IPC Section 183: लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार को परिभाषित करती है ये धारा

आईपीसी की धारा 183 (IPC Section 183) में लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार (Lawful authority) द्वारा सम्पत्ति लिये जाने का प्रतिरोध (Resistance) करने को परिभाषित (Define) किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 183 के बारे में.

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लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार से जुड़ी है ये धारा लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार से जुड़ी है ये धारा

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST
  • लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता लोक सेवकों (Public servants) के साथ किए जाने वाले अपराध और उसकी सजा (Crime and punishment) को भी परिभाषित करती है. आईपीसी की धारा 183 (IPC Section 183) में लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार (Lawful authority) द्वारा सम्पत्ति लिये जाने का प्रतिरोध (Resistance) करने को परिभाषित (Define) किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 183 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 183 (Indian Penal Code Section 183) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 183 (Section 183) में लोक-सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा सम्पत्ति लिये जाने का प्रतिरोध किया जाना बताया गया है. IPC की धारा 183 के अनुसार, जो कोई किसी लोक-सेवक (Public servants) के विधिपूर्ण प्राधिकार (Lawful authority) द्वारा किसी सम्पत्ति के ले लिये जाने का प्रतिरोध यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि वह ऐसा लोक सेवक है, तो वह अपराधी माना जाएगा. 

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा, जो एक हजार रुपये तक होगा. या फिर उसे दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जाती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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