अब पाकिस्तान के पार तक मार करेगा ब्रह्मोस, जानिए क्यों खास है कॉम्बैट लॉन्ग वर्जन

Battle Ready Bharat: भारतीय सेना ने ब्रह्मोस की नई 800+ किमी रेंज वाली मिसाइल का सफल कॉम्बैट लॉन्च किया. अब पाकिस्तान का आखिरी कोना भी निशाने पर है. हल्की, तेज और घातक यह मिसाइल जमीन, समुद्र व हवा से मार कर सकती है. ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के 11 एयरबेस तबाह करने वाली ब्रह्मोस अब भारत की सबसे बड़ी ताकत बन गई है.

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परीक्षण के दौरान लॉन्च होती नई ब्रह्मोस मिसाइल. (Photo: X/Southern Command/Indian Army) परीक्षण के दौरान लॉन्च होती नई ब्रह्मोस मिसाइल. (Photo: X/Southern Command/Indian Army)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:05 PM IST

भारतीय थलसेना की दक्षिणी कमांड ने 1 दिसंबर 2025 को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का कॉम्बैट लॉन्च किया. यह लॉन्च सिर्फ एक टेस्ट नहीं था, बल्कि युद्ध जैसी स्थिति में मिसाइल की ताकत दिखाने का मौका था. मिसाइल ने 3457.44 km/hr की गति से उड़ान भरी और दूर समुद्र में बने टारगेट को बिल्कुल सटीक निशाना मारा.

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एक मीटर के सर्कुलर एरर प्रॉबेबल (CEP) के साथ – यानी टारगेट से ज्यादा से ज्यादा एक मीटर दूर – यह हिट इतना परफेक्ट था कि दुश्मन का कोई रक्षा तंत्र इसे रोक ही न पाए. दक्षिणी कमांड ने कहा कि यह लॉन्च भारत की लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता को मजबूत करता है. हमारी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. यह #BattleReadyBharat की भावना को सलाम करने वाला पल था.

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ब्रह्मोस की यात्रा: कैसे बनी दुनिया की सबसे तेज मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसका नाम ब्रह्मपुत्र नदी और मॉस्कवा नदी से लिया गया है. 1998 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 2005 में भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. शुरू में इसकी रेंज सिर्फ 290 km थी, क्योंकि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के नियमों के तहत 300 km से ज्यादा रेंज की मिसाइलें एक्सपोर्ट नहीं की जा सकती थीं. 2016 में भारत के MTCR में शामिल होने के बाद रेंज बढ़ाया गया. 

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पहले 450-500 km का एक्सटेंडेड रेंज (ER) वर्जन आया, जो 2017 में टेस्ट हुआ. अब 2025 में 800 km का कॉम्बैट लॉन्ग रेंज वर्जन आ गया है, जो मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुआ. यह मिसाइल जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से लॉन्च हो सकती है – इतनी बहुमुखी कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों इसका इस्तेमाल करती हैं.

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नई लॉन्ग रेंज वर्जन में क्या-क्या बदलाव? क्यों है इतना घातक

यह नया वर्जन पुराने से कहीं ज्यादा खतरनाक है. मुख्य बदलाव ये हैं...

  • रेंज का कमाल: पहले 290-450 किमी, अब 800 किमी तक. इससे भारत के पश्चिमी तट से लॉन्च करने पर पाकिस्तान का कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी और यहां तक कि मुल्तान जैसे आखिरी कोने के शहर भी निशाने पर आ जाते हैं. पूर्वी तट से तो पूरा पाकिस्तान कवर हो जाता है.
  • वजन और साइज में कमी: पुरानी मिसाइल का वजन 3000 किलो था. नई में 1200-1500 किलो तक कम. इससे हल्के लड़ाकू विमान जैसे तेजस भी इसे ले जा सकेंगे. Su-30MKI जैसे भारी विमान तो 4 मिसाइलें ले जा सकते हैं.
  • इंजन और फ्यूल का जादू: मॉडिफाइड रैमजेट इंजन और ज्यादा फ्यूल टैंक लगाए गए हैं. इससे मिसाइल 15 किमी ऊंचाई पर या सिर्फ 10 मीटर की हाइट पर उड़ सकती है – रडार से बचना आसान. अब फायर एंड फॉरगेट मोड में जीरो रिएक्शन टाइम के साथ टारगेट लॉक करती है.
  • इंडिजिनस पार्ट्स: सीकर (टारगेटिंग सिस्टम) भारत की डेटा पैटर्न्स कंपनी ने बनाया. बूस्टर और एयरफ्रेम भी स्वदेशी है. 2025 में इसके टेस्ट हो चुके हैं.
  • डुअल रोल: जमीन पर एयरबेस, कैंप या जहाज पर हमला – दोनों के लिए परफेक्ट. लैंड-अटैक और एंटी-शिप मोड में काम करती है.

