रुपये का गिरना... FII का बेचना और DII का खरीदना, कौन समझदार? उदय कोटक बोले- बड़ा खेल है!

Kotak Mahindra Bank के फाउंडर उदय कोटक ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए रुपये में गिरावट को लेकर बड़ी बात कही है और भारतीय उद्योगों को कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की सलाह दी है.

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उदय कोटक ने रुपये में गिरावट को लेकर किया पोस्ट (File Photo: ITG) उदय कोटक ने रुपये में गिरावट को लेकर किया पोस्ट (File Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

भारतीय रुपया (India Rupee) लगातार टूटता जा रहा है और हर रोज गिरने का नया रिकॉर्ड बना रहा है. बीते बुधवार को ये पहली बार 90 तक लुढ़का, तो गुरुवार को ये और अधिक फिसल गया. रुपया अब 90.43 प्रति डॉलर के नए लाइफ टाइम लो-लेवल पर आ गया है. इंडियन करेंसी में जारी इस गिरावट के बीच दिग्गज बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने बड़ी बात कही है. उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'Rupee@90, ये समय कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का है.'

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इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
इतिहास में ये पहली बार है, जबकि रुपये 90 के मनौवैज्ञानिक स्तर से भी इतना नीचे फिसल गया है. रुपये में आई इस तगड़ी गिरावट के पीछे की वजह बताते हुए उदय कोटक ने कहा है कि ऐसा विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजारों से लगातार पैसा निकालन के कारण हो रहा है. इसमें फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) और प्राइवेट इक्विटी फंड्स (PEF) शामिल हैं, जो एफडीआई के जरिए अपना निवेश करते हैं. तमाम एक्सपर्ट्स भी ये कहते नजर आ रहे हैं कि रुपये में गिरावट सीधे विदेशी निवेशकों द्वारा संचालित है.

उदय कोटक बोले- 'ये लंबा खेल है'
Uday Kotak ने अपने ट्विटर (अब X) पर अपनी पोस्ट में कहा है कि सबसे बड़ी चिंता ये है कि रुपया ऐसे समय में गिर रहा है, जबकि डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) खुद कमजोर हो रहा है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप के बावजूद इसमें सुधार देखने को नहीं मिल पा रहा है. जहां कोटक बैंक चेयरमैन ने ये चिंता जाहिर की, तो वहीं राहतभरी बात कहते हुए बताया कि इस गिरावट और विदेशों निवेशकों की बेरुखी के बाद भी भारतीय निवेशक बाजार में बिकवाली की खरीद में जुटे हुए हैं. हालांकि, उन्होंने इसे एक लंबा खेल करार दिया है. 

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रुपये में कब तक सुधार देखने को मिल सकता है, इसपर कोई राय शेयर बिना उदय कोटक ने अपनी पोस्ट में लिखा कि समय का इंतजार कीजिए, यही बताएगा कि कौन ज्यादा समझदारी से काम ले रहा है, विदेशी निवेश या घरेलू निवेशक. उन्होंने लिखा, 'फिलहाल, विदेशी निवेशक ज्यादा समझदार नजर आ रहे हैं, वे रुपये के गिरने के बीच भारतीय शेयरों से पैसा निकालने में लगे हैं, लेकिन दूसरी ओर भारतीय निवेशक खरीद रहे हैं, कौन ज्यादा होशियार है ये आने वाला समय बता देगा.' उन्होंने कहा कि 1 साल का निफ्टी डॉलर में निवेशकों को मिला रिटर्न शून्य रहा है, ऐसे में अब भारतीय बिजनेस को अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का समय आ गया है.

RBI को देना चाहिए दखल
कमजोर होता रुपया भारत के एक्सपोर्टर्स के लिए तो मददगार साबित हो रहा है, लेकिन इसकी वजह से इंपोर्ट महंगा हो रहा है. इसे उदाहरण के तौर पर समझें, तो भारत तेल और इलेक्ट्रॉनिक्स का बड़ा आयातक है और रुपया गिरने के चलते उन्होंने ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. LKP Scurities के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च जतीन त्रिवेदी का कहना है कि एक बड़ी चिंता ये है कि आरबीआई इस गिरावट में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है. उन्होंने अलर्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक का यही रुख रहा, तो रुपये का 90 रुपये के स्तर से नीचे गिरना जारी रह सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि Dollar Index और Crude Oil Price में गिरावट से इस अस्थिरता पर लगाम लग सकती है. 

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विदेशी-घरेलू निवेशकों के बीच टकराव
चार्टर्ड एकाउंटेंट पवन टाक ने रुपया गिरने पर अपनी राय शेयर करते हुए कहा है कि इस समय विदेशी सेलर और घरेलू बायर के बीच एक क्लासिक टकराव देखे को मिल रहा है. डॉलर को लेकर देखें, तो 1 साल का Nifty Dollar Return 0% रहा है. ये समय भारतीय बिजनेस के लिए सुस्ती को छोड़कर प्रतिस्पर्धा शुरू करने का है, क्योंकि बाजार धैर्य को इनाम देता है, घबराहट को नहीं. चार्टर्ड अकाउंटेंट अंशुल गर्ग ने भी बाजार की स्थिति पर घरेलू निवेशकों को सतर्कता बरतने की भी सलाह दी है. 

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