रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने Akash-NG (न्यू जेनरेशन) मिसाइल सिस्टम के यूजर ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरा कर लिए हैं. ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में हुए इन परीक्षणों में मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा किया. अब यह भारतीय सेना और वायु सेना में शामिल होने के लिए तैयार है. यह मिसाइल पुरानी आकाश मिसाइल का एडवांस वर्जन है, जो हाई-स्पीड और फुर्तीले हवाई खतरों को मार गिराने में सक्षम है.
परीक्षणों के दौरान आकाश-एनजी ने विभिन्न ऊंचाई और दूरी पर हवाई लक्ष्यों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया. इसमें बहुत कम ऊंचाई वाले निकट लक्ष्य और लंबी दूरी वाली ऊंची ऊंचाई वाले लक्ष्य शामिल थे. मिसाइल ने हाई-स्पीड, कम रडार सिग्नेचर वाले लक्ष्यों को भी नष्ट किया.
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डीआरडीओ ने कहा कि यह सिस्टम सभी पीएसक्यूआर (परफॉर्मेंस एंड सेफ्टी क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स) को पूरा करता है. पुरानी आकाश मिसाइल ने हाल की ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के हवाई हमलों को नाकाम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अब आकाश-एनजी इससे भी ज्यादा शक्तिशाली होगी.
आकाश-एनजी एक मध्यम दूरी की मोबाइल सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम है, जो पूरी तरह स्वदेशी है. मुख्य स्पेसिफिकेशंस...
यह फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और एयर-टू-सर्फेस मिसाइलों जैसे खतरों का मुकाबला कर सकती है.
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आकाश-एनजी एक डिफेंसिव सिस्टम है, जो आने वाले हवाई खतरों (जैसे दुश्मन के विमान, मिसाइल या ड्रोन) को रोकने के लिए डिजाइन की गई है. यह भारत की वायु सीमाओं की रक्षा मजबूत करेगी. अगर इसे पाकिस्तान या चीन की सीमाओं के पास तैनात किया जाता है, तो यह 70-80 किमी की रेंज में आने वाले हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है.
यह सिस्टम भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा है. आयात पर निर्भरता कम करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, वायु सेना और उद्योग को बधाई दी है. जल्द ही यह सेना में शामिल होकर भारत की वायु रक्षा को और मजबूत बनाएगी.
ऋचीक मिश्रा