Nagpur Orange Crop Damaged: इस बार नागपुर के संतरों का स्वाद मिलना मुश्किल, भीषण गर्मी और ब्लैक फंगस से बर्बाद हुई फसल

Nagpur Orange Farming: नागपुर के संतरे देश से लेकर विदेश तक प्रसिद्ध हैं. नागपुर के किसानों को संतरे की फसल से अच्छी कमाई होती है. लेकिन इस बार नागपुर के संतरा किसान परेशान हैं. कई कारणों से इस बार संतरे की फसल बर्बाद हुई है.

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Orange crop damaged in Nagpur Orange crop damaged in Nagpur

योगेश पांडे

  • नागपुर,
  • 07 मई 2022,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST
  • सरकार से मुआवजा मांग रहे किसान
  • ब्लैक फंगस की वजह से बर्बाद फसल

Nagpur Orange Crop Damaged: नागपुर संतरे की किस्म अपने अद्भुत स्वाद के लिए जानी जाती है. नागपुर के संतरे देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. नागपुर के संतरों का निर्यात विदेशों तक किया जाता है. जिसकी वजह से किसानों की आमदनी बढ़िया होती है. लेकिन इस बार नागपुर के संतरा किसान परेशान हैं. किसानों की परेशानी का कारण यह है कि इस बार संतरे और मोसंबी के ये फल समय से पहले ही जमीन पर आ गए हैं. 

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दरअसल, संतरे की फसल 2 बार आती है जिसमें अंबिया और रब्बी बहार होती है. इन दोनों ही बहारों में जो फसल उत्पन्न होती है, वही किसानों के लिए साल भर की कमाई का साधन होती है. इस बार दिसंबर से जनवरी के बिच आई अंबिया बहार की ये फसल हर वर्ष की अपेक्षा अधिक हुई है. लेकिन संतरे और मोसंबी के ये फल समय से पहले ही खुद-ब-खुद नीचे गिरने लगे हैं.

भीषण गर्मी बनीं किसानों की मुश्किल की वजह
नागपुर जिले के नरखेड़ और काटोल में सबसे अधिक संतरा और मोसंबी की पैदावार होती है. रब्बी की बहार अधिक बारिश की वजह से बर्बाद हो गई तो वहीं, दिसंबर और जनवरी महीने में आई अंबिया बहार भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई. नागपुर में तापमान 45 डिग्री तक चला गया जिसकी वजह से वातावरण में नमी पूरी तरह से ख़त्म हो गई और यही वजह रही कि कई सालों से संजो के रखे गए संतरों के पेड़ से संतरे समय से पहले ही नीचे गिरने लगे हैं. 

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'ब्लैक फंगस' की वजह से खराब हो रही फसल
नागपुर जिले के नरखेड़ तालुका में 10,712 हेक्टर में संतरे की, तो वहीं 6000 हेक्टेयर में मौसंबी की फसल लगाई जाती है और नागपुर क्षेत्र में इस बार बड़े पैमाने में यह फल धूप की वजह से सूख गयी और वक्त से पहले ही फल जमीन पर आ गिरे. कई पेड़ों को अलग-अलग बीमारियों ने घेर लिया ,जिसका किसानों ने दवाई से उपचार भी करवाया. लेकिन पेड़ों में लगे फल नहीं रोक पाए . किसानों की बोलचाल की भाषा में इसे ब्लैक फंगस बीमारी बताया जाता है, जिसमे फल नींबू के आकर के होते ही गिर जाते है , और पूरी तरह से फसल बर्बाद हो जाती है. 

किसानों की सरकार से क्या है गुहार? 
अब काटोल नरखेड़ और आसपास के किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा है कि उन्होंने दोनों फसलों में काफी नुकसान झेला है. किसानों का कहना है कि उन्होंने अपनी जमा पूंजी भी इस फसल को बचाने में लगा दी, बावजूद इसके फसल नहीं बच पाई. किसानों का कहना है कि जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार बाकी क्षेत्रों में फसल के नुकसान की भरपाई करती है, उसी तरह से नागपुर में भी संतरे और मोसंबी की बर्बाद हुई फसल का मुआवजा किसानों को देना चाहिए, वरना एक बार फिर किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे.

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