CrPC Section 182: लेटर या मैसेज के जरिए किए गए जुर्म को परिभाषित करती है ये धारा

सीआरपीसी की धारा 182 में कुछ ऐसे अपराधों के बारे में बताया गया है, जिन्हें पत्र आदि के माध्यम से अंजाम दिया जाता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 182 इस बारे में क्या कहती है?

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पत्रों, आदि से किए गए अपराध से जुड़ी है ये धारा पत्रों, आदि से किए गए अपराध से जुड़ी है ये धारा

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:59 PM IST
  • पत्रों, आदि से किए गए अपराध से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) से संबंधित कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. इसी प्रकार से सीआरपीसी की धारा 182 में कुछ ऐसे अपराधों के बारे में बताया गया है, जिन्हें पत्र आदि के माध्यम से अंजाम दिया जाता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 182 इस बारे में क्या कहती है?  

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सीआरपीसी की धारा 182 (CrPC Section 182)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 182 में उस अपराध को परिभाषित किया गया है, जिसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए पत्रों या दूरसंचार संदेशों का इस्तेमाल किया जाता है. CrPC की धारा 182 के मुताबिक-

(1) किसी ऐसे अपराध की, जिसमें छल करना भी है, जांच या उनका विचारण. उस दशा में जिसमें ऐसी प्रवंचना पत्रों या दूरसंचार संदेशों के माध्यम से की गई है ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर ऐसे पत्र या संदेश भेजे गए हैं या प्राप्त किए गए हैं तथा छल करने और बेईमानी से संपत्ति का परिदान उप्रेरित करने वाले किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर संपत्ति, प्रवंचित व्यक्ति द्वारा परिदत्त की गई है या अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त की गई है.

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(2) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 494 या धारा 495 के अधीन दंडनीय किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर अपराध किया गया है या अपराधी ने प्रथम विवाह की अपनी पत्नी या पति के साथ अंतिम बार निवास किया है या प्रथम विवाह की पत्नी अपराध के किए जाने के पश्चात् स्थायी रूप से निवास करती है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 181: कुछ अपराधों के मामले में ट्रायल के स्थान का प्रावधान करती है ये धारा 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

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