भारतीय वायुसेना के लिए एक दौर का अंत हो रहा है. मशहूर मिग-21 लड़ाकू विमान, जो 62 साल से देश की रक्षा करता रहा, अब रिटायर हो रहा है. चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन पर बुधवार को फुल ड्रेस रिहर्सल हुई, जो 26 सितंबर को होने वाले आखिरी विदाई समारोह की तैयारी थी.
इस रिहर्सल में मिग-21, जगुआर और सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम ने आसमान में शानदार फ्लाइपास्ट किया. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अगस्त में उड़ान भरकर मिग-21 की ताकत दिखाई. 24 सितंबर को भी वायुसेना प्रमुख ने उड़ान भरी. 26 सितंबर को बादल और पैंथर फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे.
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चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन पर रिहर्सल में पूर्व सैनिक, उनके परिवार और आमंत्रित मेहमान जुटे. तीन-तीन मिग-21 ने 'बादल' और 'पैंथर' फॉर्मेशन में उड़ान भरी. वायुसेना के स्पोक्सपर्सन विंग कमांडर जयदीप सिंह, जो खुद मिग पायलट रहे हैं ने कहा कि यह पायलटों, पूर्व सैनिकों और पूरी वायुसेना परिवार के लिए बहुत भावुक पल है. मिग-21 ने 62 साल की शानदार सेवा दी.
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उन्होंने बताया कि एयर चीफ खुद मिग-21 उड़ाकर विदाई देंगे, जो दिखाता है कि ये विमान अब भी लड़ाई के लिए तैयार हैं. रिहर्सल में मिग-21 और जगुआर के बीच 'डॉग फाइट' (हवाई लड़ाई) का डेमो भी हुआ. जगुआर को घुसपैठिए दिखाया गया, जबकि मिग-21 ने रक्षा की. यह 2019 के बालाकोट हमले के बाद विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की बहादुरी की याद दिला गया, जब उन्होंने पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया था.
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मिग-21 की शुरुआत 1963 में हुई. 1965 के भारत-पाक युद्ध में इसने पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट किया. 1971 के युद्ध में ढाका (तब पूर्वी पाकिस्तान) के गवर्नर हाउस पर बम गिराकर भारत की जीत में बड़ा रोल निभाया. 2019 के बालाकोट स्ट्राइक के बाद अभिनंदन ने पाक एफ-16 गिराया. हाल ही के ऑपरेशन सिंदूर में भी मिग-21 ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया. ये विमान हमेशा देश की ढाल बने रहे.
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26 सितंबर को होने वाले मुख्य समारोह में मिग-21 को पानी की तोपों से सलामी दी जाएगी. एयर चीफ एपी सिंह फॉर्म-700 (विमानों का लॉगबुक) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपेंगे, जो मिग फ्लीट का अंतिम समापन होगा. विशेष 'डे कवर' भी जारी किया जाएगा, जो मिग-21 को सम्मान देगा.
समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, आर्मी चीफ, नेवी चीफ के साथ 6 पूर्व एयर चीफ और सैकड़ों पूर्व सैनिक व परिवार मौजूद होंगे.
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मिग-21 के रिटायरमेंट के बाद वायुसेना के पास 29 स्क्वाड्रन बचेंगे. लेकिन जरूरत 42 की है. इसलिए नए एलसीए तेजस एमके-1 और एमके-2 को शामिल किया जाएगा. ये स्वदेशी विमान मिग-21 की जगह लेंगे और वायुसेना को मजबूत बनाएंगे. मिग-21 का जाना एक युग का अंत है, लेकिन इसकी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी.
शिवानी शर्मा