कोरोना के कहर के सामने अप्रैल-मई में आर्थिक गतिविधियों में बड़ी गिरावट आई थी. लेकिन बीते चंद दिनों में अनलॉक के असर से इकोनॉमी के तमाम पहियों की रफ्तार बढ़ गई है. इससे अप्रैल-मई में रोजगार गंवाने वालों को फिर से काम धंधे मिलने शुरू हो गए हैं. (Photo: Getty Images)
कोरोना की दूसरी लहर से लोगों के रोजगार पर ब्रेक लग गया था. आमदनी पर कोरोना का जोरदार अटैक हुआ था. इससे अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. लेकिन एक हफ्ते के अनलॉक में ही अर्थव्यवस्था ने जोरदार तरीके से वापसी की है.
हफ्ते दर हफ्ते इकोनॉमी को ट्रैक करने वाले रिसर्च एजेंसी नोमुरा का इंडेक्स (NIBRI) बढ़कर 69.7 पर पहुंच गया. जबकि एक हफ्ते पहले ये 62.9 पर था. इन आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अब इकोनॉमी में गिरावट का सबसे बुरा दौर बीत गया है.
हालांकि ये भी तय है कि आगे रिकवरी की रफ्तार कोविड प्रतिबंधों में छूट और वैक्सीनेशन की स्पीड से तय होगी. नीति आयोग का मानना है कि जुलाई से इकोनॉमी पटरी पर लौटनी शुरू जाएगी.
इकोनॉमी में तेजी आने का संकेत मोबिलिटी इंडेक्स से भी मिल रहा है. गूगल के वर्कप्लेस और रिटेल-एंटरटेनमेंट मोबिलिटी इंडेक्सों में 8 परसेंटेज प्वाइंट्स की बढ़त दर्ज की गई है. वहीं एपल का ड्राइविंग इंडेक्स एक हफ्ते में 12 परसेंटेज प्वाइंट्स बढ़ा है. (Photo: Getty Images)
देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यन को भी डिमांड में वापसी का भरपूर भरोसा है. इस बीच विकास दर को लेकर वर्ल्ड बैंक के अनुमान ने भी तेज रिकवरी का भरोसा जताया है. विश्व बैंक के मुताबिक 2021-2022 में इकोनॉमी में 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होने का अनुमान है.
2023 के लिए भारत की अर्थव्यवस्था में 6.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है. वर्ल्ड बैंक का ये अनुमान RBI के अनुमान से काफी कम है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक RBI के MSME को आर्थिक मदद मुहैया कराना और नॉन परफॉर्मिंग लोन्स के नियमों में ढील देने से कारोबारियों को राहत मिली है.
लेकिन इस तरह की रियायतों को जारी रखने का सुझाव भी वर्ल्ड बैंक ने दिया है और कहा है कि अर्थव्यवस्था को पॉलिसी सपोर्ट की भी जरूरत है.