पश्चिम बंगाल की बैरकपुर संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले गए. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक बैरकपुर में 76.83 फीसदी मतदान हुआ, वहीं पश्चिम बंगाल की सात सीटों पर 79.07 फीसदी वोटिंग हुई.
बैरकपुर लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से अर्जुन सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से गार्गी चटर्जी, बहुजन समाज पार्टी से तपश सरकार, तृणमूल कांग्रेस से दिनेश त्रिवेदी, कांग्रेस से मोहम्मद आलम, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) की तरफ से प्रदीप चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा 8 उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
बैरकपुर संसदीय सीट के गंजागली इलाके के लोगों का कहना है कि उन पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हमला किया है. इस हमले में 2 लोग घायल हो गए हैं.
बीजेपी ने की पुनर्मतदान की मांग
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि बैरकपुर संसदीय सीट पर एक बार फिर से वोटिंग कराई जाए. जावड़ेकर ने कहा कि संभावित हार के बौखलाई ममता बनर्जी अपना आधार खो रही हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं को बुरी तरह से पीटा गया, बहुत से वोटरों को वोट डालने नहीं दिया गया. उन्हें पोलिंग बूथ तक जाने की इजाजत नहीं दी गई. चुनाव आयोग के निर्देशों के बाद भी केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं की गई. बीजेपी अब चुनाव आयोग से इस संबंध में शिकायत करेगी. इससे पहले बीेजपी प्रत्याशी अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके साथ टीएमसी कार्यकर्ताओं ने मारपीट की है.
बीजेपी प्रत्याशी पर हमला
पश्चिम बंगाल की बैरकपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) प्रत्याशी अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया है कि उन पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हमला किया है. अर्जुन सिंह ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं. अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस नशे में हैं.
लोकसभा क्षेत्र के तौर पर 1952 में अस्तित्व में आए बैरकपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है. हालांकि ज्यादातर समय यहां से माकपा के सदस्य चुने जाते रहे हैं. 1952 में पहले आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के रामनंद दास सांसद चुने गए थे. 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर बिमल कुमार घोष चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1962 के चुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की रेणु चक्रवर्ती सांसद चुनी गई थीं. मगर 1967 और 1971 के आम चुनावों में माकपा के मोहम्मद इस्माइल लगातार चुनाव जीते. 1977 के चुनावों में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर वापसी की और उसके प्रत्याशी सौगत रॉय सांसद चुने गए थे.
साल 1980 में हुए चुनाव में मोहम्मद इस्माइल माकपा के टिकट पर मैदान में दोबारा उतरे और जीत हासिल की. मगर 1984 के चुनावों में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके प्रत्याशी देबी घोषाल चुनाव जीते. उसके बाद 1989, 1991,1996,1998 और 1999 के चुनावों में तड़ित तोपदार माकपा के टिकट पर लगातार लोकसभा सदस्य चुने जाते रहे लेकिन इस सीट पर पहली बार 2009 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को सफलता मिली और उसके प्रत्याशी दिनेश त्रिवेदी चुनकर संसद पहुंचे. 2009 में दिनेश त्रिवेदी ने करीब 4.5 लाख मत पाकर माकपा के तड़ित तोपदार को करीब 90 हजार वोटों से हराया था. मगर 2004 में माकपा के उम्मीदवार ने तृणमूल के प्रत्याशी को डेढ़ लाख से भी अधिक मतों से शिकस्त दी थी.
जनगणना 2011 के आंकड़े बताते हैं कि बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र की आबादी 19,27,596 है जिनमें 16.78% गांव जबकि 83.22% आबादी शहर में रहती है. इनमें अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 16.14 और 1.44 फीसदी है. मतदाता सूची 2017 के अनुसार 13,88,832 मतदाता 1530 मतदान केंद्रों पर वोटिंग करते हैं. बैरकपुर में 2014 के आम चुनावों में 81.77% मतदान हुआ था जबकि 2009 में यह आंकड़ा 80.46% है. बैरक संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं जिनमें अम्दांगा, बिजपुर, नैहाटी, भाटपाड़ा, जगतदल, नौपारा और बैरकपुर शामिल हैं.
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