था, वो आज जब मुझसे सवाल करते हैं तो मेरे पास उनके लिए जवाब नहीं होता है. मैंने किसी पार्टी नेता पर आक्षेप नहीं किया है. ना ही मैंने अपनी पार्टी की किसी नीति के खिलाफ बयान दिया है. मैंने तो सिर्फ यही कहा है कि इस सिस्टम में काम नहीं कर पा रहा हूं. आप किसी दूसरे को अध्यक्ष बना दीजिए.

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अरविंदर सिंह लवली. (फाइल फोटो) अरविंदर सिंह लवली. (फाइल फोटो)

कुमार कुणाल / सुशांत मेहरा

  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया है. उन्होंने प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और उम्मीदवार उदित राज, कन्हैया कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. लवली से आजतक ने बातचीत की है. उन्होंने कहा, मैंने अचानक चार पेज की चिट्ठी नहीं लिखी है. एक-दो दिन से मन विचलित चल रहा था. मुझे तकलीफ इस बात की है कि मैंने पद से इस्तीफा दिया है, लेकिन व्यवहार ऐसे किया जा रहा है जैसे मैंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया हो. पद पर रहूंगा या नहीं रहूंगा- जब मुझे लगा कि मैं अपने पद के साथ न्याय नहीं कर पा रहा हूं और कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं दिलवा पा रहा हूं तो जिम्मेदारी छोड़ दी.

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चुनाव में फैसलों को लेकर लवली ने कहा, हमारी पार्टी तेजी से काम कर रही है. उन्होंने कहा, मैंने एक खत पार्टी अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) को लिखा था. वो पत्र मैंने किसी को नहीं दिया था. यह भी देखने की स्थिति है कि वो खत सामने कहां से आया? खत लीक हो जाता है और दो घंटे में आप फैसला भी ले लेते हैं. कहीं ना कहीं आपको सोचना पड़ेगा कि आखिर चल क्या रहा है? एक तरफ मुझे कहा जा रहा है कि उन्होंने चुनाव से पहले आनन-फानन में इस्तीफा दे दिया. मैं चिट्ठी बाद में देता हूं, लीक पहले हो जाती है और दो घंटे में इस्तीफा भी मंजूर होता है.

'मैं सिस्टम में काम नहीं कर पा रहा था'

अरविंदर सिंह लवली ने कहा, जिन कार्यकर्ताओं को पांच महीने पहले हाथ जोड़-जोड़कर बाहर निकाला था, वो आज जब मुझसे सवाल करते हैं तो मेरे पास उनके लिए जवाब नहीं होता है. मैंने किसी पार्टी नेता पर आक्षेप नहीं किया है. ना ही मैंने अपनी पार्टी की किसी नीति के खिलाफ बयान दिया है. मैंने तो सिर्फ यही कहा है कि इस सिस्टम में काम नहीं कर पा रहा हूं. आप किसी दूसरे को अध्यक्ष बना दीजिए. मैं अपने अध्यक्ष से ऊपर क्या बन सकता था? मैंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर पहले ही स्पष्ट कर दिया था. मैं चुपचाप बैठकर अध्यक्ष के रूप में काम कर सकता था. 

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'मैंने कार्यकर्ताओं के लिए पद छोड़ा'

उन्होंने कहा, पार्टी अगर चुनाव हार जाती, तब भी मुझ पर बात नहीं आती. क्योंकि सबको पता था कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी का कोई रोल नहीं है. मैंने अपने लिए नहीं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए पद छोड़ा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव में जो उम्मीदवार बुलाएगा, उसके प्रचार में हिस्सा लूंगा. 

'उम्मीदवार की घोषणा से पहले सूचना देनी चाहिए'

उन्होंने कहा, उम्मीदवार तय करना हाईकमान का अधिकार है. प्रदेश अध्यक्ष बनने का मतलब यह नहीं होता कि प्रदेश अध्यक्ष तय करेगा कि कौन लड़ेगा और कौन नहीं लड़ेगा? हां, प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते कार्यकर्ताओं की भावनाएं जरूर सामने रखता है और वो मैंने अपने पत्र के जरिए रखी हैं. उम्मीदवार चयन करने का फैसला जरूर हाईकमान तय करता है, लेकिन AICC की गरिमा इतनी जरूर होनी चाहिए कि फॉर्मल अनांउस के पहले पीसीसी को कैंडिडेट के बारे में इन्फॉर्म कर दिया जाए.

यह भी पढ़ें: BJP के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे अरविंदर सिंह लवली? प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद कांग्रेस नेता ने दिया जवाब

'मैं कभी अलायंस के विरोध में नहीं रहा'

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AAP के साथ अलायंस का विरोध करने पर लवली ने कहा, मैंने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की मूल भावनाएं इस अलायंस के खिलाफ थीं. दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ता कह रहे थे कि जिनके मंत्री करप्शन के आरोप में जेल में बंद हैं, जो हमारे ऊपर करप्शन के आरोप लगाते रहे हों और जिनके खिलाफ हम करप्शन की एफआईआर दर्ज कराते रहे हों, उनके साथ अलायंस नहीं करना चाहिए. मैं व्यक्तिगत आरोप लगाने में विश्वास नहीं रखता हूं. मैंने अपने पत्र में सिर्फ कार्यकर्ताओं के मन की बात कही है. मैंने कभी अलांयस के विरोध में नहीं कहा. अजय माकन और संदीप दीक्षित ने कहा है. अनिल चौधरी ने तो खुद एफआईआर दर्ज करवाई है.

'बीजेपी में जाने का सवाल ही नहीं'

बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर कहा, मैंने कल भी स्पष्ट किया और मैंने उस चिट्ठी में भी कहा है. अगर मैं कहीं शामिल होना चाहता हूं तो मुझे एक लाइन का इस्तीफा लिखने से कौन रोक रहा था. मैंने इस्तीफे में कारण इसलिए लिखे हैं, शायद उन्हें दुरुस्त कर लिया जाए. जिस तरह से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है, उससे अगर पीड़ा ना होती तो क्यों पद छोड़ते. मुझे थोड़ी पार्टी से बाहर निकाला जा रहा था. 

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