IPC Section 171: धोखाधड़ी करने के मकसद से पहनी लोकसेवक की पोशाक तो लागू होगी ये धारा

आईपीसी की धारा 171 (IPC Section 171) में ऐसे शख्स के बारे में बताया गया है, जो धोखाधड़ी या जालसाजी करने के मकसद से किसी लोक सेवक की पोशाक और चिन्ह पहनता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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लोक सेवक की पोशाक पहनने से जुड़ी है ये धारा लोक सेवक की पोशाक पहनने से जुड़ी है ये धारा

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:47 PM IST
  • लोक सेवक की पोशाक पहनने से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कई तरह अपराध और उनकी सजा को लेकर प्रावधान (Provision) किए गए हैं. साथ ही लोक सेवकों से जुड़े मामलों के बारे में भी आईपीसी जानकारी देती है. इसी तरह से आईपीसी की धारा 171 (IPC Section 171) में ऐसे शख्स के बारे में बताया गया है, जो धोखाधड़ी या जालसाजी करने के मकसद से किसी लोक सेवक की पोशाक और चिन्ह पहनता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 171 (Indian Penal Code Section 171) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 171 (Section 171) में कपटपूर्ण आशय (Fraudulent intent) से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक (Dress) पहनना या टोकन (Token) को धारण करने के बारे में कानूनी प्रावधान (Legal provision) दिया गया है. IPC की धारा 171 के मुताबिक, जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का न होते हुए इस आशय से कि यह विश्वास (Confidence) किया जाए, या इस ज्ञान से कि सम्भाव्य (Potential) है कि यह विश्वास किया जाए, कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है, लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली पोशाक के सदृश पोशाक पहनेगा, या टोकन के सदृश कोई टोकन धारण करेगा, तो वह अपराधी (Offender) के तौर पर सजा का हकदार (Deserving of punishment) होगा.

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सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा, जो दो सौ रुपये तक का हो सकता है. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दण्डित (Punished) किया जाएगा. यह एक जमानती (Bailable) और संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) है. जिसकी सुनवाई किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 170: किसी लोकसेवक का रूप धारण किया तो इस धारा के तहत मिलेगी सजा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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