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फिर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे PAK-तुर्की? रक्षा-विदेश मंत्री एक साथ पहुंचे इस्लामाबाद

भारत के अहम व्यापारिक पार्टनर तुर्की ने अपने असली रंग दिखा दिए जब पाकिस्तान स्पॉन्सर आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला किया. हमले के जवाब में जब भारत ने पाकिस्तान पर स्ट्राइक किया तो तुर्की पाकिस्तान के सपोर्ट में आ गया. अब दोनों ही देश अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं.

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नूर खान एयरबेस पर उतरे तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलेर (Photo- PDI)
नूर खान एयरबेस पर उतरे तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलेर (Photo- PDI)

भारत से तनाव के बीच तुर्की पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लगातार मजबूत कर रहा है. मई में हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान की मदद की थी और पाकिस्तान ने तुर्की में बने ड्रोन्स का इस्तेमाल कर भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी. अब तुर्की के दो शीर्ष प्रतिनिधिमंडल मंगलवार देर रात पाकिस्तान पहुंचे हैं. एक प्रतिनिधिमंडल में तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान और दूसरे में रक्षा मंत्री यासर गुलेर शामिल हैं जो पाकिस्तान-तुर्की के रक्षा संबंधों को और गहरा करने पर बात करेंगे. हालिया तनाव के बाद पाकिस्तान-तुर्की के रक्षा संबंधों पर भारत की नजर बनी हुई है.

पाकिस्तानी मीडिया में जो तस्वीरें जारी की गई हैं उसमें साफ दिख रहा है कि तुर्की के रक्षा मंत्री गुलेर ने टर्किश प्रतिनिधिमंडल संग उसी एयरबेस पर पाकिस्तान में लैंडिंग की हैं जिस पर मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मिसाइलों ने हमला किया था.

टर्किश प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान आने पर पाक विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'आपसी हितों के प्रमुख मामलों पर चर्चा की जाएगी. यह यात्रा पाकिस्तान और तुर्की के बीच गहरे भाईचारा दिखाती है जो साझा मूल्यों, आपसी सम्मान और दोस्ती के लंबे इतिहास पर आधारित है.'

पाकिस्तान के स्थानीय अखबार 'द न्यूज' की एक रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की और पाकिस्तानी मंत्रियों की मुलाकातों के दौरान आपसी हितों के अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

भारत-पाक संघर्ष के बाद और मजबूत हुए पाकिस्तान-तुर्की संबंध

22 अप्रैल को पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने जब पाकिस्तान के खिलाफ 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था तब तुर्की ने पाकिस्तान का जमकर समर्थन किया था. दोनों देशों में चार दिनों तक संघर्ष चला लेकिन तनाव अब भी जारी है.

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भारत-पाकिस्तान संघर्ष समाप्त होने के हफ्ते भर बाद ही 18 मई को तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने पाकिस्तान का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर से भी मुलाकात की थी.

इस्लामाबाद और तुर्की के राजनयिक सूत्रों का कहना है कि तुर्की का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान में एक दिन रहेगा और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात करेगा.

पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया में लिखा जा रहा है कि ऐसे समय में जब तुर्की पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, तुर्की के मंत्री द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक मजूबत करने पर बातचीत करेंगे.

तुर्की की एक रिपोर्ट में बताया गया, 'तुर्की ने 2023 में 2.1 करोड़ डॉलर के के हथियार और गोला-बारूद का निर्यात करके पाकिस्तान की कुल हथियार जरूरतों का 11% पूरा किया.' 

भारत के खिलाफ क्या खिचड़ी पका रहे पाकिस्तान-तुर्की?

तुर्की और पाकिस्तान के रक्षा संबंधों का बढ़ना भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि भारत से लड़ाई के दौरान पाकिस्तान ने तुर्की मूल के ड्रोन्स से भारत पर हमला किया था. पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए तुर्की के बायरकटर टीबी2, बायकर वाईएचए III कामिकेज ड्रोन और सोनगात्री, ईयात्री माइक्रो-ड्रोन का इस्तेमाल किया था. हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए नाकाम कर दिया.

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भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया और उन्होंने भारतीय हमले में मारे गए आतंकियों को श्रद्धांजलि भी दी. इससे तुर्की और भारत के बीच तनाव काफी बढ़ गया और भारत में तुर्की का बहिष्कार कैंपेन भी चला था. 

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