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कोरोना के कारण चलने लगी ऑनलाइन क्लास, अमेरिका में नहीं रह पाएंगे विदेशी छात्र

इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन के अनुसार 2018-19 शैक्षणिक वर्ष के लिए अमेरिका में दस लाख से अधिक विदेश छात्र पढ़ रहे थे.

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अमेरिका के नए रुख से भारतीय छात्रों पर पड़ेगा बड़ा असर (फाइल फोटो-Getty Images)
अमेरिका के नए रुख से भारतीय छात्रों पर पड़ेगा बड़ा असर (फाइल फोटो-Getty Images)

  • ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों को अमेरिका छोड़ने को कहा
  • ऑनलाइन पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के US एंट्री पर लगेगी रोक

कोरोना संक्रमण में अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. अमेरिका ने सोमवार को कहा कि यदि कोरोना वायरस संकट के कारण सभी कक्षाएं ऑनलाइन चल रही हैं तो विदेशी छात्रों को देश में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

अमेरिका के इमिग्रेशन और कस्टम एनफोर्समेंट विभाग ने जारी बयान में कहा, 'वो गैर-अप्रवासी F-1 और M-1 छात्र जिनकी पूरी क्लास ऑनलाइन चल रही है वे अमेरिका में नहीं रह सकते. ऑनलाइन कोर्स के लिए दाखिल लेने वाले छात्रों को अमेरिका छोड़ना चाहिए या कोई और उपाय करना चाहिए. मसलन स्कूल का ट्रांसफर भी करा सकते हैं.'

बता दें कि F-1 छात्र वो छात्र होते हैं जो अकादमिक शोध कर रहे हैं जबकि M-1 कैटगरी में वोकेशनल कोर्स करने वाले छात्रों को रखा जाता है.

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अमेरिका के इमिग्रेशन और कस्टम एनफोर्समेंट विभाग के बयान के मुताबिक, 'अगर विदेशी छात्र ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे. यह एक्शन सिर्फ यहां से हटाने तक सीमित नहीं है.'

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अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग ने कहा, 'ऑनलाइन कोर्स चलाने वाले स्कूलों और संस्थानों में दाखिला लेने वाले विदेशी छात्रों को वीजा जारी नहीं किया जाएगा, और न ही यूएस कस्टम और सीमा सुरक्षा विभाग इन छात्रों को अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति देगा.'

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फिलहाल, अधिकांश अमेरिकी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज ने अभी तक सेमेस्टर की पढ़ाई को लेकर किसी कार्यक्रम का ऐलान नहीं किया है. अमेरिका में कई स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन इंस्ट्रक्शन का एक हाइब्रिड मॉडल देख रहे हैं, लेकिन कुछ ने, जिनमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भी शामिल है, कहा है कि सभी कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी. हार्वर्ड ने कहा कि 40 प्रतिशत अंडरग्रेजुएट छात्रों को यूनिवर्सिटी कैम्पस आने की अनुमति होगी, लेकिन उनकी क्लास ऑनलाइन चलेगी.

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इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन (IIE) के आंकड़े बताते हैं कि 2018-19 शैक्षणिक वर्ष के लिए अमेरिका में दस लाख से अधिक विदेश छात्र पढ़ रहे थे. अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी पढ़ते हैं, लिहाजा प्रभावित होने वाले छात्रों में भारतीय भी होंगे.

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(एजेंसियों के इनपुट के साथ)

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