5000 करोड़ की संपत्ति का पुराना मामला, हर्ष लोढ़ा को कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका

यह करीब 16 साल से चल रही 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मामला है. एमपी बिड़ला की पत्नी प्रियंवदा देवी ने किसी संतान के न रहने पर करीब 5000 करोड़ की संपत्ति अपने परिवार के करीबी कारोबारी और चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेंद्र एस. लोढ़ा को कथित रूप से वसीयत लिखकर सौंप दी थी.

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हर्ष लोढ़ा को कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका हर्ष लोढ़ा को कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका

aajtak.in

  • कोलकाता ,
  • 19 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST
  • करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति का मामला
  • राजेंद्र लोढ़ा को मिली थी MP बिड़ला की संपत्ति
  • उनके बेटे हर्ष लोढ़ा के हाथ में थी समूह की कमान

हर्षवर्द्धन लोढ़ा को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने हर्ष लोढ़ा के एमपी बिड़ला समूह की किसी भी यूनिट में कोई पद संभालने पर रोक लगा दी है. यह करीब 16 साल से चल रही 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मामला है. 

यह बिड़ला परिवार के लिए एक बड़ी जीत है और लोढ़ा परिवार के लिए बड़ा झटका है. जाहिर है कि लोढ़ा अब ऊपरी अदालत में अपील करेंगे. अदालत एमपी बिड़ला एस्टेट के उत्तराधिकार को लेकर एक लंबित मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी. शुक्रवार को अदालत ने लोढ़ा के प्रियंवदा देवी की संपत्ति से किसी तरह का निजी लाभ उठाने पर भी रोक लगा दी.

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प्रियंवदा, एमपी बिड़ला की दिवंगत पत्नी हैं. इस संपत्ति के प्रबंधन के लिए अदालत ने एक समिति नियुक्त की है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अदालत ने लोढ़ा पर समिति के किसी निर्णय या भविष्य में बहुमत से लिए गए ऐसे किसी भी मामले के फैसले में हस्तक्षेप करने से रोक लगा दी है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रियंवदा की संपत्ति से जुड़ा हो. 

5000 करोड़ की संपत्ति की लड़ाई 

करीब 5000 करोड़ की संपत्ति यह लड़ाई करीब 16 साल से चल रही है. एमपी बिड़ला की पत्नी प्रियंवदा देवी ने किसी संतान के न रहने पर करीब 5000 करोड़ की संपत्ति अपने परिवार के करीबी कारोबारी और चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेंद्र एस. लोढ़ा को कथित रूप से वसीयत लिखकर सौंप दी थी.

2004 में यह मामला काफी चर्चा में आया था और बिड़ला परिवार के दूसरे सदस्यों ने इसका तीखा विरोध किया. लेकिन वसीयत होने की वजह से राजेंद्र लोढ़ा को बिड़ला समूह की कई कंपनियों का हिस्सा मिल गया था. बिड़ला परिवार से जुड़े अन्य लोग इस वसीयत पर सवाल उठाते रहे हैं. 

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राजेंद्र लोढ़ा के निधन के बाद कमान हर्ष को

साल 2008 में राजेंद्र लोढ़ा का निधन हो गया और इस संपत्ति की जिम्मेदारी उनके बेटे हर्ष लोढ़ा के पास आ गई. राजेंद्र लोढ़ा साल 2001 में ही बिड़ला कॉरपोरेशन के को-चेयरमैन बन गये थे. लेकिन हंगामा तब हुआ जब साल 2004 में प्रियंवदा बिड़ला की मौत हुई और यह पता चला कि 1999 में ही अपनी वसीयत में पूरी संपत्ति राजेंद्र लोढ़ा के नाम कर दी है. इसके बाद बिड़ला परिवार और लोढ़ा में कानूनी जंग शुरू हो गई.

वसीयत की वजह से राजेंद्र लोढ़ा बिड़ला कॉरपोरेशन के चेयरमैन बन गये. उनके निधन के बाद हर्ष लोढ़ा के हाथों एमपी बिड़ला समूह की कमान आ गई. एमपी बिड़ला समूह के तहत बिड़ला कॉरपोरेशन एमपी बिड़ला सीमेंट, यूनिवर्सल केबल्स, विंध्य टेलीलिंक, बिड़ला केबल्स जैसी कंपनियां हैं. 

 

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