ये बदलाव इसे मारो और भाग जाओ वाली मिसाइल बनाते हैं – दुश्मन को पता ही नहीं चलता कि हमला आ गया.

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ऑपरेशन सिंदूर: मई 2025 में ब्रह्मोस का युद्ध में डेब्यू

यह वर्जन पहली बार मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में उतरा. 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7-10 मई को यह ऑपरेशन चलाया. वायुसेना ने Su-30MKI से 12-15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं, जो पाकिस्तान के 11 बड़े एयरबेस (जैसे रफिकी, सरगोधा, नूर खान, मुरिद) को नेस्तनाबूद कर दिया.

जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 कैंप उजड़ गए, 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. पाकिस्तान के चाइनीज एयर डिफेंस सिस्टम इसे रोक न सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ब्रह्मोस की सटीकता ने युद्ध बदल दिया. इस सफलता के बाद भारत ने 800 किमी वर्जन को तेजी से डिप्लॉय करने का फैसला किया.

भारतीय सेना में ब्रह्मोस की तैनाती: कितनी, कहां और कैसे

  • थलसेना: दक्षिणी कमांड में तटीय रेजिमेंट्स में तैनात. अब 800 किमी वर्जन से पाकिस्तान बॉर्डर पर स्ट्राइक रेडी.
  • नौसेना: 20 से ज्यादा युद्धपोतों (डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट) पर वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से. मार्च 2024 में 220 मिसाइलों का ऑर्डर, जिसमें 800 किमी वर्जन शामिल.
  • वायुसेना: Su-30MKI पर एयर-लॉन्च्ड वर्जन. 400 मिसाइलों का ऑर्डर, 5 साल में डिलीवरी होगी. 222 टाइगर शार्क्स स्क्वाड्रन तमिलनाडु में बेस्ड.

कुल मिलाकर, 2025 तक 1000 से ज्यादा ब्रह्मोस तैनात. नई वर्जन को रेट्रोफिट करना आसान – सॉफ्टवेयर अपडेट से पुरानी मिसाइलें भी 800 किमी कर लेंगी.

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भविष्य की ब्रह्मोस: एनजी और हाइपरसोनिक वर्जन

  • ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन): हल्की (1,200 किलो), छोटी और स्टील्थ. 2025 के अंत या 2026 में फ्लाइट टेस्ट. तेजस, मिग-29, मिराज-2000 पर लगेगी. रेंज 290-450 किमी, लेकिन कम रडार क्रॉस सेक्शन से दुश्मन रडार से छिपी रहेगी. 
  • ब्रह्मोस-2 (हाइपरसोनिक): 8643 से 9878 km/hr स्पीड वाली. रूस की जिरकॉन पर बेस्ड. 2025 में स्क्रैमजेट टेस्ट हो चुका. 2026 में फ्लाइट ट्रायल, 800+ किमी रेंज. ये वर्जन भारत को चीन जैसे पड़ोसी के खिलाफ और मजबूत बनाएंगे.

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क्यों चेंज कर रहा है रीजन का बैलेंस ऑफ पावर

  • डिटरेंस का हथियार: दुश्मन सोचेगा भी नहीं हमला करने का, क्योंकि 800 किमी दूर से सटीक वार हो सकता है. पाकिस्तान के एयरबेस अब सुरक्षित नहीं.
  • तीनों सेनाओं का एकीकरण: एक ही मिसाइल से लैंड, सी और एयर स्ट्राइक – खर्च कम, ट्रेनिंग आसान.
  • आत्मनिर्भर भारत: 70% पार्ट्स अब इंडियन. एक्सपोर्ट भी शुरू – फिलीपींस, इंडोनेशिया को डील हो चुकीं. 450 मिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट ऑर्डर पक्के.
  • सुरक्षा का मैसेज: हम जहां चाहें, जब चाहें, बिना चेतावनी के मारेंगे. यह मिसाइल सिर्फ हथियार नहीं, भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक है.

ब्रह्मोस का यह नया अवतार 2025 को भारत के लिए मिसाइल ईयर बना देगा. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और हालिया कॉम्बैट लॉन्च से साबित हो गया – हमारी सेना हमेशा तैयार, हमेशा आगे.

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