पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक और निर्यातक है, ये बात पूरी दुनिया जान चुकी है. पाकिस्तान की अवाम भी अपने हुक्मरानों से तंग आ चुकी है और देश आंतरिक अस्थिरता से गुजर रहा है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सोमवार को हाल के दिनों का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें हजारों लोग शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. इस प्रोटेस्ट को दबाने के लिए सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया और भारी तादाद में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.
पीओके के कई इलाकों में प्रदर्शन
अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के बंद और चक्का जाम के आह्वान पर मीरपुर, कोटली, रावलकोट, नीलम घाटी, केरन और अन्य जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. अधिकारियों ने आधी रात से ही सुरक्षाबलों की तैनाती और इंटरनेट सेवा बंद करके लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की थी. एक भाषण में AAC नेता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'ये बातों से नहीं, जूतों से मानने वाले हैं.'
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नागरिक समाज गठबंधन एएसी ने राजनीतिक हाशिये पर होने और लंबे वक्त से चली आ रही आर्थिक उपेक्षा शिकायतों को उठाकर स्थानीय लोगों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है. कमेटी की तरफ से एक 38 पॉइंट एजेंडा भी तैयार किया गया है, जिसमें उनकी प्रमुख मांगें दर्ज है.
'अधिकार दो, नहीं तो विरोध होगा'
मुजफ्फराबाद में एएसी नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा, 'हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन मौलिक अधिकारों के लिए है जिनसे हमारे लोगों को 70 साल से भी ज़्यादा समय से वंचित रखा गया है. बस बहुत हो गया. या तो अधिकार दिलाओ या फिर जनता के गुस्से का सामना करो.' पाकिस्तान की सरकार ने इस प्रदर्शन का जवाब भारी सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ दिया है.
सशस्त्र काफिलों ने प्रमुख शहरों में फ्लैग मार्च किया, पंजाब से हज़ारों सैनिकों को बुलाया गया और पुलिस ने वीकेंड के दौरान एंट्री और एग्जिट गेट सील कर दिए. संवेदनशील प्रतिष्ठानों के आसपास निगरानी भी कड़ी कर दी गई. राजधानी से अतिरिक्त एक हजार पुलिसकर्मी भेजे गए.
सरकार के साथ मेराथन वार्ता फेल
डॉन अखबार में ज़िला मजिस्ट्रेट मुदस्सर फ़ारूक़ के हवाले से कहा गया, 'शांति नागरिकों और प्रशासन की सामूहिक ज़िम्मेदारी है.' यह कार्रवाई एएसी प्रतिनिधियों, पीओके प्रशासन और संघीय मंत्रियों के बीच मैराथन वार्ता के फेल होने के बाद हुई. वार्ता 13 घंटे तक चली, लेकिन एएसी की तरफ से एलीट क्लास के स्पेशल राइट और शरणार्थी सीटों को खत्म करने पर समझौता करने से इनकार करने पर यह विफल हो गई. शौकत नवाज़ मीर ने विरोध जारी रखने का संकल्प लेते हुए कहा कि बातचीत अधूरी और बेनतीजा रही है.
पूरे पीओके में आशंका और चिंता चरम पर है. मुजफ्फराबाद में व्यापारी संघों ने रविवार को दुकानें खुली रखीं ताकि नागरिक ज़रूरी सामान जमा कर सकें. वायरल वीडियोज में सुरक्षाबलों के काफिले इलाके में दाखिल होते दिखाई दे रहे हैं, जिससे कठोर कार्रवाई की आशंका ज्यादा बढ़ गई है.
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पाकिस्तान के 'जबरन कब्जे' से आज़ादी के नारे कई ज़िलों में गूंज रहे है. हालांकि एएसी नेताओं ने वादा किया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेंगे, उन्होंने इस्लामाबाद को चेतावनी दी कि वे अपनी मूल मांगों पर कोई समझौता नहीं करेंगे. हालांकि, सोमवार सुबह मीर ने घोषणा की कि दमन की आशंका के चलते विरोध प्रदर्शन अस्थायी रूप से वापस लिया जा रहा है. एएसी ने कहा कि आंदोलन का अगला चरण 15 अक्टूबर को पूरे पीओके में शुरू होगा.
पीओके में लंबे वक्त से उत्पीड़न
इस प्रदर्शन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर पाकिस्तान के कड़े नियंत्रण को और उजागर कर दिया है. शौकत नवाज मीर और अन्य अवामी एक्शन कमेटी (AAC) नेता इस्लामाबाद पर दशकों से उपेक्षा, भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और स्वच्छ जल जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखने का आरोप लगाते रहे हैं.
स्थानीय वकील संघों ने इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है और बंद को एक लोकतांत्रिक अधिकार बताया है. सिविल सोसायटी ने चेतावनी दी है कि सरकार की बल प्रयोग की धमकियों से और ज़्यादा अशांति फैल सकती है. ऑब्जर्वर्स का मानना है कि यह टकराव पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए एक अहम इम्तिहान बन गया है. क्या वह बातचीत के जरिए नागरिकों की शिकायतों का समाधान कर सकता है या फिर पीओके को और अधिक राजनीतिक उथल-पुथल में धकेलने का जोखिम उठा सकता है?