पाकिस्तान (Pakistan) में पिछले कुछ दिनों से ऐसे नागरिकों को वीजा देने से इनकार कर दिया जा रहा है, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जाने की ख्वाहिश रखते हैं. ऐसा खासतौर से उन लोगों के साथ ज्यादा हो रहा है, जो बिजनेस के मकसद से दुबई जाना चाहते हैं. अब सरकार यह बात मानी है कि वीजा रिजेक्शन की तादाद बढ़ रही है.
सोमवार को कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) के साथ संघीय आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी द्वारा आयोजित बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की गई. नकवी ने स्वीकार किया कि यूएई जाने की ख्वाहिश रखने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा रिजेक्शन की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने इस मुद्दे को हल करने की बात कही है.
उन्होंने बैठक में उपस्थित व्यापारियों को आश्वस्त करते हुए कहा, "मैं बुधवार को यूएई के अपने समकक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाऊंगा और उम्मीद है कि इस मामले का हल निकल जाएगा." उन्होंने माना कि यह एक गंभीर मामला है.
पाकिस्तानी पासपोर्ट पर क्या बोले मंत्री?
मंत्री ने पाकिस्तानी पासपोर्ट की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए सरकार की कोशिशों पर बात की और 'ग्रीन पासपोर्ट' पर फख्र जताया और आने वाले वक्त में इसकी प्रतिष्ठा के बारे में उम्मीद जताई. उन्होंने कहा, "सरकार ग्लोबल लेवल पर पाकिस्तानी पासपोर्ट की रैंकिंग सुधारने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. हमें अपने हरे रंग के पासपोर्ट पर फख्र है और आने वाले वक्त में यह और भी ज्यादा फख्र की बात होगी."
हाल के दिनों में, सऊदी अरब, यूएई और कतर सहित देशों ने अवैध रूप से रहने और काम करने वाले पाकिस्तानियों को वापस लाने के लिए अभियान तेज कर दिए हैं. इमिग्रेशन अधिकारियों ने भी फर्जी यात्रा दस्तावेजों का पता लगाने और अपराधियों को पकड़ने के लिए निकास बिंदुओं पर सतर्कता बढ़ा दी है.
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मोहसिन नकवी ने यह भी कहा कि अवैध व्यापार चैनलों के जरिए पाकिस्तान से अमेरिकी डॉलर की तस्करी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं. फरवरी में, यूएई में पाकिस्तान के राजदूत फैसल नियाज तिर्मिज़ी ने खाड़ी देश द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने से इनकार करने को एक 'गंभीर और महत्वपूर्ण' मुद्दा बताया था और पुष्टि की थी कि दोनों देश इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वीजा देने से इनकार मुख्य रूप से दस्तावेज़ प्रामाणिकता और कुछ आवेदकों के आपराधिक रिकॉर्ड की वजह से किया गया था.
यूएई, पाकिस्तान का चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. सऊदी अरब के बाद यह पाकिस्तान के लिए विदेशी धन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत भी है, जहां करीब 1.9 मिलियन पाकिस्तानी प्रवासी रहते और काम करते हैं.