FASTag Fraud: फास्टैग फर्जीवाड़े का वीडियो वायरल, सच जानना है तो पेमेंट सिस्टम को समझिए

Fastag Video Viral: सोशल मीडिया पर इन दिनों अपलोड किए जा रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि FASTag को स्कैन करके इसमें जमा राशि को निकाला जा सकता है, लेकिन इस तरह के वीडियोज को NPCI ने आधारहीन करार दिया है.

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फास्टैग के पेमेंट सिस्टम को इस तरह समझें फास्टैग के पेमेंट सिस्टम को इस तरह समझें

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2022,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST
  • वीडियो में फास्टैग से फ्रॉड का दावा
  • NPCI ने बताया इसे कोरी अफवाह

सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में दावा किया गया कि FASTag को कोई भी स्कैन कर उसमें जमा राशि निकाल सकता है. वायरल वीडियो में एक लड़का हाथ में घड़ी पहनकर आता है और फास्टैग लगी कार के शीशे को साफ करने लगता है. इसी दौरान वो अपनी घड़ी से कार में लगे फास्टैग को स्कैन कर लेता है. एक आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने इस वीडियो को शेयर किया है, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने इसे कोरी अफवाह करार दिया है.  

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FASTag का पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
NPCI का कहना है कि फास्टैग के पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यक्तियों के बीच कोई लेन-देन नहीं होता है. फास्टैग केवल व्यक्ति और व्यापारी (पी2एम) के बीच लेन-देन ही करता है. इसमें दो व्यक्तियों के बीच (पी2पी) लेन-देन नहीं हो सकता है. इसका मतलब यह है कि कोई व्यक्ति FASTag इकोसिस्टम से धोखाधड़ी करके पैसे नहीं निकाल सकता है. 

सोशल मीडिया से हटाए जा रहे वीडियो
Social Media पर इस तरह के वीडियो लगातार डाले जा रहे हैं, जिनमें फास्टैग में जमा पैसे निकाले जाने का दावा किया जा रहा है. NPCI ने इन वीडियो को लेकर ट्विटर (Twitter) पर स्पष्टीकरण दिया है. उसका कहना है कि इस तरह के वीडियो के प्रति सतर्कता बेहद जरूरी है. इस तरह के वीडियो निराधार हैं और ऐसे वीडियो के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है और उन्हें सोशल मीडिया से हटाने के लिए कहा गया है. 

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पूरी तरह सुरक्षित पेमेंट सिस्टम
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने कहा है कि FASTag में किसी भी तरह की धोखाधड़ी का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि केवल अधिकृत सिस्टम इंटीग्रेटर (SI) को ही लेन-देन की इजाजत होती है. निगम को ओर से बताया गया है कि SI सिस्टम/कंसेशनेयर और बैंकों के बीच का ढांचा पूरी तरह से सुरक्षित है और इसे केवल वेरिफाइड आईपी एड्रेस और यूआरएल को ही स्वीकार करता है. 

आरएफआईडी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
यह सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टेक्नोलॉजी पर काम करता है. इसमें वाहन चालक टोल प्लाजा पर बिना रुके पेमेंट कर सकता है. दरअसल, यह टोल संग्रह के लिए प्रीपेड रिचार्जेबल टैग्स हैं, जिससे टोल टैक्स का स्वचालित भुगतान हो जाता है. यह वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपकाए जाते हैं. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है. 

 

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