कोरोना वायरस ने दुनिया को तो बदला ही है साथ ही लोगों को स्वच्छता को लेकर जागरुक भी किया है. जैसे बार-बार हाथ धोना और चेहरे को मास्क से ढककर रखने से कोरोना जैसी महामारी से खुद को बचाया जा सकता है. लेकिन महिलाओं में आंतरिक स्वच्छता को लेकर आमतौर पर ज्यादा बातचीत नहीं होती है. जिनकी वजह से उन्हें काफी गंभीर बीमारियां होती हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाएं अपने आंतरिक अंगों को कैसे साफ रखें, इसके बारे में जागरुक करना बेहद जरूरी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय वैज्ञानिकों ने महिलाओं को संक्रमण से बचाने के लिए नई तकनीक आयुथ वेदा को विकसित किया है. अक्सर रसायन युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से महिलाओं पर उल्टा असर पड़ता है. खासतौर पर अगर आंतरिक अंगों की स्वच्छता को लेकर बात करें तो और भी ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता है.
रसायनों की जगह औषधियों का इस्तेमाल रसायनों से बचाएगा
पीटीआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक रसायनों से महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए एमिल फॉर्मा के वैज्ञानिकों ने पाया कि हर्बल उत्पादों में इस्तेमाल रसायनों की जगह औषधियों के इस्तेमाल से संक्रमण की आशंका को बेहद कम किया जा सकता है.
इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी और हल्दी का उपयोग कर आयुथ वेदा के तहत वेजिटोन हाइजीन वॉश को तैयार किया. सल्फेट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, सिलिकॉन और आर्टिफिशियल कलर इत्यादि को इससे दूर रखा गया. इसके लिए उन्होंने सुगंध और सुरस विकास केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया.
वैज्ञानिकों ने सल्फेट पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने का निकाला तोड़
जानकारी के अनुसार महिलाओं के आंतरिक अंगों की स्वच्छता के लिए बने वेजिटोन में ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक आदि हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण जीवाणुओं के संक्रमण को रोकते हैं. दिल्ली स्थित आयुर्वेद अस्पताल के निदेशक डॉ. आर पी पाराशर के मुताबिक जरा सी लापरवाही से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए आयुर्वेद और औषधियुक्त उत्पाद ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
योनि संक्रमण का खतरा बना रहता है
वहीं आंकड़ों की मानें तो देश में प्रत्येक 10 में से आठ महिलाओं को योनि संक्रमण का खतरा बना रहता है. जबकि 80 फीसदी से भी ज्यादा महिलाएं अंतरंग स्वच्छता के महत्व को नजरअंदाज करती हैं, जिसके कारण इन्हें कई तरह के संक्रमण का सामना करना पड़ता है. 18 से 45 आयु की महिलाएं अपने कार्यों की व्यस्तता या संकोच के कारण नहीं बता पाती हैं.