मिग-21 की हिस्ट्री में केवल हादसे नहीं... रहा शौर्य और जीत का लंबा सिलसिला

मिग-21 की कहानी सिर्फ हादसों की नहीं, बल्कि शौर्य और जीत की लंबी दास्तान है. सोवियत संघ में 1950 के दशक में बना यह तेज सुपरसोनिक जेट वियतनाम, छह-दिवसीय और योम किप्पुर युद्धों में दुश्मनों को धूल चटाया. भारत में 1963 से सेवा, 1971 युद्ध में पाक विमान गिराए. 60 साल बाद, 26 सितंबर 2025 को रिटायर हो रहा है.

Advertisement
ये मिग-21 की एयरो शो में ली गई पुरानी तस्वीर है. (File Photo: Getty) ये मिग-21 की एयरो शो में ली गई पुरानी तस्वीर है. (File Photo: Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:21 PM IST

मिग-21 एक मशहूर लड़ाकू विमान है. यह सोवियत संघ में 1950 के दशक में बनाया गया था. पहली उड़ान 1955 में हुई. यह दुनिया का पहला सुपरसोनिक जेट फाइटर था, जो ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता था. मिग-21 की खासियत थी इसकी तेज रफ्तार – यह मैक 2 की स्पीड तक पहुंच जाता था.

यह हवा में ऊंचाई जल्दी चढ़ सकता था और दुश्मन के विमानों को आसानी से पकड़ लेता था. लेकिन मिग-21 की कहानी सिर्फ हादसों की नहीं है. यह शौर्य और जीत की लंबी दास्तान है. कई युद्धों में इसने दुश्मनों को धूल चटाई है. आइए, इसकी वीर गाथा जानते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: विदाई से पहले फ्लाइपास्ट में मिग-21 ने आसमान में दिखाया जलवा, वायुसेना चीफ ने भी भरी उड़ान

दुनिया भर में मिग-21 की बहादुरी

मिग-21 ने कई देशों की हवाई सेनाओं में सेवा की. यह वियतनाम युद्ध, मिडिल ईस्ट के झगड़ों और भारत-पाकिस्तान युद्धों में लड़ा.

वियतनाम युद्ध में कमाल

वियतनाम युद्ध (1966-1972) में उत्तर वियतनाम की हवाई सेना ने मिग-21 उड़ाए. अमेरिकी विमानों के खिलाफ यह बहुत कारगर साबित हुआ. वियतनामी पायलटों ने मिग-21 से 165 दुश्मन विमान गिराए, जिनमें 103 एफ-4 फैंटम शामिल थे. लेकिन खुद 65 मिग-21 खोए.

दिसंबर 1966 में मिग-21 ने बिना नुकसान के 14 अमेरिकी एफ-105 थंडरचीफ गिराए. 1972 में, ऑपरेशन लाइनबैकर द्वितीय के दौरान, एक मिग-21 ने बी-52 बॉम्बर को गिराया – यह पहली बार था जब बी-52 को हवा में मार गिराया गया. न्गुयेन वान कोक ने सबसे ज्यादा 9 जीत हासिल कीं. मिग-21 ने अमेरिकी पायलटों के लिए सिरदर्द बन गया.

Advertisement

छह-दिवसीय युद्ध और योम किप्पुर युद्ध में दमखम

1967 के छह-दिवसीय युद्ध में मिस्र और सीरिया ने मिग-21 उड़ाए. मिस्र के मिग-21 ने पहले ही हमले में 5 इजरायली विमान गिराए. हालांकि, ज्यादातर नुकसान जमीन पर हुए, लेकिन हवा में भी बहादुरी दिखाई. 1973 के योम किप्पुर युद्ध में मिग-21 ने और भी शानदार प्रदर्शन किया.

मिस्र ने 27 पक्के और 8 इजरायली विमान गिराए. सीरिया के मिग-21 ने 30 दुश्मन विमान साफ किए. 6 और 7 अक्टूबर को सीरियाई मिग-21 ने कई मिराज, ए-4 और एफ-4 गिराए. मिग-21 ने दिखाया कि छोटा विमान भी बड़ा धमाल मचा सकता है.

यह भी पढ़ें: मिग-21 की विदाई और तेजस का स्वागत... जानिए नए वाले फाइटर प्लेन में अलग क्या है?

भारत की हवाई सेना में मिग-21 का जलवा

भारत ने 1963 में पहला मिग-21 खरीदा. 1962 के चीन युद्ध के बाद हवाई सेना को मजबूत करने के लिए यह जरूरी था. 1966 से 1980 तक भारत ने 872 मिग-21 लिए. नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इन्हें बनाना शुरू किया. यह भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर था. शुरू में ऊंचाई पर दुश्मन रोकने के लिए इस्तेमाल हुआ, बाद में नजदीकी लड़ाई और जमीन पर हमलों में भी.

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

1965 के युद्ध में मिग-21 की संख्या कम थी और पायलटों का प्रशिक्षण अधूरा. लेकिन फिर भी, इसने रक्षात्मक उड़ानों में अनुभव दिया. ग्नाट विमानों के बाद मिग-21 ने अपनी श्रेष्ठता दिखाई. यह युद्ध मिग-21 के लिए सीखने का मौका था.

Advertisement

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध – जीत की ऊंची उड़ान

1971 का युद्ध मिग-21 का सुनहरा दौर था. भारतीय हवाई सेना के मिग-21 ने पश्चिमी मोर्चे पर हवाई श्रेष्ठता हासिल की. उन्होंने 4 पाकिस्तानी एफ-104 स्टारफाइटर, 2 शेनयांग एफ-6, 1 एफ-86 सेबर और 1 सी-130 हर्क्यूलिस गिराए. दो एफ-104 की पुष्टि हुई.

उपमहाद्वीप की पहली सुपरसोनिक हवाई लड़ाई में एक मिग-21एफएल ने जीएसएच-23 तोप से पाकिस्तानी एफ-104 गिराया. मिग-21 ने एफ-104 को हरा दिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने सभी एफ-104 बंद कर दिए. इसके अलावा, मिग-21 ने रात के समय कम ऊंचाई पर पाकिस्तान के अंदर गहरे हमले किए.

अमृतसर से उड़कर ढाका के गवर्नर हाउस पर 500 किलो के बम गिराए. मिग-21 ने बहुमुखी भूमिका निभाई और युद्ध में भारत की जीत में बड़ा हाथ था.

मिग-21 की विरासत: सम्मान और विदाई

60 साल से ज्यादा सेवा करने के बाद, मिग-21 को 2025 में रिटायर किया जा रहा है. यह भारतीय हवाई सेना का मुख्य विमान रहा. पायलट इसे अपना भरोसेमंद साथी मानते थे. गर्मी में एयर कंडीशनिंग की कमी थी, लैंडिंग स्पीड ज्यादा थी, लेकिन इसकी स्पीड और चढ़ाई की क्षमता कमाल की थी.

मिग-21 ने भारत-रूस के रक्षा रिश्तों को मजबूत किया. हवाई उद्योग को बढ़ावा दिया. हादसे हुए, लेकिन जीतें और शौर्य ज्यादा हैं. मिग-21 ने साबित किया कि साहस और तकनीक से कुछ भी संभव है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement