गर्भ में बच्चे की मौत कैसे भी हो सकती है. कोई प्राकृतिक वजह या इंसान की लापरवाही लेकिन इसके लिए मां को आपराधिक बनाकर जेल में डालना कितना सही या गलत है, इस बात पर अमेरिका में नई बहस शुरू हो गई है. दरअसल, एक महिला को नशे की वजह से गर्भ में बच्चे की मौत पर 18 साल की सज़ा हुई.
मामला अलाबामा की रहने वाली ब्रूकर शूमेकर से जुड़ा है. 2017 में उनके गर्भ में बच्चे की मौत हो गई थी. इसके बाद उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने गर्भावस्था के दौरान नशीले पदार्थों का सेवन किया, जिसकी वजह से बच्चे की जान चली गई. इसी आधार पर कोर्ट ने उन्हें “केमिकल एंडेंजरमेंट ऑफ़ ए चाइल्ड” के आरोप में दोषी ठहराते हुए 18 साल की सज़ा सुनाई.
अब मामले में नए मेडिकल एक्सपर्ट्स ने राय दी है कि बच्चे की मौत का कारण ड्रग्स नहीं, बल्कि गंभीर संक्रमण और गर्भ से जुड़ी मेडिकल जटिलताएं हो सकती थीं. जज का कहना है कि पुराने ट्रायल में महत्वपूर्ण मेडिकल सबूतों को नजरअंदाज किया गया, जिससे फैसला प्रभावित हो सकता था. जज ने कहा कि अगर यह जानकारी पहले जूरी के सामने रखी जाती, तो फैसला अलग हो सकता था. इसी आधार पर अब इस केस को फिर से खोल दिया गया है.
महिला अधिकार संगठन Pregnancy Justice ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिका में कई मामलों में महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़ी परिस्थितियों के लिए आपराधिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है, जबकि मेडिकल साइंस पूरी तरह से ये साबित नहीं कर पाता कि गलती किसकी थी. महिला की सज़ा रद्द हो गई है, लेकिन सरकारी वकीलों ने इस आदेश को चुनौती दी है, इसलिए नया ट्रायल होने तक ब्रूकर शूमेकर जेल में ही रहेंगी.
इस केस ने अमेरिका में चल रही उस बहस को फिर से उठा दिया है, जिसमें सवाल उठता है कि क्या 'स्टिलबर्थ' (गर्भ में बच्चे की मौत) जैसी मेडिकल ट्रेजेडी को अपराध माना जाना चाहिए? क्या महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हुई जटिलताओं के लिए कानूनी सज़ा देना सही है?