अमेरिका ने सोमवार को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसके सहयोगी मजीद ब्रिगेड को आधिकारिक तौर पर विदेशी आतंकवादी संगठन (Foreign Terrorist Organisation, FTO) घोषित किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकी संगठन के रूप में रजिस्टर्ड बीएलए के सहयोगी के रूप में इस लिस्ट में जोड़ा गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने एक प्रेस बयान में कहा, '2019 से बीएलए ने, जिसमें मजीद ब्रिगेड भी शामिल है, कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.'
बीएलए पहले से ही अमेरिका के आतंकवादी लिस्ट में था. अब उसे विदेशी आतंकी समूह बता दिया गया है जो पाकिस्तान के लिए बड़ी राजनयिक जीत मानी जा रही है. अमेरिका का यह कदम भारत के जटिल स्थिति है.
बीएलए को एफटीओ के रूप में नामित करने का फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मधुर बना रहा है और उसने बलूचिस्तान में खनन और तेल की खोज में निवेश करने की भी घोषणा की है.
इसके अलावा, अमेरिका के इस कदम को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था.
पहलगाम हमले का जिम्मेदार द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) है जो आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है. 18 जुलाई को विदेशी आतंकवादी संगठन नामित किया गया था. तब से, पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय और उसकी सेना ट्रंप प्रशासन से बीएलए को FTO में लिस्ट करने की पैरवी कर रहे थे.
पाकिस्तान सालों से बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी विद्रोह में उलझा हुआ है. सशस्त्र विद्रोही समूह बीएलए इस संघर्ष में सबसे आगे रहा है जो पाकिस्तान से अलग स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग करता है.
बीएलए का कहना रहा है कि पाकिस्तान की सरकार राज्य के खनिज संसाधनों का शोषण करती है और इससे होने वाले लाभ को क्षेत्र के लोगों के साथ नहीं बांटा जाता है. बीएलए ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर पर कई घातक हमले किए हैं, जिनमें ग्वादर बंदरगाह पर आत्मघाती बम विस्फोट और जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाइजैक करना शामिल है.
बीएलए के हमलों को लेकर पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असिम मुनीर भारत पर आरोप लगाते हैं. पाकिस्तानी सेना का कहना है कि भारत इस क्षेत्र में छद्म युद्ध चला रहा है. पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भी दावा किया है कि भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) इन आतंकी घटनाओं के पीछे 'मुख्य फाइनेंसर' है.
हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है और कहा है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान की घरेलू विफलताओं का मुद्दा है.
जाफर एक्सप्रेस की घटना के बाद, विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी आरोपों को कड़ी निंदा के साथ खारिज कर दिया और कहा था, 'पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है. दूसरों पर उंगली उठाने और अपनी घरेलू विफलताओं का दोष दूसरों पर डालने के बजाए पाकिस्तान को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.'
बीएलए को आधिकारिक तौर पर एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करके अमेरिका ने पाकिस्तान के नैरेटिव को सपोर्ट किया है. अमेरिका का यह फैसला बीएलए को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त अन्य आतंकी समूहों की श्रेणी में रखती है जिससे उनके लिए काम करना, फंडिंग जमा करना या अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करना मुश्किल हो जाता है.
यह आतंकवाद का मुकाबला करने के पाकिस्तान के कथित प्रयासों के साथ भी मेल खाता है जिसमें वो दूसरे देशों पर कोई संबंध तोड़ने के लिए दबाव डालता है. यह घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब सेना प्रमुख असिम मुनीर सिर्फ दो महीनों में दो बार अमेरिका दौरा कर चुके है. यह अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा संबंधों की मजबूती का संकेत भी देता है.
बीएलए पर अमेरिका की कार्रवाई पाकिस्तान को बढ़ावा देता है लेकिन भारत के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है. बीएलए पाकिस्तान के मामले में भारत की स्थिति का समर्थन करता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, बलोच नेता मीर यार बलोच ने मई में बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र घोषित कर दिया. एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने भारत और भारतीय मीडिया से कहा कि वो बलोच लोगों को पाकिस्तानी न मानें.
बलोच लीडर ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर को पाकिस्तान से वापस लेने की भारत की मांग का भी समर्थन किया है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य सफलता के बाद बीएलए के एक प्रतनिधि ने कहा था कि भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति उन्हें मदद कर सकती है. प्रतिनिधि ने भारत सरकार से मांग की थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को उजागर किया जाए.
इसलिए अमेरिका का बीएलए को FTO में शामिल करना भारत की स्थिति को जटिल बनाता है. बीएलए को खतरा की तरह पेश करने के पाकिस्तान के नैरेटिव का समर्थन कर अमेरिका ने भारत को राजनयिक रूप से असहज स्थिति में डाल दिया है.