रूस ने कहा है कि चीन को अलग-थलग करने के लिए ग्रुप-7 (जी-7) का दायरा बढ़ाने की बात हो रही है. रूस के मुताबिक, चीन के बिना किसी संगठन का सही प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता. कुछ दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को जी-7 में शामिल होने का न्योता दिया था. रूस ने इस न्योते को यह कहकर नकार दिया कि इसमें चीन नहीं है, इसलिए शामिल होने का कोई सवाल नहीं. उसने जी-7 को चीन के बिना एक अधूरा मंच बताया था.
जी-7 का दायरा बढ़ाने और रूस को भेजे गए आमंत्रण के बारे में रूसी राजनेता और राजनयिक कोंस्टेंटिन कोसाचेव ने इंडिया टुडे से कहा कि जी-7 के प्रारूप के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि राष्ट्रपति ट्रंप इसे विस्तार दे रहे हैं जबकि उन्हें दायरा बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है. मेजबान के तौर पर वे किसी को आमंत्रण देने के लिए स्वतंत्र जरूर हैं, लेकिन सम्मेलन जी-7 का ही होगा. उस प्रारूप के मुताबिक आमंत्रित किए गए देश कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे. हम लोग वहां केवल कार्यक्रम की प्रक्रिया देखने ही जा सकते हैं. लेकिन निर्णयों पर प्रभाव डालने की संभावना नहीं होगी. कोंस्टेंटिन कोसाचेव रूस के फेडरेशन काउंसिल में सेनेटर हैं और विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष भी.
चीन के खिलाफ ट्रंप की 'चाल'
कोसाचेव ने कहा, जी-7 के अन्य देशों में भी हम कोई सहमति नहीं देखते. हमने इस मसले पर भारत की प्रतिक्रिया अभी तक नहीं देखी लेकिन हमने अन्य सदस्य देशों से सुना है कि वे रूस को इस फोरम में नहीं देखना चाहते. दुनिया में और भी कई प्रभावी देश हैं जिन्हें इसमें शामिल किया जा सकता है. इसका एक उदाहरण चीन है. हमें लगता है कि ट्रंप का अन्य देशों को बुलाने से ज्यादा महत्वपूर्ण चीन को नहीं बुलाना है. ट्रंप कई देशों को एकसाथ लाकर चीन के खिलाफ एक अलग स्थिति बनाना चाहते हैं. फिलहाल उनकी यही रणनीति है. कोसाचेव ने आगे कहा, बात भारत या चीन की नहीं है लेकिन हम वैसे किसी भी गुट का विरोध करते हैं जो किसी के खिलाफ हो. रूस ने जी-7 को लेकर वॉशिंगटन से कुछ तथ्यों की जानकारी मांगी है लेकिन अभी इस बारे में कोई जवाब नहीं मिला है. इसलिए जी-7 पर अंतिम निर्णय अभी नहीं हो पाया है.
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रूसी विदेश मंत्रालय की राय
कुछ दिन पहले रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखरोवा ने कहा था कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रस्ताव पर गौर किया है. इसके बारे में रूस का यही कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से पूरी तरह सहमत हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि जी-7 आउटडेटेड देशों का समूह है जो दुनिया के वास्तविक हालात का प्रतिनिधित्व नहीं करता. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि वे इस बात से इत्तेफाक रखती हैं. उन्होंने कहा, इस बारे में हमारा मत जगजाहिर है. पश्चिमी देशों के क्लब में रह कर वैश्विक नीतियों और अर्थव्यवस्था के मुद्दों को निपटाना असंभव है. आज की यह सबसे बड़ी सच्चाई है.
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मारिया जाखरोवा ने कहा, सामान्य तौर पर देखें तो जी-7 के विस्तार का विचार सही दिशा में कदम है लेकिन इससे सही मायनों में नुमाइंदगी (प्रतिनिधित्व) नहीं मिल पाती. उदाहरण के लिए, यह स्पष्ट है कि गंभीर वैश्विक मुद्दों को निपटाने में चीन के बिना कुछ नहीं हो सकता. मारिया ने कहा, अभी हमारे पास काफी सक्षम और पहले से जांचा परखा जी-20 का फॉर्मेट है, ब्रिक्स भी है. इसके अलावा दुनिया में राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभाव रखने वाले और भी कई मंच हैं.